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रविवार, अप्रैल 03, 2011

सच हुआ सपना

28 वर्ष बाद वो ऐतिहासिक घड़ी आ ही गई , जब भारत ने दोबारा विश्व कप को चूमा . टीम इंडिया इसके लिए बधाई की पात्र है . उन्होंने जिस तरीके से आस्ट्रेलिया , पाकिस्तान और श्रीलंका को हराया वो सामूहिक प्रयास का ही नतीजा था .फाइनल की जीत तो लाजवाब थी  बल्लेबाज़ी में असफल चल रहे कप्तान धोनी ने भी फार्म में लौटने के लिए सही दिन चुना और कप्तानी पारी खेलकर टीम को चैम्पियन बनाया . गंभीर ने भी इस मैच में शानदार 97 रन बनाए . भारतीय टीम का फाइनल में क्षेत्ररक्षण का स्तर भी बहुत ऊँचा रहा . सहवाग -सचिन के जल्दी आउट होने के बाद कोहली ,गंभीर ,धोनी , युवराज ने जीत सुनिश्चित करके ही दम लिया .
            पूरे टूर्नामैंट को देखें तो सभी खिलाडियों ने अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया . युवराज़ का श्रेष्ट खिलाडी चुना जाना उसके उपयोगी खिलाडी होने का सबूत है . सचिन सर्वाधिक रन बनाने वालों में दूसरे स्थान पर रहे . जहीर ने सर्वाधिक विकेट चटखाए .हरभजन , मुनाफ , अश्विन , नेहरा ने उपयोगी गेंदबाज़ी की , सारे बल्लेबाज़ तो रंग में थे ही . कुलमिलाकर पन्द्रह सदस्यी दल में कोई भी खिलाडी कमजोर कड़ी साबित नहीं हुआ . सभी खिलाडी पूरे टूर्नामैंट में फिट रहे यह भी बड़ी बात है . 
                 खिलाडियों के साथ कोच और अन्य स्टाफ के योगदान को भी नहीं भूला जाना चाहिए . कोच गैरी को बिखरी हुई टीम मिली थी , जिसे उसने पर्दे के पीछे रहकर संवारा . उन्होंने कभी भी ग्रेग चैपल की तरह सुर्ख़ियों में आने की कोशिश नहीं की , यही कारण है कि वे विवादों से बचे रहे और टीम और कप्तान के साथ उनका तालमेल बना रहा . गैरी का यह भारतीय टीम के साथ अंतिम मैच था . भारतीय टीम ने उसे शानदार विदाई दी है .
           इस मैच के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हुआ . मुरलीधरन की फिरकी अब अंतर्राष्ट्रीय मैचों में नहीं दिखेगी . हालाँकि उनकी विदाई विश्व कप के साथ नहीं हो पाई , फिर भी इस महान खिलाडी को सलाम किया जाना चाहिए . मुरली की तरह ही शायद यह सचिन का भी अंतिम विश्व कप माना जा रहा है . इस आखरी मैच में सचिन-मुरली की भिडंत तो नहीं हो पाई लेकिन सचिन का सपना जरूर पूरा हुआ .सचिन अभी खेल रहे हैं और क्रिकेट प्रेमी उनसे एकदिवसीय मैचों में पचास शतक और बीस हजार रन बनाए जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं .यह पड़ाव बहुत दूर भी नहीं है , लेकिन इतना सच है कि सचिन बहुत लम्बा नहीं खेल पाएंगे . टीम इंडिया का भविष्य युवा खिलाडी हैं .और भारत का विश्व चैम्पियन बनना और इसमें युवाओं का योगदान देखते हुए लग रहा है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है .भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर पूरे देश को बधाई .

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बुधवार, मार्च 30, 2011

अब होगा विश्व कप का अंतिम मुकाबला

इंतजार  समाप्त होने को आया है.विश्व कप अपने चरम पर पहुंच चुका है.दो एशियाई टीमें विश्व कप के फाइनल में हैं .विश्व क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ. इससे भी अधिक ख़ुशी की बात यह है कि भारतीय टीम उन दो टीमों में से एक है और भारत ने यह गौरव हासिल किया है मोहाली के महासंग्राम में चिरप्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान को हराकर.भारतीय टीम का अपेक्षाकृत कम स्कोर बनाने के बाद मैच जीतना निस्संदेह उसके हौसलों को बढ़ाएगा . पाकिस्तान के खिलाफ अच्छी शुरुआत के बावजूद बल्लेबाज़ विशाल स्कोर नहीं खड़ा कर पाए. गंभीर जिस तरीके से अपनी विकेट फैंक रहे हैं, उस पर विचार करना होगा. इस मैच में निचले बल्लेबाजों ने रन बनाए यह एक अच्छा संकेत है. बल्लेबाज़ी में हुई गलतियों को सुधारते हुए आगे बढना होगा.श्रीलंका भी एक कठिन प्रतिद्वन्द्वी है.श्रीलंका के ओपनर जबर्दस्त फार्म में हैं.इसके बाद कप्तान संगकारा और जयवर्धने भी अच्छी लय में हैं.अगर श्रीलंका से जीतना है तो इन चारों को जल्दी समेटना होगा.गेंदबाज़ी में मुरली,मलिंगा, मेंडिस के जाल से बचना होगा.भारतीय स्पिन के अच्छे खिलाडी है और  श्रीलंका का मध्यक्रम बहुत ज्यादा मजबूत नहीं यह बात भारत के पक्ष में जाती है.भारतीय टीम ने सेमी फाइनल  में अश्विन की जगह नेहरा को खिलाया.नेहरा का प्रदर्शन शानदार रहा.अब फाइनल में नेहरा या अश्विन में से एक को चुनना होगा.कप्तान को इस मामले में भावनाओं से उपर उठकर फैसला लेना होगा क्योंकि मुंबई की पिच मोहाली जैसी नहीं होगी. क्वार्टर फाइनल में अश्विन ने अच्छी गेंदबाज़ी की थी, मोहाली की पिच को देखते ही उसे सेमी फाइनल में नहीं खिलाया गया,यह फैसला सही सिद्ध हुआ,इसी प्रकार फाइनल हेतु ग्यारहवें खिलाडी का चयन करना होगा.
               भारत 1983 के बाद 2003 में भी विश्व कप का फाइनल खेल चुका है.2003 में टीम का फाइनल तक का सफर बेहतरीन था लेकिन टीम फाइनल के दवाब को नहीं झेल पाई थी,दवाब इस बार भी होगा और घरेलू मैदान पर खेलने के कारण यह कहीं अधिक होगा,ऐसे में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है.देश प्रेमी तो यही उम्मीद कर रहे हैं कि धोनी कपिल के इतिहास को दोहराएंगे.देखना यह है कि ऐसा हो पाएगा या नहीं.

