डोमिनिका में चल रहे तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन तक भारतीय टीम ड्राइविंग सीट पर मौजूद है . यहाँ से भारत टेस्ट हार नहीं सकता जिसका सीधा अर्थ है कि श्रृंखला भारत के नाम रहेगी . अब देखना यह है कि यह जीत 1 - 0 से होगी या 2 - 0 से . वैसे संभावना तो 2 - 0 की अधिक है , वेस्ट इंडीज़ की टीम की तरफ से कोई अडचन नहीं दिख रही ,अगर अडचन है तो खराब मौसम ही है . बारिश और खराब रौशनी ने दूसरे टेस्ट मैच में भी भारत से निश्चित जीत छीन ली थी . इस मैच का परिणाम जो भी हो इतना तो तय है कि श्रृंखला भारत जीतेगा , यह एक बड़ी बात है .
यहाँ तक इस मैच का सवाल है भारतीय बल्लेबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है . अभी तक छह विकेट गिरे हैं और टीम 300 का आंकड़ा पार कर चुकी है . चार बल्लेबाजों ने अर्धशतक बनाए हैं ,जिनमें एक अभी तक पिच पर मौजूद है . दो बड़ी सान्झेदारियां हुई है .पहले तीसरे विकेट के लिए 98 रन की और फिर छठे विकेट के लिए 103 रन की . इसके अतिरिक्त चौथे विकेट के लिए भी अर्धशतकीय सांझेदारी हुई . यही चीज़ें बल्लेबाज़ी की असली ताकत होती हैं , पहले दो विकेट जल्दी खोने की शानदार भरपाई की है भारतीय बल्लेबाजों ने और ऐसा लाजवाब प्रदर्शन निकला है दौरे के अंतिम मैच में . भारतीय बल्लेबाजों का विदेशी दौरे में देर से रंग में आना पुरानी आदत है . आमतौर पर ऐसे में श्रृंखला हाथ से निकल चुकी होती है या जीत की संभावना खत्म हो चुकी होती है लेकिन सौभाग्य से वेस्ट इंडीज़ में ऐसा नहीं हुआ है . करेबिआइ बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन और भारतीय गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत टीम इस टेस्ट से पहले अपराजेय बढत हासिल कर चुकी थी . तीसरे मैच के प्रदर्शन ने श्रृंखला की जीत को सुनिश्चित किया है .
भारतीय टीम को इस दौरे के बाद इंग्लैण्ड के दौरे पर जाना है . अच्छी खबर ये है कि सभी प्रमुख खिलाड़ी टीम में वापिसी कर रहे हैं ,लेकिन इस दौरे से सबक सीखते हुए बल्लेबाजों को शुरुआत से ही अच्छा प्रदर्शन करना होगा क्योंकि इंग्लैण्ड की टीम में और वेस्ट इंडीज़ की टीम में जमीन - आसमान का अंतर है . अगर इंग्लॅण्ड को मौका दिया गया तो वो श्रृंखला नहीं जीतने देंगे .
