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मंगलवार, फ़रवरी 14, 2012

मैच को ज्यादा नजदीक ले जाना घातक बना

त्रिकोणीय श्रृंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन अभी तक अच्छा कहा जा सकता है । चार मैचों में दो जीत, एक टाई और एक हार के आधार पर कहा जा सकता है कि भारतीय टीम फाइनल में पहुंचने की प्रबल दावेदार है । भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया और श्रीलंका दोनों के खिलाफ अंतिम दो मैच बड़े करीबी खेले । आस्ट्रेलिया को हराने में सफलता मिली, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ ऐसा नहीं हो पाया । 
                भारत श्रीलंका के खिलाफ एक समय सुखद स्थिति में था । अंतिम दस ओवरों में सिर्फ उनसठ रन चाहिए थे यानि प्रति बाल एक रन । इसके बाद के चार ओवरों में हमने आठ रन बनाए । परिणामस्वरूप अंतिम तीन ओवरों में लगभग दस की औसत आ गई । नजदीकी मैच किसी भी तरफ जा सकते हैं । आस्ट्रेलिया के खिलाफ भी यदि नो बाल न मिलती तो परिणाम कुछ और हो सकता था । यह ठीक है कि जब विकेट गिरते हैं तब विकेट बचाना ज्यादा जरूरी हो जाता है, लेकिन तीन-चार सिंगल तो निकलने ही चाहिए, इसके विपरीत हमने 41 वां ओवर मेडन निकाला और एक विकेट भी रन आउट के रूप में गंवाया ।गंभीर और इरफ़ान का रन आउट होना काफी हद तक महंगा साबित हुआ । इरफ़ान का रन आउट होना तो बिलकुल मूर्खतापूर्ण था, क्योंकि वहां रन की संभावना थी ही नहीं । धोनी मूर्खतापूर्ण तरीके से दौड़े । कप्तान की विकेट बचाने के लिए इरफ़ान को बली देनी ही पड़ी । इरफ़ान छ्क्का लगा चुके थे, उन पर विश्वास किया जा सकता था कि स्ट्राइक पर रहने पर वे शाट लगा सकते हैं, जबकि विनय कुमार के आने के बाद एक छोर से बड़े शाट लगने की संभावना समाप्त हो गई । यही कारण था कि अंतिम ओवर में ९ रन बनाकर भारत जीत न सका, जबकि इरफ़ान और धोनी के रहते यह लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकता था ।
                    श्रीलंका के लिए जीत ज्यादा जरूरी थी और इस मैच के साथ उसकी फाइनल में संभावना क्षीण हुई है  । अब उसे कम-से-कम भारत को दोनों मैच हराने होंगे । भारत की स्थिति अच्छी है । भारत को मिडल ऑर्डर में फेरबदल करना चाहिए । रैना , रोहित और मनोज तिवारी में भी उसी तरह से रोटेशन प्रणाली अपनाई जानी चाहिए जैसे कि सचिन, सहवाग और गंभीर में अपने जा रही है ।
            भारतीय टीम को गलतियों पर ध्यान देते हुए सुधार के प्रयास जारी रखने होंगे । भारतीय टीम पिछली त्रिकोणीय श्रृंखला की विजेता है और वे इस बार भी विजेता हो सकते हैं । जरूरत है तो मजबूत इरादों की ।