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    गुरुवार, मार्च 24, 2011

    मोहाली में होगा महासंग्राम

    भारत पाकिस्तान के बीच हर मुकाबला बड़ा होता है और जब बात क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल की हो तो यह कितना बड़ा मैच होगा इसका अंदाज़ा आप स्वयं ही लगा सकते हैं . काबिले गौर बात यह है कि भारत ने यह मुकाबला खेलने का हक विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया को हरा कर प्राप्त किया है  . क्वार्टर फाइनल में भारतीय टीम ने जिस प्रकार का प्रदर्शन किया उसकी तारीफ़ होनी ही चाहिए . पहले गेंदबाजों ने अच्छा काम किया फिर बल्लेबाजों ने सामूहिक प्रयास से जीत सुनिश्चित कर दी . युवराज़ सिंह तो विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं . वे गेंद और बल्ले दोनों से कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं . रैना को रंग में वापिस आते देख अच्छा लगा . अब धोनी को छोड़ सभी बल्लेबाज़ जबरदस्त फार्म में हैं , धोनी को भी बड़े मुकाबलों हेतु खुद को तैयार करना होगा .
                 इस मैच का एक और महत्वपूर्ण पहलू सचिन का गेंदबाज़ी करना रहा . सचिन बहुत उपयोगी गेंदबाज़ रहे हैं लेकिन चोटिल होने के बाद उन्होंनें गेंदबाज़ी से परहेज़ कर लिया था , लेकिन " विश्व कप जीतने के लिए  कुछ भी करेगा " की तर्ज़ पर सचिन ने पुन: गेंद पकड़ी . सचिन से गेंदबाज़ी करवाए जाने के विकल्प ने रैना को टीम में स्थान दिलाया और रैना ने अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी .
                टीम इंडिया ने इस विश्व कप में पहले बंगलादेश से 2007 का हिसाब चुकता किया और फिर आस्ट्रेलिया से 2003 का . अब पाकिस्तान भारत से 1996 का हिसाब चुकता करने की फिराक में होगा . वैसे विश्व कप में पाकिस्तान भारत को कभी भी हरा नहीं पाया , लेकिन ये सब इतिहास है , इसका वर्तमान से कुछ लेना-देना नहीं . टीम इंडिया को मोहाली में मोटेरा का प्रदर्शन दोहराना ही होगा .