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शनिवार, जुलाई 09, 2011
श्रृंखला में जीत की और अग्रसर भारत
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बुधवार, जून 29, 2011
गेंदबाजों को दिलानी होगी वापिसी
वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ खेला जा रहा दूसरा टेस्ट लगभग उसी अंदाज़ में शुरू हुआ जिस अंदाज़ में पहला टेस्ट हुआ था .इस बार भारतीय टीम ने टॉस नहीं जीता और वेस्ट इंडीज़ के निमन्त्रण पर पहले खेलने उतरी . सिर्फ एक सांझेदारी इस पूरी पारी में हुई और उसी की बदौलत टीम 200 का स्कोर पार कर पाई . अच्छी खबर ये रही कि लक्ष्मण ने रन बनाए . लक्ष्मण और द्रविड़ इस टीम के आधार स्तंभ हैं , टीम के लिए इनका रन बनाना बेहद जरूरी है . अन्य बल्लेबाजों में सिर्फ रैना अभी तक रन बना रहे हैं , शेष बल्लेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक है . भारत की पहली पारी का स्कोर बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता , लेकिन दिन की समाप्ति तक गेंदबाजों ने उम्मीदें जगा दी हैं .वेस्ट इंडीज़ के तीन प्रमुख बल्लेबाज़ पवेलियन लौट चुके हैं . सरवन और चंदरपाल अभी बाकी हैं . इन दो विकेटों के मिलते ही टीम इण्डिया हावी हो जाएगी ,लेकिन चन्द्रपाल को आउट करने से पहले नाईट वाचमैन बिशु को जल्दी आउट करना होगा . कई बार नाईट वाचमैन के रूप में आए बल्लेबाज़ काफी समय खराब कर जाते हैं और सुबह मिलने वाले लाभ को समाप्त कर अन्य बल्लेबाजों का राह आसान कर जाते हैं . तीनों तेज़ गेंदबाजों ने एक-एक विकेट झटका है ,इससे वे विश्वास से भरपूर होंगे . उन्हें इसी लय को बरकरार रखते हुए पहले टेस्ट की तरह ही टीम को वापिसी दिलानी होगी .
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शुक्रवार, जून 24, 2011
किंग्स्टन का किला किया फतेह
टीम इण्डिया ने चौथे दिन ही किंग्स्टन का किला फतेह कर लिया है .यह जीत यहाँ टीम के सबसे सीनियर खिलाडी राहुल द्रविड़ के बेजोड़ प्रदर्शन की देन है , वहीं टेस्ट में पदार्पण करने वाले प्रवीन कुमार के नाम भी रही . भले ही मैन ऑफ़ दा मैच द्रविड़ को मिला लेकिन पहले ही टेस्ट में छः विकेट के प्रदर्शन को प्रवीन कुमार कभी नहीं भूलेंगे . खासकर इसलिए कि महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट निकालकर उन्होंने मैच का रुख भारत की तरफ मोड़ा .
यह जीत कई अर्थों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है . सबसे पहले पूरी टीम का मनोबल इससे बढ़ा होगा . भारत सचिन , सहवाग ,गंभीर और जहीर खान के बिना खेल रहा था . अत: यदि इस टीम को कोई दोयम दर्जे का कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी . इस टीम का विदेशी जमीन पर जीतना सभी खिलाडियों में आत्मविश्वास का संचार करेगा . टीम वेस्ट इंडीज़ की तेज़ पिच पर मैच जीती है , इससे तेज़ पिच का कोई खौफ अब आगे के मैचों में नहीं रहेगा . टीम के तीन खिलाडियों के लिए यह पहला मैच था , हालांकि प्रवीन को छोडकर शेष दो खिलाडी विराट कोहली और अभिनव मुकंद कोई प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाए ,लेकिन विजयी टीम का हिस्सा होने से उन पर से दवाब हटेगा और वे अगले मैच में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे . एक तरफ टीम को मानसिक बढत मिलेगी , दूसरी तरफ विरोधी टीम अपनी मनभावन पिच पर हारने के कारण दवाब में होगी , जिससे आगामी मैचों में भारतीय टीम लाभ की स्थिति में होगी .कुल मिलाकर यह जीत श्रृंखला जीतने का संदेश खिलाडियों को देगी . भारतीय टीम को जो बढत इस समय मिली है उसका भरपूर लाभ उठाना होगा .