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शनिवार, फ़रवरी 04, 2012

अब होगा त्रिकोणीय मुकाबला

टेस्ट और टी-20  के बाद अब बारी है एकदिवसीय मुकाबलों की । टेस्ट में भारत बुरी तरह से हारा . टी-20 की शुरुआत भी बहुत अच्छे तरीके से नहीं हुई लेकिन अंतिम टी-20 को जीतकर भारतीय टीम ने दिखाया की युवा खिलाडी टक्कर देने का इरादा रखते हैं ।अब त्रिकोणीय मुकाबला है । तीसरी टीम श्रीलंका की है । आस्ट्रेलिया त्रिकोणीय श्रृंखला में मजबूत दावेदार है । पिछले दौरे में भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया  को हराकर श्रृंखला जीती थी । ऐसे मौके कम ही आते हैं । श्रीलंका और भारतीय दोनों टीमें विदेशी पिचों पर संघर्ष करती हैं, ऐसे में आस्ट्रेलिया के फाइनल में खेलने की संभावना ज्यादा है । श्रीलंका और भारतीय टीम में असली मुकाबला है । जो टीम आस्ट्रेलिया को हरा देगी , उसकी फाइनल खेलने की उम्मीद बढ़ जाएगी । भारत और श्रीलंका के बीच चार मैच होंगे । ये मैच दूसरी फाइनलिस्ट टीम को निर्धारित करेंगे ।
                         अंतिम टी-20 को देखते हुए भारतीय टीम के फाइनल में पहुंचने के आसार काफी प्रबल हैं क्योंकि भारतीय टीम आस्ट्रेलिया को जहाँ टक्कर देगी वहीं श्रीलंका पर भारी पड़ सकती है । श्रीलंका और भारत दोनों बाहरी टीमें होने के कारण बराबरी पर हैं । श्रीलंका की टीम वैसा कोई हौवा भी नहीं पैदा करती जैसा आस्ट्रेलियाई टीम इस समय किये हुए है । विश्व कप के फाइनल में हमने उसे मात दिया है । इन सब बातों को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि टीम दब कर नहीं खेलेगी और जब भारतीय खिलाडी आत्मविश्वास के साथ उतरेंगे तब उनके जीतने की संभावना भी बढ़ जाएगी ।
                         त्रिकोणीय श्रृंखला की शुरुआत भारत आस्ट्रेलिया के मैच से हो रही है । इस मैच का प्रदर्शन पूरी सीरिज के प्रदर्शन को तय कर सकता है । अगर भारतीय टीम का प्रदर्शन जुझारू रहा तो निश्चित रूप से  फाइनल में पहुंचने की उम्मीद जीवंत हो उठेगी ।

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शुक्रवार, फ़रवरी 03, 2012

चखा जीत का स्वाद

आखिर ये दिन आ गया , बहुत दिनों के बाद ।
टूट गया क्रम हार का , चखा जीत का स्वाद ।।
चखा जीत का स्वाद , गेंदबाज़ सभी चमके ।
रहे खिलाडी चुस्त , मिले मौके सब लपके ।।
रखे इरादे दृढ , जोश - होश किया जाहिर ।
चाहिए हमें जीत , दिखा ये जज्बा आखिर ।।

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बुधवार, फ़रवरी 01, 2012

टीम आस्ट्रेलिया जीती

हम भूल गए खेलना , हो कोई प्रारूप ।
मिली हार दर हार है , हुई शक्ल बद्रूप।।
हुई शक्ल बद्रूप , टीम आस्ट्रेलिया जीती ।
चली न कोई चाल, टेस्ट पहले अब टी.टी ।।
पाए ऐसे जख्म , लगे ना कोई मरहम ।
कहे विर्क कविराय , खड़े शीश झुकाए हम ।।

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गुरुवार, जनवरी 26, 2012

मिली हमें हार करारी

जारी  एडीलेड  में , प्रदर्शन  शर्मनाक  ।
हुआ कलंकित देश है, शोहरत हुई खाक ।।
शोहरत हुई खाक , हौंसले हुए पराजित । 
चार शून्य की हार, लगे है अब तो निश्चित ।।
जब भी गए विदेश , मिली हमें हार करारी 
कब बदली तस्वीर, यही क्रम शुरू से जारी ।।

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बुधवार, जनवरी 11, 2012

डराता हमको वाका

वाका के मैदान पर , दिखती पिच पर घास ।
सकते  में  दीवार भी , उड़ते  होश - हवास ।।
उड़ते  होश - हवास , पार  कैसे  पाएंगे ।
सिडनी में थे पस्त , मार अब भी खाएंगे ।।
शेर न रहा दहाड़ , रास नहीं ये इलाका ।
कहे विर्क कविराय , डराता हमको वाका ।।

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शनिवार, जनवरी 07, 2012

घर के शेर

बाहर घिग्घी बंधती , हम हैं घर के शेर ।
कंगारू भारी पड़े , किया हमें यूं ढेर ।।
किया हमें यूं ढेर , नहीं चल पाया कोई ।
एक के बाद एक , दनादन विकेट खोई ।।
शेर कहेगा कौन , कौन देगा अब आदर ।
क्या तुम्हारा खेल , जीत ना सकते बाहर ।।