    रविवार, मार्च 20, 2011

    भारत भिड़ेगा आस्ट्रेलिया से

    लगभग महीने भर चला विश्व कप का प्रथम राउंड समाप्त हो गया है . जिन टीमों के क्वार्टर फाइनल में खेलने की संभावना थी वही आठ टीमें दूसरे राउंड में पहुंची हैं . इस दृष्टिकोण से देंखें तो यह महीने भर की कसरत कोई विशेष असर नहीं छोड़ पाई , लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इस दौरान कई रोमांचक मैच देखने को मिले , ग्रुप " बी " में इंग्लैण्ड के प्रदर्शन ने थोडा रोमांच पैदा किया लेकिन आखिर में वह संभलने में कामयाब रही . वेस्ट इंडीज की टीम भी रन औसत से ही दूसरे दौर में पहुंची . बंगलादेश का वेस्ट इंडीज के हाथों बुरी तरह हारना उन्हें भारी पड़ा . अगर उस मैच में वे अच्छा प्रदर्शन कर पाते तो शायद वे भी दूसरे दौर के दावेदार होते .
                अब विश्व कप का नॉक आउट दौर शुरू हो चुका है , गलती करके संभलने की कोई गुंजाइश अब शेष नहीं है .क्वार्टर फाइनल मुकाबलों में द.अफ्रीका का मुकाबला न्यूज़ीलैंड से , भारत का आस्ट्रेलिया से , इंग्लैण्ड का श्रीलंका से और वेस्टइंडीज का पाकिस्तान से होगा . ये सभी टीमें अपने दिन किसी भी टीम पर भारी पड़ सकती हैं , ऐसे में भविष्यवाणी की कोई संभावना नहीं है . यहाँ तक भारत का सवाल है उसका मुकाबला पिछले तीन विश्व कप की विजेता और नं . 1 टीम से है . 2003 के विश्व कप के फाइनल में भारत आस्ट्रेलिया से मात खा चुका है . पाकिस्तान के हाथों लीग चरण के अंतिम मैच में हारने के कारण वह घायल शेर की तरह है , ऐसे में भारत को विशेष सावधानी की जरूरत है . उधर भारत की समस्या गेंदबाज़ी तो है ही , अंतिम ओवरों में टीम का ताश के पत्तों की तरह बिखरना भी है . टीम के लिए एकमात्र अच्छी खबर यही है कि उपरी क्रम के पहले पाँचों बल्लेबाज़ रंग में हैं . नॉक आउट दौर में इन पाँचों को टीम की नैया पार लगानी होगी  . युसूफ और धोनी को भी अपनी बल्लेबाज़ी पर काम करना चाहिए , हरभजन और जहीर भी बल्ले से पूरी तरह नाकाम रहे हैं , यदि इन्हें बल्लेबाज़ी के लिए उतरना पड़ता है तो इन्हें इस तरीके से खेलना होगा कि टीम अपने पूरे ओवर खेल सके . द.अफ्रीका और वेस्ट इंडीज के खिलाफ टीम अपने ओवर नहीं खेल पाई . नॉक आउट चरण में इस गलती से बचना होगा . गेंदबाज़ी में अश्विन अच्छा विकल्प हो सकते हैं . मोटेरा में भारतीय टीम जोहान्सबर्ग का बदला ले पाएगी , ऐसी उम्मीद क्रिकेट प्रेमियों को है , देखना है क्या भारतीय टीम इस उम्मीद पर खरा उतर पाएगी ?

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    गुरुवार, मार्च 17, 2011

    ग्रुप 'बी' में बरकरार है रोमांच

    विश्व कप जैसे मुकाबले में मज़ा तब ही आता है जब अंतिम क्षण तक यह निश्चित न हो कि कौन - सी टीमें दूसरे दौर में होंगी . क्रिकेट प्रेमियों को धन्यवाद देना चाहिए इंग्लैण्ड के उतार-चढ़ाव भरे प्रदर्शन को जिसने ग्रुप ' बी ' में जान फूंक दी है . इंग्लैण्ड ने अपने सभी मैच संघर्षपूर्ण खेले हैं . भारत के साथ टाई मैच हो या आयरलैंड और बंगलादेश से मिली हार हो या फिर हारते-हारते द.अफ्रीका और वेस्ट इंडीज से जीते मैच हों .इंग्लैण्ड की टीम अब दूसरे दौर में पहुंच सकती है और अगर वह दूसरे दौर में पहुंचती है तो बेहद घातक सिद्ध होगी क्योंकि उसमें संघर्ष का जज्बा पैदा हो चुका है .
              इंग्लैण्ड की वेस्ट इंडीज पर जीत ने ग्रुप 'बी' में नए समीकरण बना दिए हैं . अगर-मगर की बात करें तो भारत का क्वार्टर फाइनल में पहुंचना निश्चित नहीं रह गया है ,लेकिन मुझे लगता है कि यह बंगलादेश की उम्मीदों पर तुषारापात है क्योंकि बंगलादेश का अगला मैच द.अफ्रीका से है और कोई करिश्मा ही बंगलादेश को जीत दिला सकता है , हालाँकि बंगलादेश ने इंग्लैण्ड को हराया है लेकिन द.अफ्रीका एक मजबूत टीम है और बार-बार करिश्मे करने के लिए जिस निरन्तरता की जरूरत होती है बंगलादेश की टीम में उसका नितांत अभाव है .  बंगलादेश सिर्फ जीत कर ही उल्ट फेर कर सकता है . भारत के मैच से पहले सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी . वेस्ट इंडीज अगर भारत से हारता है तो रन औसत उसे बचा लेगा . कुलमिलाकर प्रमुख चारों टीमें अगले दौर में बढती नजर आ रही हैं . फिर भी आखरी फैसला बंगलादेश-द.अफ्रीका के मैच के बाद ही होगा .
                
