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शनिवार, सितंबर 10, 2011

सम्मान के लिए जीतना ही होगा

भारतीय टीम का इंग्लैण्ड दौरा समापन की ओर है . टीम इण्डिया जब इस दौरे पर गई थी तो वह टेस्ट मैचों में नम्बर वन थी , तो एकदिवसीय मैचों में विश्व चैम्पियन . लेकिन इंग्लैण्ड दौरे पर टीम की जो दुर्दशा हुई है उससे तमाम क्रिकेट प्रेमी परिचित हैं .अब तो इस बात का खतरा मंडराने लगा है कि शायद टीम जीत का स्वाद चखे बिना ही लौटेगी. अगर ऐसा हुआ तो यह बेहद शर्म की बात होगी .
             टीम इंडिया को सम्मान बचाने के लिए जीतना ही होगा , लेकिन अब उनके पास सिर्फ दो मैच हैं . जीत के लिए नए सिरे से और नई रणनीति से उतरना होगा . जडेजा ने टीम के साथ जुड़ते ही जैसा प्रदर्शन किया है , वह काबिले-तारीफ़ है , लेकिन कोहली , रैना और सभी गेंदबाज़ लगातार निराश कर रहे हैं . रैना को यदि कम समय मिलता है तो वह आक्रामक और आकर्षक पारी खेलता है , लेकिन जैसे ही उस पर लम्बी पारी खेलने की जिम्मेदारी आती है तो वह बुरी तरह से असफल होता है . पहले टेस्ट मैचों और फिर तीसरे एकदिवसीय में वह असफल रहा जबकि टी-20 और पहले दोनों मैचों में वह अच्छी बल्लेबाज़ी कर पाया क्योंकि उन मैचों जब वह पिच पर उतरता था तो डैथ ओवर शरू हो जाते थे . एक मुख्य बल्लेबाज़ का काम लम्बी पारी खेलना होता है , जिसमें वह नाकाम रहा है . कोहली और द्रविड़ के बल्ले से भी लम्बी पारी निकलनी शेष है , हालांकि टेस्ट मैचों की तुलना में टीम इंडिया ने एकदिवसीय मैचों में अच्छी बल्लेबाज़ी की है , एकदिवसीय मैचों में हार का कारण गेंदबाज़ ही हैं और जीत हासिल करने के लिए इसी क्षेत्र में सुधार की सख्त जरूरत है .
                इंग्लैण्ड की पिचों को देखते हुए टीम में तीन तेज़ गेंदबाज़ और एक स्पिनर रखा जा रहा है . यह एक सही फैसला लगता है लेकिन दुर्भाग्यवश कोई भी तेज़ गेंदबाज़ उम्मीद पर खरा नहीं उतर रहा . हो सकता है कि चौथे मैच में वरुण आरोण या विनय कुमार को आजमाया जाए लेकिन अन्य तेज़ गेंदबाजों की असफलता को देखते हुए इनके सफल होने पर संदेह है . ऐसे में टीम इंडिया को दो स्पिनरों के साथ उतरने पर विचार करना चाहिए . तीसरे वनडे में जडेजा ने 9 ओवर में 42 रन , अश्विन ने 9 ओवर में 40 रन और रैना ने 5 ओवर में 16 रन दिए थे . यह प्रदर्शन तेज़ गेंदबाजों के मुकाबले कहीं बेहतर है . ऐसे में एक तेज़ गेंदबाज़ कम करके अमित मिश्र को अंतिम ग्यारह में स्थान दिया जा सकता है . तेज़ गेंदबाजों को मदद करने वाली पिचों पर अश्विन , मिश्रा और जडेजा के साथ उतरना निसन्देह एक जुआ है , लेकिन जब तेज़ गेंदबाजों से निराशा हाथ लग रही हो , तब ऐसा जुआ खेलना उचित प्रतीत होता है . शायद इसी तरीके से जीत हासिल हो जाए.

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बुधवार, सितंबर 07, 2011

जीत को तरस रही टीम इन्डिया

वर्षा के कारण देर से शुरु हुए लघु एकदिवसीय में भारत को फिर पराजय का सामना करना पडा .इंग्लैंड दौरे पर यह छठी हार है , भारत जीता है तो सिर्फ अभ्यास मैच . टेस्ट में हार का कारण बल्लेबाज़ी थी . हालांकि गेंदबाज़ भी असफल रहे थे , लेकिन अगर टेस्ट मैचों में बल्लेबाज़ रन बनाते तो मैच जीते भले न जाते , बचाए जा सकते थे . टी-20 और  एकदिवसीय मैचों में बल्लेबाज़ अच्छा प्रदर्शन कर रहे लेकिन गेंदबाज़ों की नाकामी भारी पड रही है . गेंदबाज़ों का पूरे दौरे में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है . पहले एकदिवसीय में उन्होंने शुरुआती विकेट झटक कर उम्मीद जगाई थी , लेकिन बारिश के कारण मैच नहीं हो पाया . दूसरे मैच को देखें तो आप नहीं कह सकते कि भारत उस मैच में जीत सकता था .
                      एकदिवसीय मैचों में भारत की प्रमुख समस्या पांचवां गेंदबाज़ है . पहले सचिन , युवराज , सहवाग इस कमी को पूरा करते थे , मौजूदा समय में जो खिलाडी पांचवें गेंदबाज़ के रूप में गेंदबाजी करते हैं , वे उस स्तर के नहीं हैं , ऐसे में मुख्य गेंदबाज़ों पर दवाब बढता है . पहले से खराब दौर में गुजर रहे ये गेंदबाज़ इस दवाब को झेल नहीं पाते . पांचवें गेंदबाज़ की कमी पूरी करने के लिए रविन्द्र जडेजा को खिलाना होगा . शायद इससे कुछ सुधार हो पाए . भारतीय टीम के पास तीन ही मैच बचे हैं . इनको जीतकर जीत के सूखे को दूर करना ही होगा .