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मंगलवार, जनवरी 03, 2012

पहले ही दिन बैकफुट पर टीम इंडिया

पहले दिन के आधार पर किसी टेस्ट के परिणाम की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, ऐसे में यह कहना तर्क संगत नहीं होगा कि सिडनी टेस्ट में भारतीय टीम हार की ओर बढ़ रही है. हाँ, इतना कहा जा सकता है कि भारतीय टीम बैकफुट पर चली गई है और इस स्थिति से निकलने के लिए करिश्माई प्रदर्शन की जरूरत है. 
                  सिडनी टेस्ट में भारत की संभावनों का काफी शोर था. सचिन के लिए यह मैदान विशेष अर्थ रखता है, ऐसा भी प्रचार था, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने घुटने टेकने का क्रम जारी रखा. न किसी बल्लेबाज ने बड़ी पारी खेली ओर न ही कोई बड़ी सांझेदारी हुई. परिणाम स्वरूप टीम दो सौ से पहले ही सिमट गई. अब दवाब भारतीय गेंदबाजों पर है. आस्ट्रेलिया को 250 रनों के भीतर रोकना जरूरी है. अगर ऐसा न हो पाया तो भारतीय टीम के मैच जीतने की कोई संभावना शेष नहीं रह जाएगी.
                     दूसरे दिन का पहला घंटा बेहद महत्वपूर्ण है. अगर इस दौरान दो-तीन विकेट मिल गए तो आस्ट्रेलियाई टीम को जल्दी समेटा जा सकता है, अगर ऐसा न हुआ तो आस्ट्रेलियाई टीम बड़ी बढत बनाकर मैच को एक तरफा कर देगी. ऐसी हालत में तो मैच के चौथे दिन में जाने के आसार भी कम ही दिखते हैं. 
                  रणनीति के तौर भी कुछ गलती हुई लगती है. भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया, यह जानते हुए कि भारतीय बल्लेबाज लगातार लचर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में पहले दिन खुद बल्लेबाजी करने से हर हाल में बचना चाहिए था. चौथी पारी में भी भारतीय प्रदर्शन अच्छा नहीं, संभव है इसी को देखकर यह फैसला लिया गया हो, लेकिन चौथी पारी में खेलने का खतरा पहली पारी में खेलने से कम खतरनाक था, फिर दूसरी पारी में अच्छी बल्लेबाजी की उम्मीद की जा सकती थी. भारत अगर आस्ट्रेलिया को पहले खिलाकर बाद में उससे कुछ बढत ले लेता तो चौथी पारी आसान हो जाती. लेकिन कप्तान की सोच दूसरी थी. उसने उम्मीद की होगी कि भारतीय बल्लेबाज़ बड़ा स्कोर बनाकर दवाब बनाएँगे, लेकिन यह भारतीय मैदान न होकर आस्ट्रेलियाई मैदान था ओर इसी का हौवा बल्लेबाजों पर भारी पड़ा. भारतीय टीम के लिए दूसरा दिन करो या मरो का होगा ओर पहला सत्र ही बता देगा कि भारत मैच में संघर्ष कर सकता है या खेल खत्म हो गया है.


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सोमवार, जनवरी 02, 2012

क्या सिडनी में टूटेगा हार का सिलसिला ?