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    रविवार, मार्च 13, 2011

    गलतियों से सीखना होगा

    भारतीय टीम बेशक क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी है लेकिन मजबूत टीमों से उसने दो मैच खेले हैं और एक भी नहीं जीता है . एक में उसे हार का सामना करना पड़ा तो दूसरा टाई रहा . द.अफ्रीका से हार बेहद निराशजनक है . अच्छी शुरुआत के बाद जिस तरीके से पारी सिमटी उस पर विचार करना ही होगा . पावर प्ले लेना गलत नहीं था क्योंकि सचिन-गंभीर अच्छा खेल रहे थे लेकिन विकेट गिरने के बाद नए बल्लेबाजों ने आते ही धूम-धडाका करना चाहा जो नहीं हो पाया , वो गलत था .आप कितने भी बड़े बल्लेबाज़ क्यों न हों बड़ी हिट लगाने के लिए पिच पर कुछ समय बिताना जरूरी होता है , इस बात को सभी खिलाडियों को समझना होगा .
             गेंदबाज़ी में द.अफ्रीका के खिलाफ भारत के पास श्रेष्ट आक्रमण था लेकिन वो तीन सौ  के लगभग स्कोर का भी बचाव नहीं कर पाए . आखिर मैच जीतने के लिए कितना बड़ा स्कोर सुरक्षित होगा ? बल्लेबाज़ हर बार चार सौ का स्कोर नहीं बना सकते , इस बात को ध्यान में रखना ही होगा . उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी लेनी ही होगी .
             भारत का अगला मैच वेस्ट इंडीज से है . यह मैच भी आसन नहीं होगा . गेंदबाजों को लय में आने का अंतिम अवसर होगा . इस मैच में अश्विन को भी आजमा लिया जाना चाहिए , हो सकता है उसके आने से कोई परिवर्तन हो जाए . अगर गेंदबाज़ी इस मैच में भी पटरी  पर न लौटी तो विश्व कप जीतने का सपना सपना ही रह जाएगा . हालाँकि बल्लेबाजों को भी सबक लेने की जरूरत है लेकिन गेंदबाज़ी इस समय सबसे ज्यादा चिंता का विषय है . कमजोर गेंदबाज़ी ही उन पर बहुत बड़ा स्कोर बनाने का दवाब डालती है और परिणाम वही होता है जो द.अफ्रीका के खिलाफ हुआ . द.अफ्रीका के खिलाफ बल्लेबाज़ 370 का स्कोर मानकर चले होंगे इसी से गडबड पैदा हुई . इस गलती को दोबारा दोहराने से बचना होगा . अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा . असली विश्व कप शुरू होने से पहले उन्हें एक मैच और खेलना है . देखना है टीम इण्डिया इस हार से क्या सबक सीखती है .    

    बुधवार, मार्च 09, 2011

    क्वार्टर फाइनल में पहुंचा भारत

    भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप का क्वार्टर फाइनल खेलेगी यह पहले से ही निश्चित था और नीदरलैंड से जीत के साथ ही इस बात की पुष्टि हो गई है . वैसे यह विश्व कप थ्री मैच कप है .जो टीम तीन मैच जीतेगी वह विश्व चैम्पियन होगी . पहला दौर विशेष अर्थ नहीं रखता है . विश्व कप के शुरू होने से पहले जिन आठ टीमों के दूसरे दौर में पहुंचने की संभावना थी आधा विश्व कप बीत जाने के बाद वही टीमें दूसरे दौर में पहुंचती लग रही हैं . कुछ रोमांचक मैच हुए हैं . आयरलैंड ने उलटफेर भी किया लेकिन अंतिम परिणाम में विशेष परिवर्तन नहीं आया है . पहले दौर की सारी माथापच्ची ग्रुप में स्थान निर्धारण के लिए है . स्थान निर्धारण भी महत्वपूर्ण होता अगर कोई कमजोर टीम दूसरे दौर में पहुंचती . क्रिकेट की पहली आठ टीमें मामूली अंतर की टीमें हैं जो अपना दिन होने पर किसी भी टीम को नाकों चने चबा सकती हैं . अब भारत को ही लो उसके लिए आस्ट्रेलिया , पाकिस्तान , श्रीलंका और न्यूजीलैंड में से कौन सी टीम ऐसी है जिससे वह आसानी से पार पा सकती है अर्थात ग्रुप में स्थान कोई भी हो क्वार्टर फाइनल आर-पार का ही होगा और इसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं होगी . इस बात को ध्यान में रखते ही टीम को आगामी मैच खेलने चाहिए . 
         नीदरलैंड के खिलाफ भी टीम प्रयोगों के मूड में थी . मैं इसे बहुत अच्छा मानता हूँ . द.अफ्रीका और वेस्ट इंडीज से जीतना भी है , साथ-ही-साथ कुछ नया भी करना है ताकि क्वार्टर फाइनल से पहले सारे विकल्प आजमाए जा चुके हों . रैना को अंतिम एकादश में खिलाया जाना बाकी है . खुदा न करे नॉक आउट दौर में कोई बल्लेबाज़  अनफिट हो जाए . ऐसी स्थिति से बचने के लिए रैना का मैच खेले होना जरूरी है . इसी प्रकार अश्विन का भी प्रयोग होना चाहिए .सहवाग से भी अभी तक गेंदबाज़ी नहीं करवाई गई , उसे भी कुछ ओवर दिए जाने चाहिए . हरभजन को बाहर बैठाया जा सकता है  क्योंकि हरभजन पूरे रंग में नहीं और कई बार ब्रेक कारगर सिद्ध होता है . भले ही हरभजन को विकेट नहीं मिल रहे लेकिन वह किफायती गेंदबाज़ी कर रहा है . एकदिवसीय मैच में विकेट लेना जितना महत्वपूर्ण है , किफायती गेंदबाज़ी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है . ऐसे में हरभजन को निराश नहीं होना चाहिए अपितु क्वार्टर फाइनल हेतु मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए .
                चावला को जितने मौके मिलने चाहिए थे वे मिल चुके हैं . अब उसे बाहर बैठना ही होगा . द.अफ्रीका के खिलाफ नेहरा , मुनाफ , श्रीसंथ और अश्विन के साथ उतरा जा सकता है . जहीर एकमात्र विश्वसनीय गेंदबाज़ हैं अत: उनका प्रयोग सावधानी से करना होगा . 
             टीम को जहाँ खुद को जीत के ट्रैक पर बनाए रखना है वहीं आर-पार के मैच के लिए अपनी ताकत भी बचाकर रखनी है . उचित एकादश की तलाश भी जारी है . सात बल्लेबाज़ निश्चित हो चुके हैं , अंतिम चार गेंदबाजों का चयन होना शेष है . शायद टीम महत्वपूर्ण मुकाबलों में तीन तेज़ गेंदबाजों से ही उतरे क्योंकि सहवाग , युवराज और पठान 15 ओवर कर सकते हैं, ऐसे में स्पिनर के 25 ओवर बन गए , फिर मुख्य स्पिनर कोई करिश्मा भी नहीं कर पा रहे  अत: एक स्पिनर ही काफी है . कुल मिलाकर कांटे की टक्कर नजदीक है . टीम को घरेलू दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एडी - चोटी का जोर लगाना ही होगा .
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    सोमवार, फ़रवरी 28, 2011

