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बुधवार, मार्च 13, 2013

श्रृंखला जीतने के लिए उतरेगी भारतीय टीम

मोहाली के मैच से पूर्व भारतीय टीम आस्ट्रेलिया पर अजेय बढत ले चुकी है | भारत निस्संदेह यहाँ श्रृंखला नाम करने उतेरगा | मोहाली की पिच आमतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद करती है, ऐसे में उम्मीद यही थी कि यहाँ पर एक रोमांचक मैच देखने को मिलेगा | इस उम्मीद पर तुषारापात हो गया है ऐसा तो नहीं कहा जा सकता लेकिन पिछले दिनों में आस्ट्रेलियाई टीम में जो तूफ़ान उठा है उससे संदेह के बादल जरूर उमड़ने-घुमड़ने लगे हैं | 
                    हार इसीलिए बुरी है कि यह मनोबल को तोड़ देती है | हार आमतोर पर विवादों को जन्म देती है | अभी कुछ दिन पहले तक जब भारतीय टीम इंग्लैण्ड से हारी थी, टीम पर अनेक आरोप लगे | धोनी की कप्तानी पर उँगलियाँ उठी मगर अब यहाँ तक कहा जा रहा है कि उसे अगले दो विश्व कप तक भारतीय टीम की कमान संभालनी चाहिए | मीडिया , आलोचक  सभी झुकते पलड़े की तरफ होते हैं | क्योंकि अब आस्ट्रेलियाई टीम अपने बुरे दौर से गुजर रही है तो उसकी आलोचना भी स्वभाविक है और इसी आलोचना से उत्पन्न बौखलाहट के कारण छोटी गलती की बहुत बड़ी सजा सुनाई गई | यह फैसला आस्ट्रेलियाई क्रिकेट को उपर उठाता है या गर्त में धकेलता है , यह तो समय बताएगा , लेकिन इतना तय है कि बुरे दौर में आस्ट्रेलियाई थिंक टैंक सकते में है |
                  मोहाली टेस्ट में भारतियों के पास अवसर है कि वे इस बौखलाहट का लाभ उठाएं | पिछली दो पराजयों के चलते आस्ट्रेलियाई टीम पहले ही बैकफुट पर है , ऊपर से उनके पास खिलाडियों के सीमित विकल्प हैं | क्लार्क के ऊपर अब अपने फैसले को सत्य सिद्ध करने का अतिरिक्त दवाब है | कुल मिलाकर भारतियों को के लिए श्रृंखला को यही जीतने का सुनहरी अवसर है |
               अगर भारतीय टीम की बात करें तो इसमें एक बदलाव तो निश्चित है | सहवाग की छुट्टी हो चुकी है | अब मुरली विजय को नए साथी के साथ पारी की शुरुआत करनी है , यह साथी शिखर धवन हो सकता है या फिर अजिंक्य रहाने | शेष बल्लेबाज़ निश्चित रूप से वही रहेंगे | हरभजन के खेलने पर संदेह हो सकता है क्योंकि पिच के स्वभाव को देखते हुए कप्तान तीसरा तेज गेंदबाज़ खिला सकते हैं | वैसे पिच पर से घास हटाने के समाचार भी आए हैं , यह सही भी है क्योंकि भारतीय स्पिनरों के आगे आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ असहाय नजर आए हैं | घरेलू टीम को अपने हिसाब की पिच उसका विशेषाधिकार है | अत: अगर यहाँ पर भी स्पिन का जादू चले तो हैरानी नहीं हो सकती | उधर आस्ट्रेलियाई टीम शायद मजबूरी में स्पिनरों के साथ उतरे क्योंकि उसने दो तेज गेंदबाजों को टीम से निकाला है , लेकिन आस्ट्रेलियाई स्पिनर चेन्नई और हैदराबाद में कुछ खास नहीं कर पाए थे ऐसे में उनसे मोहाली में करिश्मे की उम्मीद नहीं की जा सकती |