भारतीय टीम इंग्लैण्ड में मिली हार के सिलसिले को आस्ट्रेलिया में भी नहीं तोड़ पाई. खेल में जीत - हार खेल के अंग हैं, ऐसे में भारतीय टीम के मेलबोर्न में हारने में कोई अचम्भा नहीं होना चाहिए. लेकिन भारत इंग्लैण्ड से लेकर आस्ट्रेलिया तक जिस तरीके से हार रहा है, वह निश्चित रूप से चिंताजनक है. भारतीय टीम में विश्व विख्यात बल्लेबाज हैं, लेकिन वे विपक्षी गेंदबाजों के आगे घुटने टेकते आ रहे हैं. 
             मेलबोर्न में यही हुआ. भारतीय बल्लेबाजों ने पहली पारी में थोडा संघर्ष तो किया, लेकिन वे साधारण से स्कोर को पार नहीं कर पाए. दरअसल यहीं से उन्होंने मैच से अपनी पकड़ गंवा दी. अगर भारत पहली पारी में बढत ले लेता तो मैच का परिणाम कुछ ओर होता. इसके बावजूद दूसरी पारी में भी कोई असंभव लक्ष्य नहीं था, लेकिन भारतीय टीम ने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया. अश्विन और यादव ने बल्लेबाजों से अच्छी बल्लेबाजी की, इसे आप सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य. 
                      अब अगला मुकाबला सिडनी में है. भले आंकड़ों में कुछ भी कहा जाए, भारत को जीतने के लिए यहाँ काफी संघर्ष करना होगा. जीत के दो ही तरीके हैं पहला गेंदबाज़ कोई करिश्माई प्रदर्शन करके आस्ट्रेलिया को कम-से-कम एक पारी में उस तरह से ध्वस्त कर दें जैसे इस समय द.अफ्रीका में चल रही श्रृंखला में श्रीलंका ने दूसरे टेस्ट में द. अफ्रीका को पहली पारी में ध्वस्त किया था. वैसे यह संभावना काफी कमजोर है, क्योंकि भारतीय गेंदबाजी सामान्य दर्जे की है और जिस तरीके का प्रदर्शन उन्होंने मेलबोर्न में किया वैसा प्रदर्शन वह जारी रखें तो बहुत बड़ी बात होगी. इस श्रृंखला का फैसला भारतीय बल्लेबाजों को ही करना होगा और जिस टेस्ट में वह पहली पारी में बढत लेने में कामयाब हो गए वह टेस्ट भारत की झोली में पड़ सकता है. यही दूसरा तरीका है.
                    सचिन का महाशतक इस समय मुख्य विषय बना हुआ है. निस्संदेह सचिन इस उपलब्धि के हकदार हैं, लेकिन महाशतक उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना कि विदेशी जमीन पर हार के सिलसिले को रोकना. सिडनी में यह चुनौती भारतीय टीम के सामने है देखना है कि वे इस मैच में हार के सिलसिले को तोड़कर श्रृंखला को जीवंत रख पाएंगे या नही. यह मैच श्रृंखला का परिणाम तय करेगा. अगर भारत यह मैच हार गया तो श्रृंखला हारना निश्चित है. भारतीय टीम से किसी करिश्मे की उम्मीद देश के क्रिकेट प्रेमियों को है, लेकिन इन्तजार लम्बा होता जा रहा है. सिडनी में ये हो पाएगा , ऐसी कामना सबको है. 


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बुधवार, दिसंबर 28, 2011

रोमांचक मोड़ पर आया मेलबोर्न टेस्ट

मेलबोर्न टेस्ट के तीसरे दिन भारत के पास बढत लेने का सुनहरा अवसर था, लेकिन वही हुआ जिसका डर था. भारतीय बल्लेबाज़ी के दिग्गज बल्लेबाज सुब्ह के समय की पिच की ताजगी को नहीं संभाल पाए. आशा थी कि यदि इशांत शर्मा पिच पर समय बिताएँगे तो बल्लेबाजों का काम आसान हो जाएगा. इशांत ने अपना काम बखूबी निभाया भी, लेकिन उस छोर से जिस पर प्रमुख बल्लेबाज बल्लेबाजी कर रहे थे किसी से पिच पर रुका नहीं गया. आखिर में अश्विन ने स्कोर को आस्ट्रेलियाई स्कोर के नजदीक पहुँचाने की भरसक कोशिश की. 
                   पहली पारी के आधार पर तो भारत ने मैच गंवा ही दिया था, लेकिन गेंदबाजों ने संघर्ष जारी रखा. उमेश यादव और जहीर खान के बेहतरीन प्रदर्शन से भारत संघर्ष करता दिख रहा है और अभी तक वह मैच से बाहर नहीं हुआ है. शायद चौथा दिन टेस्ट का अंतिम दिन हो, क्योंकि तीसरे दिन को देखकर लग रहा है कि यह मैच पांचवें दिन तक नहीं जाएगा. भारत इस समय 230 रन से पिछड़ रहा है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आस्ट्रेलिया ने आठ विकेट गंवा दिए हैं. हालांकि एक छोर पर हस्सी बल्लेबाज़ी कर रहे हैं, लेकिन दूसरे छोर पर गेंदबाज़ हैं. जिस प्रकार पहले तीनों दिनों में पहले घंटे में विकेट गिरे हैं, वैसे आस्ट्रेलियाई पारी चौथे दिन जल्दी सिमट सकती है. यदि भारतीय गेंदबाज़ तीसरे दिन के प्रदर्शन को जारी रख पाए तो भारत को लगभग 260 रन का लक्ष्य मिलना चाहिए और यह असंभव नहीं होना चाहिए, लेकिन भारतीय बल्लेबाजी के पहली पारी के प्रदर्शन को देखते हुए यह काफी मुश्किल दिख रहा है.
               फिलहाल यह टेस्ट रोमांचक मोड़ पर है और इस टेस्ट की जो स्थिति है उसके अनुसार भारत के जीतने की संभावना भी उतनी ही प्रबल है, जितनी की हारने की. भारत अगर यह टेस्ट यहाँ से गंवाता है तो इस श्रृंखला का वैसा ही हश्र हो सकता है जैसा कि इंग्लैण्ड में हुआ था क्योंकि आस्ट्रेलियाई टीम अपनी धरती पर बार-बार ऐसे अवसर मुहैया करवाएगी यह सोचना गलतफहमी होगा. भारतीय बल्लेबाज को अपनी पूरी क्षमता को इस मैच में झोंकना होगा. यदि भारत यह मैच जीत गया तो निश्चित रूप से भारत को बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा जो पूरी श्रृंखला के लिए एक टोनिक का काम करेगा. 