एक चीज़ जिसकी जरूरत है ,वो है सांझेदारियों पर ध्यान देना . किंग्स्टन टेस्ट की पहली पारी में मान्यता प्राप्त सात बल्लेबाज़ एक भी अच्छी सांझेदारी नहीं कर पाए , हरभजन ने जिस तरीके से रैना का न सिर्फ सहयोग किया अपितु रन भी बनाए उसी प्रकार का प्रदर्शन बल्लेबाजों को करना होगा . दूसरी पारी में अकेले द्रविड़ ने जिम्मेदारी उठाई . टेस्ट मैच में बड़े स्कोर के लिए एक-दो बड़ी संझेदारियों का होना बेहद जरूरी है . इस मैच में हरभजन - रैना की सांझेदारी को छोडकर इसका नितांत आभाव रहा . टीम इण्डिया को इस पर गौर करना होगा . वेस्ट इंडीज़ ने एक दिवसीय श्रृंखला में पलटवार किया था , अब उसे ऐसा करने का मौका देने से बचना होगा . टीम ने टेस्ट में जीत से शुरुआत कर दी है अब श्रृंखला जीतकर सही अंजाम तक भी पहुंचाना होगा.
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गुरुवार, जून 23, 2011
रोमांचक हुआ किंग्स्टन टेस्ट
किंग्स्टन टेस्ट रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका है .भारतीय टीम ने वेस्ट इंडीज़ के सामने 326 रन का लक्ष्य रखा है .हालाँकि यह तो नहीं कहा जा सकता कि यह लक्ष्य असंभव है लेकिन इसे आसान लक्ष्य भी नहीं कहा जा सकता . चौथी पारी में यदि गेंदबाज़ी दिशा से न भटके तो जीतना मुश्किल नहीं दिख रहा . वेस्ट इंडीज़ इस समय तीन विकेट पर 131 रन बना चुका है .यानि कि मैच जीतने के लिए एक तरफ 195 रन चाहिए तो दूसरी तरफ सात विकेट .
यहाँ तक भारतीय बल्लेबाज़ी का सवाल है . बड़ी साझेदारी न बना पाना इस दौरे की समस्या रही है . पहली पारी में रैना-हरभजन की साझेदारी ने सम्मानजनक स्कोर पर पहुंचाया था अगर दूसरी पारी में ऐसी साझेदारी हो जाती तो मैच पर पूरी पकड़ बन सकती थी . इस पारी में द्रविड़ अकेले संघर्ष करते रहे . अभिनव मुकंद ,कोहली और रैना ने अच्छी शुरुआत तो की लेकिन वो पारी को संवार नहीं पाए . द्रविड़ के प्रदर्शन को देखें तो टीम इण्डिया ने 50 रन कम बनाए हैं . फिर भी यह स्कोर बचाव करने लायक तो है ही . अब गेंदबाजों को पहली पारी में किए प्रदर्शन को दोहराना होगा . इशांत और प्रवीन विकेट झटक रहे हैं , यह अच्छी खबर है और जैसे-जैसे गेंद पुरानी होगी हरभजन और अमित मिश्रा भी अपना जलवा दिखाएंगे .
क्रिकेट में तब तक जीत निश्चित नहीं होती जब तक अंतिम रन न बन जाए या अंतिम विकेट न गिर जाए .ऐसे में कौन जीतेगा यह तो नहीं कहा जा सकता , हाँ , मैच 60 % भारत की पकड़ में हैं .और चौथे दिन आते ही इस पकड़ को और मजबूत करना होगा क्योंकि जैसे-जैसे स्कोर बढ़ेगा मैच भारत के हाथ से निकलेगा .
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बुधवार, जून 22, 2011
अब बारी बल्लेबाजों की है
किंग्स्टन टेस्ट का दूसरा दिन गेंदबाजों के नाम रहा .इस दिन कुलमिलाकर बारह विकेट गिरे . भारतीय गेंदबाजों ने करिश्माई प्रदर्शन करते हुए वेस्ट इंडीज़ के बचे हुए नौ विकेट झटके और वेस्ट इंडीज़ की पूरी टीम को 173 के स्कोर पर समेट दिया .इस प्रकार कम स्कोर के बावजूद भारतीय टीम को 73 रन की बढत मिल गई .हालांकि दूसरी पारी में भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन द्रविड़ और अभिनव मुकंद के बीच हुई अर्द्धशतकीय साझेदारी ने टीम को संभाला . लक्ष्मण एक बार फिर असफल रहे . दिन का खेल समाप्त होने तक टीम ने तीन विकेट के नुक्सान पर 91 रन बना लिए थे . भारत की स्थिति बहुत मजबूत तो नहीं कही जा सकती लेकिन इतना निश्चित है कि तीसरे दिन अच्छा खेलकर जीता जा सकता है . अच्छी खबर ये है कि द्रविड़ और कोहली पिच पर टिके हुए हैं . रैना और धोनी दो मान्यता प्राप्त बल्लेबाज़ आने शेष हैं . भारत को कम-से-कम 170 -180 रन और बनाने होंगे . एक शतकीय साझेदारी काम आसन कर सकती है . बचे हुए चारों बल्लेबाजों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी .
यहाँ तक गेंदबाज़ी का प्रश्न है , यह एक अच्छी खबर है कि चारों गेंदबाजों ने विकेट झटके . दोनों तेज़ गेंदबाजों ने तीन-तीन और स्पिनरों ने दो-दो विकेट निकाले . अगर बल्लेबाज़ 300 के ऊपर का लक्ष्य वेस्ट इंडीज़ के सामने रखते हैं तो जीत की आशा की जा सकती है .संक्षेप में गेंदबाजों ने अपना काम कर दिया है अब बारी बल्लेबाजों की है . पहली पारी की भूल सुधारने का बेहतरीन मौका उनके पास है .
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मंगलवार, जून 21, 2011
किंग्स्टन टेस्ट का दूसरा दिन होगा निर्णायक
किंग्स्टन ,जमैका में प्रथम टेस्ट का प्रथम दिन भारतीय टीम के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा . हालांकि अंतिम स्कोर को देखें तो यह निराशाजनक नहीं और मैच में वापसी की सम्भावना कायम है , लेकिन यह निश्चित है कि बल्लेबाजों ने निराश किया . 85 पर 6 विकेट खोकर भारत एक समय संकट में था . ऐसे में हरभजन का बल्ला फिर चला और रैना और हरभजन ने मिलकर टीम को 200 के पार पहुंचाया . दरअसल टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करना कोई समझदारी भरा फैसला साबित नहीं हुआ . कप्तान दो स्पिनरों के साथ उतरे हैं , इसलिए चौथी पारी में गेंदबाज़ी करने के उद्देश्य से पहले बल्लेबाज़ी को चुना गया , लेकिन तेज़ पिच पर पहले दिन तेज़ गेंदबाजों को अतिरिक्त लाभ मिलता है , वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाजों ने उसी का लाभ उठाया . भारतीय टीम अगर यह सोचकर चलती कि चौथी पारी की जरूरत वे नहीं पड़ने देंगे या कम पड़ने देंगे तो पहले गेंदबाज़ी चुनना बेहतर साबित होता .दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करना पहली पारी की अपेक्षा ज्यादा आसन होता है.टीम वेस्ट इंडीज़ को जल्दी समेटकर दूसरी पारी में बढत ले सकती थी , लेकिन कप्तान ने दूसरे तरीके से सोचा .अब गेंदबाजों को दूसरी और विशेषकर चौथी पारी में करिश्मा दिखाना होगा .आखिर उन्हीं के भरोसे ही टीम ने तेज़ पिच पर पहले खेलने का जोखिम उठाया है .
अभ्यास मैच का न होना भी ऐसे प्रदर्शन की वजह है . अभिनव मुकंद , मुरली विजय ,राहुल द्रविड़ , लक्ष्मण और धोनी की इस दौरे की यह पहली पारी थी और ये सभी नाकाम रहे . ये खिलाडी पहली पारी के अनुभव का लाभ दूसरी पारी में अवश्य उठाएंगे . यदि गेंदबाज़ वेस्ट इंडीज़ को 270 -280 पर रोकने में कामयाब रहे तो यह मैच भारत की गिरफ्त में आ सकता है .टीम इण्डिया अब बल्लेबाज़ी में जौहर दिखाने वाले हरभजन से उम्मीद लगाए बैठी है कि वह अब गेंदबाज़ी में जौहर दिखाए .मैच किस तरफ जाएगा ,इसका निर्धारण बहुत कुछ दूसरे दिन के खेल पर निर्भर करता है .