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शुक्रवार, मार्च 01, 2013

निर्णायक होगा हैदराबाद टेस्ट

चेन्नई टेस्ट में भारतीय टीम ने जिस तरीके से आस्ट्रेलियाई टीम को मात दी वो काबिले-तारीफ़ है । खासकर इस मैच में उन तीन खिलाडियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जिन्होंने इंग्लैण्ड के खिलाफ निराश किया था । कोहली का शतक उसे टेस्ट मैचों में आत्मविश्वास देगा । वह उच्चकोटि का खिलाडी है । वनडे और टी-20 में उसने इस बात को सिद्ध भी किया है, लेकिन टेस्ट मैचों में वह उतना सफल नहीं रहा है । धोनी ने एकदिवसीय शैली में टेस्ट पारी खेलकर मैच का पासा पलट दिया । धोनी को इस प्रदर्शन को दोहराते रहना होगा , अश्विन ने भी शानदार वापसी की । इन तीनों के अतिरिक्त सचिन का योगदान महत्वपूर्ण रहा और भुवनेश्वर ने जिस तरीके से धोनी का साथ निभाया उसके लिए उसकी भी जितनी सराहना की जाए कम है , लेकिन यह शुरुआत भर है और मंजिल अभी दूर है । हमें नहीं भूलना चाहिए कि इंग्लैण्ड के खिलाफ भी शुरुआत हमने इसी तरीके से की थी, लेकिन बाद के मैचों में भारतीय टीम असहाय सी नजर आती रही । 
               दरअसल इंग्लैण्ड ने जो गलती पहले टेस्ट में की थी, वही गलती आस्ट्रेलिया ने भी की है । भारतीय घुमावदार पिच पर सिर्फ एक स्पिनर खिलाना दोनों टीमों की मूर्खता थी । इससे यह पता चलता है कि आस्ट्रेलियाई टीम ने इंग्लैण्ड के अनुभव से नहीं सीखा और वो उस श्रृंखला को दिमाग में रखकर नहीं चल रहे , यह एक बड़ी गलती है जिसकी उम्मीद आस्ट्रेलिया जैसी टीम से नहीं थी , लेकिन इतना तय है कि हैदराबाद टेस्ट में आस्ट्रेलियाई टीम यह गलती नहीं करेगी । अब जिम्मेदारी उनके स्पिनरों पर है । देखना है वो मोंटी पनेसर की तरह कोई करिश्मा कर पाएंगे या नहीं । 
                    भारतीय टीम में भी अभी कई कमजोर पहलू हैं । बल्लेबाजी में ओपनरों की विफलता गंभीर समस्या है और यह घातक सिद्ध हो सकती है । वैसे तो जो टीम चेन्नई में खेली थी उसमें से पहले दस खिलाडी प्रथम श्रेणी के शतकवीर थे और आठ खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शतक बना चुके थे लेकिन जडेजा , अश्विन, हरभजन अपने स्तर के अनुरूप बल्ले से प्रदर्शन नहीं कर पाए । हरभजन और जडेजा ने गेंदबाजी में भी कोई करिश्मा नहीं किया । अश्विन का साथ अगर अच्छी तरह से निभाया जाए तो आस्ट्रेलियाई टीम को मात देना और आसान हो जाएगा । तेज गेंदबाजों ने भी निराश किया । हालांकि यह पिच स्पिनरों को मदद दे रही थी , फिर भी पहले दिन तो तेज गेंदबाज़ कुछ विकेट निकाल सकते थे । 
                   हैदराबाद टेस्ट इस श्रृंखला का रुख तय करेगा । अगर भारतीय टीम यहाँ उन्हें वापसी करने से रोक पाई तो भारत की श्रृंखला जीतने की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी । 
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गुरुवार, फ़रवरी 21, 2013

भारतीय टीम की अग्नि परीक्षा

भारत आस्ट्रेलिया में रोमांचक श्रृंखला का आगाज कल चेन्नई में हो रहा है , भारतीय टीम के लिए यह एक कठिन चुनौती है । इंग्लैण्ड से घरेलू श्रृंखला में बुरी तरह मात खाने के बाद भारतीय टीम के सामने अब आस्ट्रेलिया है । सामान्यत: भारतीय टीम घरेलू परिस्थितियों में हावी होती है लेकिन अब वह बात नहीं । हालांकि हरभजन ने यह कहकर कि भारतीय टीम आस्ट्रेलिया को 4 - 0 से हरा सकती है , एक मानसिक दवाब बनाना चाहा है लेकिन वास्तविकता क्या है यह आस्ट्रेलिया भी जानता है और भारतीय टीम भी । 
                      भारतीय टीम में इस समय बहुत कमजोर कड़ियाँ हैं या यह कहा जा सकता है कि एक भी पहलू ऐसा नहीं जिसे भारतीय टीम की ताकत कहा जाए । बल्लेबाजी में ओपनिंग डांवाडोल है । गंभीर की छुट्टी कर दी गई है । सहवाग का बल्ला खामोश है । मुरली विजय की वापसी हुई है लेकिन ओपनिग में एक-तालमेल होना चाहिए । ये दोनों खिलाडी तालमेल बना पाते हैं या नहीं यह समय ही बताएगा , फिलहाल यह चिंता का विषय माना जा सकता है । मध्यक्रम में सचिन को छोड़कर अनुभव की कमी है । कोहली इंग्लैण्ड के खिलाफ असफल रहे थे । चेतेश्वर पुजारा ने अच्छी बल्लेबाजी की थी लेकिन अभी उसकी तुलना द्राविड या लक्ष्मण से करना जल्दबाजी भी होगी और पुजारा के साथ ज्यादती भी क्योंकि यह तुलना उस पर दवाब ही बनाएगी । पांचवां बल्लेबाज कोई भी खेले फिलहाल विश्वसनीय नहीं । धोनी खुद भी टेस्ट स्तर के बल्लेबाज़ खुद को साबित नहीं कर पाए ।  
                        गेंदबाज़ी की बात करें तो तेज गेंदबाज़ी सदा से भारत की कमजोरी रही है । जहीर की अनुपस्थिति में यह ओर कमजोर होगी । भारतीय पिचों पर तेज गेंदबाजी की कमजोरी को अक्सर भारतीय स्पिनर छुपा देते थे लेकिन अब वे खुद छुपने की जगह ढूंढते हैं । बड़ी जीत की दावेदारी करने वाले विश्व स्तरीय स्पिनर हरभजन टीम में स्थान निश्चित नहीं कर पाए हैं । वे या तो बाहर होते हैं या फिर पांचवें गेंदबाज़ के रूप में खेलते हैं । धोनी ने पिछली श्रृंखला में हरभजन को मुख्य गेंदबाज की भूमिका नहीं दी । अगर अन्य दोनों स्पिनर अपना रोल सही निभा रहे हों तो यह समझ आता है लेकिन अश्विन और ओझा भी बुरी तरह से असफल हुए हैं । कुल मिलाकर भारतीय गेंदबाज़ आस्ट्रेलिया को दो बार आउट कर पाएंगे इसमें संदेह है । भारतीय क्षेत्ररक्षण भी ऐसा नहीं जो गेंदबाजों की मदद कर सके । 
                       कुल मिलाकर भारतीय टीम की स्थिति बेहद नाजुक है । अब आस्ट्रेलिया पर है कि वह कैसे खेलती है । अगर वह सामान्य प्रदर्शन कर पाई तो भारतीय टीम को घेरलू मैदानों पर एक और शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है । 
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