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मंगलवार, दिसंबर 27, 2011

क्या अच्छी शुरुआत को भुना पाएगी टीम इंडिया

मेलबोर्न टेस्ट का दूसरा दिन टेस्ट के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था और भारतीय टीम ने इस दिन भी मजबूत उपस्थिति दर्ज की. अगर अंतिम क्षणों में भारत ने सचिन का विकेट न खोया होता तो इस दिन का खेल भारत के पक्ष में झुका दिखता. वैसे अभी तक टेस्ट संतुलित है. देखना है टेस्ट का वो कौन सा दिन होगा जब टेस्ट किसी एक टीम की तरफ झुकेगा. वैसे यह दिन जितनी दूर खिंचता जाएगा टेस्ट उतना ही रोमांचक होता जाएगा, लेकिन भारतीय होने के नाते हम चाहेंगे कि तीसरा दिन भारत के पक्ष में रहे.
             दूसरे दिन के खेल की समाप्ति पर भारत 119 रन से पिछड़ा हुआ है और उसके सात विकेट शेष हैं. द्रविड़ अभी भी पिच पर जमे हुए हैं. नाईट वाचमैन के रूप में उतरे इशांत शर्मा को तीसरे दिन ज्यादा से ज्यादा समय पिच पर बिताकर टीम को मदद पहुँचानी होगी क्योंकि सुब्ह के वक्त गेंदबाजों को अतिरिक्त मदद मिलती है. अगर इशांत पहला आधा घण्टा खेल गए तो आने वाले बल्लेबाजों के लिए काम आसान हो जाएगा. भारत के तीनों आक्रामक बल्लेबाज़ आउट हो चुके हैं. अब द्रविड़, लक्ष्मण और कोहली को पिच पर समय बिताना होगा. इसके बाद धोनी और अश्विन हैं ही. भारत एक ही स्थिति में मैच जीत सकता है, वो है पहली पारी में अच्छी बढत. अगर भारत को बढत न मिली या बहुत कम मिली तो आस्ट्रेलियाई टीम के पास मैच जीतने के अवसर बहुत बढ़ जाएंगे. उस स्थिति में सिर्फ गेंदबाज़ ही भारत को बचा पाएंगे. पहली पारी के प्रदर्शन के आधार पर तो गेंदबाजों से भी उम्मीद की जा सकती है कि वे तीसरी पारी में आस्ट्रेलिया को जल्दी समेट देंगे, लेकिन भारतीय टीम की असली ताकत बल्लेबाजी है और बल्लेबाजों को ही ऐसा प्रदर्शन करना होगा कि मैच उनके पक्ष में आ जाए. चौथी पारी में यह बहुत मुश्किल है लेकिन दूसरी पारी में यह संभव है. सहवाग, सचिन और द्रविड़ ने आधार भी तैयार कर दिया है. अब सिर्फ एक शतकीय सांझेदारी मैच को भारत के पक्ष में झुका सकती है.
              पहले दिन के अंत में आस्ट्रेलिया भी अच्छी स्थिति में था लेकिन दूसरे दिन के शुरुआती घंटे में ही भारत ने जबर्दस्त वापिसी की. दूसरे दिन के अंत में भारत अच्छी स्थिति में है, अब देखना यह है कि क्या भारतीय टीम तीसरे दिन की शुरुआत में आस्ट्रेलिया को वापिसी का मौका देगी या नहीं. अगर भारतीय टीम पहले घंटे की इस चुनौती को पार पर गए तो संभव है तीसरा दिन भारत के नाम रहे.