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शुक्रवार, जून 17, 2011
क्या भारत टेस्ट श्रृंखला जीत पाएगा ?
भारतीय टीम ने वेस्ट इंडीज़ में एक दिवसीय श्रृंखला 3-2 से जीत ली है . अगर परिणाम को देखें तो यह बुरा नहीं लग रहा लेकिन जब इस श्रृंखला को देखते हैं तो यह निराशाजनक है क्योंकि भारत लगातार तीन मैच जीत चुका था . वेस्ट इंडीज़ के हालिया प्रदर्शन को देखें या उसकी रैंकिंग को देखें तो भारत को क्लीन स्वीप करना ही चाहिए था . भले ही भारतीय टीम भी युवा थी लेकिन उनके पहले तीन मैचों ने जो उम्मीदें जगाई थी , उस पर वे खरे नहीं उतरे . बल्लेबाज़ी में सबसे बड़ी बात रही कि वे सिर्फ टुकड़ों में प्रदर्शन कर पाए .ओपनिंग की विफलता भी अंतिम दो मैचों में हार का कारण रही .वैसे टीम ने गेंदबाज़ी में अच्छा प्रदर्शन किया . संक्षेप में इस श्रृंखला में भारत अपना दबदबा तो कायम नहीं कर पाया , हाँ रिकार्ड में एक जीत उसके हिस्से अवश्य आ गई है .
अब दोनों देशों के बीच तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला है . इस श्रृंखला में भी भारत अपनी श्रेष्ट टीम के साथ नहीं उतरेगा . उधर वेस्ट इंडीज़ भी क्रिस गेल के बिना खेलेगी .ऐसे में मुकाबला रोमांचक होने की संभावना है . भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम द्रविड़ , लक्ष्मण और धोनी के आने से मजबूत हुआ है लेकिन सचिन , सहवाग और गंभीर की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता . सहवाग और गंभीर विश्वस्तरीय ओपनिंग जोड़ी है . ये दोनों न सिर्फ रन बनाते हैं बल्कि तेज़ गति से रन बनाते हैं . सहवाग तो टेस्ट को भी एक दिवसीय के अंदाज़ से खेलता है , जिससे कम समय में बड़ा स्कोर खड़ा करके गेंदबाजों को बीस विकेट हासिल करने का अतिरिक्त समय मिल जाता है . इस श्रृंखला में इसी बात का नुक्सान होगा . तेज़ खेलने वाले तीनों बल्लेबाज़ टीम में नहीं हैं . द्रविड़ और लक्ष्मण के रहते टीम अच्छा स्कोर बना पाएगी , इसमें संदेह नहीं लेकिन स्कोर बनने में समय ज्यादा लगेगा , जिससे गेंदबाजों को सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करके दिखाना होगा , तभी जीत हासिल की जा सकेगी अन्यथा ड्रा मैच देखने को मिल सकते हैं .
बल्लेबाज़ी में द्रविड़-लक्ष्मण को अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी होगी . टीम की ओपनिग जोड़ी सबसे कमजोर कड़ी है . सम्भवत: मुरली विजय और अभिनव मुकंद पारी की शुरुआत करें . विजय के पास देश की तरफ से खेलने का अनुभव है लेकिन दूसरा साथी नवांगतुक है .ऐसे में नम्बर तीन के बल्लेबाज़ द्रविड़ को पिच पर रुकना ही होगा . हो सकता है टीम द्रविड़ से ओपनिंग करवाने की सोचे , ऐसे में कोहली नम्बर तीन पर उचित विकल्प होंगे . मध्यक्रम में रैना , लक्ष्मण और धोनी टीम को मजबूत बनाएंगे . इस तरीके से पांच गेंदबाजों को भी खिलाया जा सकता है . टीम को जीतने के लिए गेंदबाजों के बेहतर प्रदर्शन की सख्त जरूरत है .एक अतिरिक्त गेंदबाज़ काम आसान कर सकता है .