    क्या भारत दावेदार है ?

    भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप जीतने की प्रमुख दावेदार मानी जा रही है . यह बात भारतीय टीम को देखते हुए भी कही जा रही है और इसलिए भी कि विश्व कप का आयोजन भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहा है . परिस्थितियाँ उसके पक्ष में हैं , इसमें दो राय नहीं . बल्लेबाजों ने ताकत दिखा भी  दी है . तीन बल्लेबाज़ शतक लगा चुकें हैं , दो अर्धशतकीय पारी खेल चुके हैं , लेकिन इंग्लैण्ड के साथ खेले गए मैच में भारतीय टीम का विशाल स्कोर की रक्षा न कर पाना चिंताजनक है . हालाँकि भारत हारा नहीं और मैच बराबरी पर छूटा फिर भी भारत को यह मैच जीतना चाहिए था . इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय टीम वास्तव में विश्व कप जीतने की दावेदार है .
               विश्व कप जीतने के लिए टीम को संतुलित होना चाहिए . हर क्षेत्र में प्रभावी प्रदर्शन जरूरी है . भारतीय टीम सिर्फ बल्लेबाज़ी में मजबूत है . क्षेत्ररक्षण में कुछ खिलाडी अच्छे हैं , लेकिन पूरी टीम नहीं . गेंदबाजों की कमियां अभी तक हुए दोनों मैचों में दिखी हैं .पहले मैच में बंगलादेश तीन सौ के लगभग पहुंचा और दूसरे मैच में इंग्लैण्ड 338 रनों के वाबजूद मैच टाई करवाने में सफल रहा . एक क्षण तो यह मैच हाथ से निकलता हुआ लग रहा था . जहीर के एक ओवर ने मैच को पलटा , लेकिन चावला ने फिर मैच को हाथ से निकाल दिया . जहीर की गेंदबाज़ी इस मैच का सकारात्मक पहलू रही , लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता . दूसरे गेंदबाजों को जहीर का साथ देना ही होगा .
             मैच में दो स्पिनर खेलें या तीन तेज़ गेंदबाज़ यह एक अन्य यक्ष प्रश्न है . यहाँ तक अन्य टीमें जिनके स्पिनर भारतीय टीम के स्तर के नहीं वे भी तीन स्पिनरों से खेल रही हैं , ऐसे में भारत का दो स्पिनरों से खेलना बुरा नहीं , लेकिन यदि दो स्पिनर अंतिम एकादश में खिलाने हैं तो रणनीति बदलनी होगी . जहीर के ओवर अंतिम ओवरों हेतु बचाने जरूरी हैं . इंग्लैण्ड के मैच को ही लें यदि जहीर का एक ओवर और बचा होता तो मैच का परिणाम कुछ और होना था . जहीर के ओवर बचाने के लिए प्रथम पावर प्ले में स्पिनर से गेंदबाज़ी करवानी होगी . जब बोथा गेंदबाज़ी की शुरुआत कर सकता है तो हरभजन प्रथम पावर प्ले में गेंदबाज़ी क्यों नहीं कर सकता ? टीम को इस बारे में सोचना होगा .
            भारत को झटका लग चुका है और यह झटका टीम के लिए लाभदायक हो सकता है , बशर्ते वे अपनी कमियों , अपनी गलतियों के बारे में सोचें . गेंदबाज़ी में अपनी सीमाओं को समझते हुए गेंदबाज़ों का बेहतर प्रयोग टीम को विश्व कप का दावेदार बना सकता है .  