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सोमवार, दिसंबर 26, 2011

दूसरा दिन होगा महत्वपूर्ण

मेलबोर्न टेस्ट का पहला दिन दोनों टीमों के लिए  संतोषजनक रहा. भारतीय टीम छः विकेट लेने में सफल रही तो आस्ट्रेलियाई टीम ने भी 277 रन बनाकर अपनी स्थिति को संतोषजनक बनाए रखा. भारतीय टीम के लिए अच्छी खबर यह रही कि उसके प्रमुख तेज गेंदबाज़ मैदान पर उतरे. जहीर ने एक अच्छे ओवर के द्वारा टीम आस्ट्रलिया को बैक फुट पर धकेल दिया. उमेश यादव हालांकि सबसे अधिक सफल रहे लेकिन उसने रन भी सबसे अधिक दिए. अश्विन और उमेश ने लगभग हर ओवर में एक-दो कमजोर गेंदे फैंक अपनी मेहनत पर पानी फेरा. फिर भी भारतीय स्थिति अच्छी ही कही जा सकती है. आस्ट्रेलियाई टीम धावा बोलने की स्थिति में नहीं आई. यह भारत की पहली कामयाबी है. भारत को आस्ट्रेलियाई टीम के बचे हुए चार विकेट दूसरे दिन जल्दी निकालने होंगे और उन्हें 350 के भीतर रोकना होगा. अगर भारतीय गेंदबाज़ ऐसा कर पाए तो वो सही अर्थों में अपने कार्य को अंजाम देना होगा.
                    मैच का परिणाम क्या होगा, इसका फैसला भारतीय बल्लेबाजी ही तय करेगी. भारतीय बल्लेबाज पहली पारी में बड़ा स्कोर बनाकर आस्ट्रेलिया पर दवाब बना सकते हैं. टेस्ट जीतने की सोचना अच्छी बात है, लेकिन मेरा मानना है कि पहले टेस्ट को बचाना जरूरी होता है. आपके मन में यह निश्चित धारणा होनी चाहिए कि पहले उस स्थिति में पहुंचा जाए यहाँ से हार का डर समाप्त हो जाए और फिर हल्ला बोला जाना चाहिए. भारतीय बल्लेबाजों को रन बनाने के साथ साथ पिच पर ज्यादा वक्त भी गुजारना होगा. विशेषकर द्रविड़, लक्ष्मण और कोहली को यह जिम्मेदारी लेनी होगी. सहवाग, गंभीर और तेंदुलकर आक्रामक हैं ही. उन्हें तेज खेलने की छूट के साथ शेष खिलाडियों को विकेट पर पैर जमाने होंगे भले रन औसत कम हो जाए. द्रविड़ के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं. वे अक्सर धीमी और मजबूत पारी खेलते हैं. लक्ष्मण की गिनती भी ऐसे ही बल्लेबाजों में होती है जो लम्बे समय तक टिक सकते हैं. कोहली को भी खुद को इसी श्रेणी में लाना होगा. भारतीय बल्लेबाज जितना ज्यादा समय पिच पर गुजारेंगे भारत के मैच में बने रहने की संभावना उतनी ही अधिक है.
                     प्रथम टेस्ट का दूसरा दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि यही बताएगा कि भारतीय गेंदबाज़ आस्ट्रेलियाई पारी को कितने पर सिमेटते हैं. इसके बाद निश्चित रूप से भारतीय बल्लेबाज भी अपनी पारी की शुरुआत करेंगे, वे आस्ट्रेलियाई पेस बैटरी का सामना कैसे करते हैं , इसका फैसला भी दूसरे दिन ही होगा. पहले दिन संतुलित नजर आ रहा टेस्ट दूसरे दिन किसी एक टीम की तरफ जा सकता है. कौन सी टीम इसे अपनी तरफ खीचने में सफल होती है, अब यही देखना है. 