अगर कागजों पर देखें तो टीम इण्डिया को श्रृंखला जीतनी ही चाहिए , लेकिन यह खेल मैदान पर खेला जाना है और वहां वही जीतेगा जो अच्छा खेलेगा . अंतिम दो एकदिवसीय मैचों के परिणाम बताते हैं कि वेस्ट इंडीज़ की टीम में पलटवार करने की क्षमता है . फिर भी पलड़ा भारत का ही भारी रहने की संभावना है . भारत का श्रृंखला हारना मुश्किल दिख रहा है . हाँ , देखना तो यह है की क्या वह टेस्ट श्रृंखला जीत पाएगा .
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रविवार, जून 12, 2011
कर दो क्लीन स्वीप
युवा ब्रिगेड ने पहले तीनों मैच जीतकर श्रृंखला में अजेय बढ़त हासिल कर ली है , लेकिन अभी रुकने का समय नहीं आया है .टीम को क्लीन स्वीप के लक्ष्य के साथ खेलना चाहिए .वेस्ट इंडीज़ के प्रदर्शन को देखें तो यह मुश्किल काम नहीं दिख रहा ,लेकिन लापरवाही इसे मुश्किल बना सकती है . पाकिस्तान की टीम भी हाल ही में पहले तीन मैच जीतकर आखिरी के दोनों मैच हारी थी .भारतीय टीम वेस्ट इंडीज़ को वैसा मौका नहीं देगी , ऐसी उम्मीद भारतीय क्रिकेट के चाहने वालों को है .
इस दौरे के प्रदर्शन को देखें तो टीम अच्छा खेली है . गेंदबाजों ने सराहनीय प्रदर्शन किया है , विशेषकर अमित मिश्रा , हरभजन सिंह और मुनाफ पटेल ने . अमित मिश्रा को न जाने क्यों बार-बार उपेक्षित किया गया , जबकि हर बार उसने अपनी उपयोगिता साबित की है . ये इन गेंदबाजों का ही प्रदर्शन है कि वेस्ट इंडीज़ के बल्लेबाजों ने अभी तक टीम के सामने बड़ा लक्ष्य नहीं रखा . 200 - 225 का स्कोर आज की क्रिकेट में कोई मायने नहीं रखता . बल्लेबाजों को अभी तक कोई चनौती नहीं मिली ,इसलिए उनकी अग्नि परीक्षा बाकी है ,विशेषकर तब , जब उन्हें पहले बल्लेबाज़ी करनी होगी . टीम के सभी बल्लेबाज़ एक साथ प्रदर्शन तो नहीं कर पाए ,लेकिन पार्थिव पटेल , शिखर धवन , विराट कोहली , रोहित शर्मा और सुरेश रैना ने कम-से-कम एक-एक अच्छी पारी तो खेली ही है . बद्रीनाथ और पठान ने अभी तक कोई खास प्रदर्शन इस दौरे पर नहीं किया है ,उन्हें बचे हुए दो मैचों में अपना प्रदर्शन सुधारना होगा ताकि टीम क्लीन स्वीप कर सके .
टीम के पक्ष में ये बात भी है कि निचले क्रम के बल्लेबाज़ अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे है . तीसरे एक दिवसीय में जब टीम 92 पर 6 विकेट गंवाकर हार की तरफ बढ़ रही थी , तब हरभजन ने 41 रन की पारी खेलकर उम्मीदों को जीवंत किया और प्रवीन ने आखिर में रोहित का बखूबी साथ निभाकर जीत निश्चित की . ऐसी जीत हमेशा ही हौंसलों को बुलंद करती है . टीम को इसी प्रकार का प्रदर्शन आगे भी जारी रखना होगा . कुछ खिलाडियों को शेष दो मैच खेलने के बाद वापिस लौटना है . उन्हें इसके बाद इंग्लैण्ड दौरे में ही जगह मिल सकती है . अत: उन्हें अपनी पूरी ताकत इन मैचों में झोंक देनी होगी ताकि इंग्लैण्ड दौरे हेतु टीम में दावा पक्का किया जा सके . सभी खिलाडियों का रंग में आना टीम के लिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि अगला दौरा , जो इंग्लैण्ड का है काफी कठिन दौरा है . वेस्ट इंडीज़ में मिली 5 -0 की जीत वहां बहुत काम आएगी , इसलिए टीम इण्डिया को अपने सामने यही लक्ष्य रखकर चलना होगा .