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    बुधवार, फ़रवरी 23, 2011

    रोमांचक होंगे अगले कुछ मैच

    भारत - इंग्लैण्ड की टीमें 27 फरवरी को आमने - सामने होंगी . दोनों टीमें अपना पहला मैच जीत चुकीं हैं , हालाँकि दोनों का प्रथम मैच अपेक्षाकृत कमजोर टीम से था . भारत ने प्रथम मैच आसानी से जीता , लेकिन इंग्लैण्ड को संघर्ष करना पड़ा . इंग्लैण्ड - नीदरलैंड के मैच से ही विश्व कप में रोमांचक मैचों की शुरुआत हुई है , नहीं तो शुरूआती सभी मैच एक तरफा थे . अब आगे के कुछ मैच फिर रोमांचक होने की सम्भावना है . भारत के मैच से पूर्व द.अफ्रीका का वेस्ट इंडीज से , आस्ट्रेलिया का न्यूज़ीलैंड से और पाकिस्तान का श्रीलंका से मैच है .ग्रुप में स्थान निर्धारण के दृष्टिकोण से ये सभी मैच महत्वपूर्ण होंगे . विश्व कप मुकाबलों में वेस्ट इंडीज की टीम द.अफ्रीका के लिए मुश्किल प्रतिद्वन्द्वी साबित होती रही है , लेकिन इस बार का मैच 1996 के विश्व कप की तरह आर-पार का मैच नहीं है अत: द.अफ्रीका पर दवाब नहीं होगा और वे मिशन वर्ल्ड कप की शुरुआत जीत से करने को आतुर होंगे . आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड दोनों अपने दूसरे मैच में आमने-सामने होंगे . आस्ट्रेलिया का पहला मैच उसके खुद के स्तर के अनुसार कुछ निराशाजनक था , वहीं न्यूज़ीलैंड एक तरफा जीत हासिल कर चुका है . न्यूज़ीलैंड - आस्ट्रेलिया के मैच वही दर्जा  रखते हैं जो भारत - पाकिस्तान के मैच . ऐसे में नजदीकी मुकाबला देखने को मिलेगा ऐसी पूरी सम्भावना है . पाकिस्तान - श्रीलंका का मैच भी कम रोमांचक नहीं होगा . हाँ श्रीलंका की टीम घरेलू स्थिति का लाभ उठाना चाहेगी .
                रही भारतीय दर्शकों की बात तो उन्हें भारत - इंग्लैण्ड के मैच का बेसब्री से इंतजार होगा . भारतीय टीम की ताकत बल्लेबाज़ी है , ये सभी जानते हैं , इसका नमूना वे पहले मैच में दिखा भी चुके हैं . उधर इंग्लैण्ड के गेंदबाज़ नीदरलैंड के खिलाफ धारहीन नजर आए , उन्हें भी बल्लेबाजों ने ही बचाया . भारतीय गेंदबाज़ी भी बहुत प्रभावशाली नहीं अत: यह मैच बल्लेबाजों का होना चाहिए . इस मैच में बड़े स्कोर की उम्मीद दर्शक कर सकते हैं . भारतीय टीम श्रीसंथ की जगह चावला या नेहरा को खिला सकती है . उसके गेंदबाजों को इस मैच में प्रभावपूर्ण प्रदर्शन करना ही होगा क्योंकि अकेली बल्लेबाज़ी से विश्व कप नहीं जीता जा सकता . भारतीय गेंदबाज़ कब रंग में लौटते हैं सबकी नजरें इसी तरफ हैं .
            
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    शनिवार, फ़रवरी 19, 2011

    जीत से शुरू किया मिशन वर्ल्ड कप

    जैसी की उम्मीद थी भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बंगलादेश को शिकस्त दी . भारत की बल्लेबाज़ी काबिले -तारीफ थी . सहवाग और कोहली के आगे बंगलादेशी गेंदबाज़ बेबस नजर आए . हालाँकि गेंदबाजों द्वारा 283 रन देना चिंताजनक है क्योंकि हर बार इतना बड़ा स्कोर नहीं बनेगा और अन्य मजबूत टीमें इससे भी बेहतर बल्लेबाज़ी करेंगी . अत: गेंदबाज़ी कमजोर कड़ी साबित हो सकती है . अगर भारतीय टीम विश्व कप जीतना चाहती है तो उसे हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करना होगा . भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंचेगी यह तो निश्चित है , लेकिन ग्रुप में सबसे ऊपर रहने हेतु प्रयास करना चाहिए ताकि क्वार्टर फाइनल में थोडा कमजोर प्रतिद्वन्द्वी मिल सके . यदि टीम नम्बर दो या तीन पर रहती है तो उसे पाकिस्तान या श्रीलंका से भिड़ना पड़ सकता है जो न्यूज़ीलैंड की अपेक्षा मुश्किल होगा .
                     भारत का अगला मैच 27 फरवरी को इंग्लैंड से है . भारत की टीम बढ़े हुए मनोबल से उतरेगी . शायद इस मैच में श्रीसंथ की जगह नेहरा या चावला को उतारा जाए . टीम को निर्णायक मैचों से पहले सही एकादश का निर्धारण करना होगा . श्रीसंथ बंगलादेश के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए .ऐसे में उनकी जगह किसी दूसरे गेंदबाज़ को आजमाया जाना चाहिए .
               यहाँ तक अन्य मैचों का प्रश्न है आगामी कुछ मैच जैसे न्यूज़ीलैंड-केन्या , श्रीलंका-कनाडा , आस्ट्रेलिया-जिम्बाव्बे ,इंग्लैण्ड-नीदरलैंड ,पाकिस्तान-केन्या , एकतरफा होने की सम्भावना है .अत: 23 फरवरी तक विश्व कप का रोमांच कुछ मद्धिम रहने की संभावना है .इसके बाद फिर कुछ अच्छे मैच देखने को मिलेंगे .
            

    शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2011

    कुशल रणनीति जरूरी है विश्व कप के लिए

    10 वें विश्व कप का विधिवत उदघाटन हो चुका है . भारतीय टीम बंगलादेश के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी . इस मैच को बदले के मैच के रूप में प्रचारित किया जा रहा है क्योंकि बंगलादेश ने 2007 के विश्व कप में भारत को हराकर विश्व कप से बाहर करवा दिया था . अब ऐसी स्थिति नहीं है . जीत-हार से विशेष अंतर नहीं पड़ने वाला क्योंकि दोनों टीमों के पास इसके बाद भी पाँच मैच होंगे और वापिसी का पूरा मौका होगा .
                        रैंकिंग के हिसाब से देखा जाए तो बंगलादेश विश्व की अन्य प्रमुख टीमों के मुकाबले में थोड़ी कमजोर टीम है .  हालाँकि उसने हाल ही में न्यूज़ीलैंड को 4 - 0 से हराकर अपनी मजबूती दिखाई है फिर भी वह भारत के मुकाबले की नहीं है . 10 में से 9 बार भारत के जीतने की संभावना है , ऐसे में भारतीय टीम के लिए डर की बात नहीं है . भारत को सिर्फ अपने स्तर के अनुकूल प्रदर्शन करना है . अभ्यास मैचों में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है . अगर वे उसी प्रदर्शन को दोहरा पाए तो बंगलादेश को ही नहीं अन्य प्रमुख टीमों को भी मुश्किल होने वाली है . हाँ , अभ्यास मैचों की तरह सभी खिलाडी यहाँ नहीं खेल पाएँगे . अंतिम ग्यारह का चयन बड़ी चतुराई से करना होगा . रैना का अंतिम ग्यारह में आना मुश्किल लग रहा है . भारतीय टीम छह बल्लेबाज़, एक विकेटकीपर और चार गेंदबाज़ के साथ खेलना चाहेगी . ओपनिंग सचिन-सहवाग करेंगे . इसके बाद कोहली , धोनी , युवराज़ , पठान का क्रम होना चाहिए .गेंदबाजों के रूप में हरभजन , जहीर , नेहरा और मुनाफ को रखा जा सकता है .
                   रणनीति के मामले में भी कुछ प्रयोग की जरूरत है , विशेषकर पावर प्ले को लेकर . दूसरा पावर प्ले फील्डिंग टीम ने लेना होता है . इसे सामान्यत: 11 से 15 ओवर तक ले लिया जाता है . यदि गेंदबाज़ विकेट ले रहे हों तो इसे इस समय ले लेने में कोई हर्ज़ नहीं लेकिन यदि बल्लेबाज़ जमे हुए हों तो उन्हें लाभ देने का कोई औचित्य नहीं . ऐसे में एक विकेट गिरने का इंतजार करना चाहिए . विकेट गिरते ही पावर प्ले लेने से नए बल्लेबाज़ को प्रहार करने का मौका नहीं मिलेगा . तीसरे पावर प्ले को भी कई बार बहुत पीछे खींच लिया जाता है . पहले बल्लेबाज़ी करते समय इसे उन ओवरों में लिया जाना चाहिए जब बल्लेबाज़ पूरी तरह से जमे हुए हों .
                 1996 के विश्व कप में श्रीलंका का जयसूर्या से ओपन करवाना ऐसा फैसला था जिसने अन्य टीमों को बैकफुट पर ला दिया था . 2011 के विश्व कप में भारत को भी कुछ नया करना चाहिए . पावर प्ले का चतुराई से इस्तेमाल होना , बड़े स्कोर का पीछा करते समय हरभजन को पिंच हिटर के रूप में इस्तेमाल होना अन्य टीमों को अचंभित कर सकता है . कुशल रणनीति भी उतनी ही जरूरी होती है जितना की मैदान में प्रदर्शन . उम्मीद है बंगलादेश के खिलाफ भारतीय टीम इन दोनों क्षेत्रों में खरी उतरेगी . 

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    मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

    कौन जीतेगा दसवां विश्व कप ?