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रविवार, दिसंबर 25, 2011

अब भिडंत दो पूर्व नंबर वन टीमों की

भारतीय क्रिकेट टीम अपने आस्ट्रेलियाई दौरे की शुरुआत बाक्सिंग डे पर मेलबोर्न टेस्ट से कर रही है. दोनों टीमें टेस्ट रैंकिंग में नम्बर एक रह चुकी हैं. आस्ट्रेलियाई टीम की लम्बे समय से चली आ रही बादशाहत के बाद भारत भी कुछ समय तक शीर्ष पर विराजमान रहा. लेकिन विदेशी दौरों में कमजोर प्रदर्शन उसके साथ जुडा रहा, हालांकि पिछले कुछ समय से सुधार दिखा था लेकिन इसी वर्ष इंग्लैण्ड का दौरा बेहद खराब गुजरा . इसी दौरे में भारतीय टीम ने नम्बर वन का ताज गंवाया. इंग्लैण्ड दौरे के बाद भारत का पहला विदेशी दौरा है. भारत के सभी प्रमुख खिलाडी इस दौरे पर  टीम के साथ हैं, विशेषकर बल्लेबाजी में भारत पूरी ताकत के साथ उतरेगा. इंग्लैण्ड दौरे में हार का प्रमुख कारण बल्लेबाज ही थे.  टेस्ट मैच में बल्लेबाजी मजबूत होना बेहद जरूरी होता है क्योंकि यदि गेंदबाज सफल नहीं रहते तो भी बल्लेबाज मैच बचा सकते हैं, लेकिन बल्लेबाजों के हथियार डाल देने पर मैच बचाना भी मुश्किल हो जाता है जीतना तो दूर की बात रही. यह निश्चित है कि जीतने के लिए बल्लेबाजी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण सभी में अच्छा प्रदर्शन अनिवार्य है, लेकिन मैच बचाने के लिए अकेली बल्लेबाज़ी ही काफी रहती है. नाम के आधार पर बड़े नाम भारतीय टीम में हैं. इंग्लैण्ड दौरे में ये नाम एक साथ नहीं खेल पाए थे. पिछला आस्ट्रेलियाई दौरे में भी गांगुली को छोडकर यही बल्लेबाजी क्रम था. पिछले दौरे में भारत ने जबरदस्त टक्कर देते हुए श्रृंखला बराबरी पर समाप्त की थी. इस बार देखना है भारतीय टीम क्या गुल खिलाएगी. 
                    आस्ट्रेलियाई टीम पिछले कुछ समय से बुरे दौर से गुजर रही है. हाल ही में वे न्यूजीलैंड से लगभग जीता हुआ टेस्ट हार गए. रैंकिंग में उनका चौथे स्थान पर होना भी उनके हाल की दास्ताँ सुना रहा है. न्यूजीलैंड से हार का भारत फायदा उठा पाएगा या नहीं यह देखना है. वैसे आस्ट्रेलियाई मीडिया में इस हार की बहुत आलोचना हुई थी और टीम घायल शेर की तरह है. वह भारत को कुचलकर अपनी गिरी हुई साख को बहाल करना चाहेगी. 
                   दोनों टीमें तेज गति से रन बनाने में यकीन रखती हैं. सारे दिन में दो-तीन विकेट के नुकसान पर लगभग दो सौ रन - ऐसा प्रदर्शन करने में न तो भारतीय टीम यकीन रखती है न ही आस्ट्रेलियाई. वे या तो आउट होंगे या फिर विशाल स्कोर बनाएँगे. ऐसे में मैच का परिणाम निकलने की संभावना बढ़ जाती है. यदि मौसम ने खलल न डाली तो निश्चित रूप से चारों मैचों के परिणाम निकलेंगे जो क्रिकेट के लिए अच्छी खबर है. 
                  भारतीय टीम को शुरुआत में ही सम्भलकर खेलना होगा क्योंकि आस्ट्रेलियाई टीम पहले दिन ही विपक्षी को मैच से बाहर करने में यकीन रखती है और कई सालों से ऐसा करती भी आई है. अगर भारत ने शुरुआत में डटकर मुकाबला किया तो निश्चित रूप से आस्ट्रेलिया टीम दवाब में आ जाएगी क्योंकि जब-जब कोई टीम उनके सामने डटकर खड़ी हुई है तब-तब आस्ट्रेलियाई दवाब में आए हैं. गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने ही उनके विजय अभियान को रोका था और भारतीय टीम ने ही सिद्ध किया था कि आस्ट्रेलिया टीम अजेय नहीं है. देखना यही है क्या भारत इस बार भी वैसी टक्कर दे पाएगा या नहीं जैसी टक्कर उसने 2001 से हर श्रृंखला में दी है.

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