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शनिवार, जून 04, 2011
जीत से शरू हुआ सफर
लड़खड़ाहट भरी शरुआत के बाद भारतीय टीम ने पोर्ट ऑफ़ स्पेन ,त्रिन्दाद में मैदान मार ही लिया . यह दौरे के लिए एक शुभ संकेत है . टीम बिना अभ्यास मैच के मैदान में उतरी थी ,इसे देखते हुए इस जीत की प्रशंसा की जानी चाहिए . निश्चित रूप से यह जीत एकदिवसीय श्रृंखला में बड़ी काम आएगी .
एकदिवसीय श्रृंखला में सभी खिलाडी यही हैं ,इसका लाभ उन्हें मिलेगा .टी-20 एक छोटा प्रारूप है ,यहाँ वापिसी के अवसर कम होते हैं जबकि एकदिवसीय मैचों में टीमों के पास वापिसी के अवसर रहते हैं , ऐसे में ये मैच थोड़े मुश्किल होने चाहिए . वेस्ट इंडीज़ की टीम एकदिवसीय मैचों में भारतीय टीम को टक्कर दे पायेगी या नहीं ,यह देखने वाली बात है .
अगर वेस्ट इंडीज़ की टीम को देखा जाए तो भारत का मुकाबला वेस्ट इंडीज़ से कम अपने आप से ज्यादा है . वेस्ट इंडीज़ की टीम वर्तमान में किसी भी पक्ष से भारतीय टीम के समक्ष नहीं ठहरती . हाँ , मौजूदा भारतीय टीम वो टीम नहीं जो विश्व विजेता है ,फिर भी इस टीम में प्रतिभा की कमी नहीं . रैना , कोहली ,रोहित शर्मा और युसफ पठान समय-समय पर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर चुके हैं . गेंदबाज़ी में सिर्फ जहीर की कमी है और टीम बहुत बार जहीर के बिना खेली है . अगर समस्या है तो ओपनिंग की है . सचिन ,सहवाग और गंभीर तीनों टीम से बाहर हैं . इनकी अनुपस्थिति में शिखर धवन और पार्थिव पटेल ने टी-20 में पारी का आगाज़ किया था .यह प्रयोग सफल नहीं हुआ ,इसी का डर एकदिवसीय मैचों में है . खराब ओपनिंग कई बार कुछ और विकेट भी ले बैठती है .उस स्थिति में टीम को उबारने वाला कोई नहीं होगा ,क्योंकि युसफ तेज़ तरार पारी तो खेल सकते हैं लेकिन लम्बी पारी की उम्मीद उनसे कम ही है . यहाँ युवराज़ की कमी बेहद खलेगी .
संक्षेप में कहें तो आगाज़ अच्छा ही हुआ है . वेस्ट इंडीज़ रंग में भंग डालने की स्थिति में नहीं है ,खासकर क्रिस गेल के बिना और क्रिस गेल पहले दो मैचों से बाहर हैं ,शेष मैचों में भी उनके खेलने की सम्भावना कम ही है . टीम के युवा खिलाडी ,विशेषकर ओपनिंग अगर चल निकली तो श्रृंखला में जीत निश्चित है .लेकिन सिर्फ श्रृंखला जीतना काफी नहीं है , टीम इण्डिया को 5 - 0 से श्रृंखला जीत कर विश्व चैम्पियन होने का अहसास विश्व को करवाना होगा .
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