    अब तक क्रिकेट के नौ विश्व कप हुए हैं . आस्ट्रेलिया ने सवार्धिक चार बार इस ख़िताब को जीता है , वेस्टइंडीज ने दो बार और भारतीय उपमहाद्वीप की तीनों प्रमुख टीमें भारत , पाकिस्तान और श्रीलंका ने इसे एक-एक बार जीता है . दसवां विश्व कप भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहा है , इसलिए भारत के क्रिकेट प्रेमी उम्मीद लगाए बैठें हैं कि भारतीय टीम इस बार विश्व कप जीते . भारतीय टीम का प्रदर्शन भी उम्मीदों को जगाता है , लेकिन " सचिन के लिए विश्व कप जीतना है " के नाम पर पिछले कुछ दिनों से जो मुहिम शुरू हुई है , वो भारतीय टीम पर अतिरिक्त दवाब बनाएगी . पता नहीं क्यों भारतीय खिलाडी इसे लेकर प्रचार में लगे हुए हैं ?
                    भारत के इलावा श्रीलंका की टीम भी घर में खेल रही है , हाल ही में उसने वेस्टइंडीज को हराया है . स्पिन आक्रमण उसकी ताकत है . भारतीय उपमहाद्वीप की पिचें उसकी मदद करेंगी . एशिया की तीसरी टीम पाकिस्तान भी हर बार की तरह छुपी रुस्तम साबित होगी . न्यूज़ीलैंड को हराकर वह जीत की पटरी पर लौट चुकी है . भले ही पाकिस्तान में कोई मैच नहीं हो रहा लेकिन भारत-श्रीलंका-बंगलादेश की पिचें उसे घर-सी लगेंगी . 
           अन्य टीमों में आस्ट्रेलिया सबसे प्रमुख दावेदार है . एशेज़ की हार से उसे कमजोर माना जा रहा था , लेकिन एकदिवसीय मैचों में उसने इंग्लैंड को बुरी तरह से रौंद दिया है . फिर वह पिछले तीन विश्व कपों का विजेता है और रैंकिंग में नम्बर एक है . द.अफ्रीका सदा से दुर्भाग्य की शिकार रही है , लेकिन उसकी क्षमता पर किसी को संदेह नहीं . इस बार भी वह दावेदार होगी .
               वेस्टइंडीज , इंग्लैंड , न्यूज़ीलैंड कुछ कमजोर तो हैं ,लेकिन क्वार्टर फाइनल में ये किसी पर भी भारी पड़ सकती हैं .संक्षेप में क्वार्टर फाइनल के बाद सभी टीमें बराबर की दावेदार हैं . जो मानसिक रूप से मजबूत होगी वही टीम जीतेगी . हाँ भारतीय होने के नाते टीम इंडिया जीते यह चाह सबकी है .  

    गुरुवार, फ़रवरी 03, 2011

    क्या रोमांचक होगा विश्व कप ?

    देश क्रिकेटमय हो चुका है क्योंकि क्रिकेट का महाकुंभ भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू होने जा रहा है . टीमें भारत में आनी शुरू हो चुकी हैं . असली मुकाबले अब बहुत दूर नहीं हैं. क्रिकेट का यह महाकुंभ जितना रोमांचक होना चाहिए उतना रोमांचक हो पाएगा या नहीं , यह भविष्य के गर्भ में है .वैसे पहली नजर में यह शंका उचित प्रतीत नहीं होती क्योंकि क्रिकेट के मुकाबले में रोमांच तो होगा ही और जब बात विश्व कप की हो तो शंका की कोई बात हो ही नहीं सकती , लेकिन इस दसवें विश्व कप का प्रारूप शंकित करता है . इसमें 14 टीमें दो ग्रुपों में विभाजित हैं . प्रत्येक ग्रुप की प्रथम चार टीमें नॉक आउट दौर में पहुंचेगी . यदि संख्या को देखा जाए तो सात में से चार का दूसरे दौर में पहुंचना संघर्ष पैदा करने वाला होना चाहिए , लेकिन जब ग्रुप में नीदरलैंड , आयरलैंड , कनाडा , केन्या जैसी टीमें हो तब यह मुश्किल काम नहीं रह जाता . क्रिकेट में सिर्फ आठ टीमें ही एक-दूसरे को टक्कर देने वाली हैं . बंगलादेश और ज़िम्बाव्बे कभी कभार टक्कर देती हैं . केन्या ने शुरुआत में जो संघर्ष क्षमता दिखाई थी उसमें अब वो नदारद है .कनाडा , आयरलैंड , नीदरलैंड तो नौसिखिया ठहरी . अत: एक ग्रुप में पाँच टीमें टक्कर की हैं जिनमें से चार दूसरे दौर में होंगी . जो पांचवी टीम बाहर होगी उसका नाम लगभग निश्चित है . संक्षेप में कहें तो ग्रुप A में श्रीलंका , पाकिस्तान , आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और ग्रुप B में भारत , द.अफ्रीका , इंग्लैण्ड , वेस्टइंडीज़ की टीमें दूसरे दौर में होंगी .
           जिस खेल के बारे में कहा जाता है कि अंतिम गेंद से पहले भविष्यवाणी नहीं की जा सकती उसके महाकुंभ की शुरुआत में ही यदि यह कहा जाए कि ये आठ टीमें दूसरे दौर में होंगी तो रोमांच कहाँ रह जाता है  . यही इस विश्व कप की सबसे बड़ी खामी है . यदि दूसरा दौर सुपर सिक्स का होता और एक ग्रप की सिर्फ तीन टीमें दूसरे दौर में पहुंचती तो पहले दौर का हर मुकाबला महत्वपूर्ण हो जाना था जो अब नहीं है .इसके अतिरिक्त दूसरे दौर में हर टीम के पास एक मौका है . एक हार उन्हें विदा कर देगी ,जो निराशाजनक है . यदि सुपर सिक्स होता तो अंतिम चार में पहुंचने के लिए सबके पास तीन मौके होते . फिर सुपर सिक्स रखने से सिर्फ पाँच मैच बढ़ते जो बहुत ज्यादा नहीं थे .
               अब कुछ नहीं हो सकता सिवाए इंतजार के . अब तो उम्मीद करनी चाहिए कि बंगलादेश और जिम्बाव्बे की टीमें अच्छा खेलें ताकि प्रथम दौर रोमांचक हो सके . यदि ये टीमें अच्छा नहीं खेली तो पहला दौर विश्व कप के मैच न लगकर साधारण अंतर्राष्ट्रीय मैच बन जाएँगे जिनका कोई अलग-से महत्व नही होगा .
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