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शनिवार, सितंबर 03, 2011

एकदिवसीय मैचों में सधी शुरुआत

इंग्लैंड और भारत के बीच होने वाली एक दिवसीय श्रृंखला का पहला मैच बारिश की भेंट चढ़ गया . भारत टेस्ट श्रृंखला और टी-20 हारने के बाद जीत की आशा से उतरा था . उसके बल्लेबाजों ने अच्छा काम कर दिया था ,गेंदबाजों ने भी शुरुआत में ही दो विकेट निकालकर इंग्लैंड पर दवाब बना लिया था ,लेकिन बारिश ने किये -कराए पर पानी फेर दिया . हालाँकि यह तो नहीं कहा जा सकता कि मैच पूरी तरह भारत की पकड़ में आ गया था और वह निश्चित जीत हासिल करता , लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि भारत के जीतने के आसार बन रहे थे . इससे पहले टी-20 में भारतीय बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया था , लेकिन गेंदबाजों की असफलता हार का कारण बनी . इस एकदिवसीय मैच में गेंदबाजों को रंग में लौटने का अवसर था ,जो जाता रहा . भारत के लिए अच्छी खबर यही है कि बल्लेबाज़ रन बना रहे हैं . रहाने इस दौरे की खोज है . पहले टी-20 और फिर पहले एकदिवसीय में उसने जिस आत्मविश्वास से बल्लेबाज़ी की है उससे देश को उसमें अपार संभावनाएं नजर आने लगी हैं . पार्थिव पटेल , कोहली , रैना और धोनी ने भी रन बनाकर इंग्लैंड को यह अहसास तो दिला ही दिया है कि यह एक कठिन श्रृंखला होने वाली है . भारतीय टीम ने एकदिवसीय श्रृंखला की शुरुआत तो अच्छी की है लेकिन जब तक जीत हासिल नहीं होती तब तक आत्मविश्वास का लौटना मुश्किल है . बचे चार मैचों में क्या भारत अपनी प्रतिष्ठा के अनुसार खेल पाएगा यह एक यक्ष प्रश्न है . वर्षा के कारण रद्द हुए मैच ने आशाएं तो जगाई हैं लेकिन ये हकीकत बन पाएंगी या नहीं यह वक्त ही बताएगा .

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सोमवार, अगस्त 22, 2011

इंग्लैण्ड ने किया सूपड़ा साफ़

इंग्लैण्ड ने ओवल में चल रहे चौथे और अंतिम टेस्ट में भारत को पारी और 8 रन से रौंद कर श्रृंखला को 4 -0 से जीत लिया है .44 वर्ष बाद भारतीय टीम चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में व्हाईट वाश का शिकार हुई है . भारतीय टीम इस श्रृंखला में हार के साथ ही नम्बर एक से नम्बर तीन पर आ चुकी है . इस बात में दो राय नहीं हो सकती कि यह टीम पिछले कुछ समय से बेहतरीन खेल रही थी . धोनी अभी तक अपराजय थे ,लेकिन इस दौरे पर भारतीय टीम ने बेहद निराश किया . गेंदबाज़ और बल्लेबाज़ दोनों असफल रहे . तीसरा और चौथा मैच हम पारी से हारे . जैसे-जैसे श्रृंखला आगे बढ़ी ,टीम का प्रदर्शन कमजोर होता गया . दूसरे टेस्ट में तो भारतीय टीम पहली पारी में बढत लेने में भी कामयाब रही , लेकिन इसके बाद इंग्लैण्ड ने भारतीय गेंदबाजों को बुरी तरह से पीटा . भारतीय बल्लेबाज़ कहीं भी मुकाबला करते नहीं दिखे . द्रविड़ ने हालांकि तीन शतक लगाए लेकिन वे अकेले पड़ गए . सचिन सचमुच महा शतक लगाने के दवाब से नहीं उबर पाए , इसीलिए अंतिम पारी में अच्छा खेलने के बावजूद जैसे-जैसे शतक के करीब पहुंचे वैसे-वैसे तनावग्रस्त दिखने लगे . उनका कैच छूटा , कई अपीलें हुई और आखिर में 91 पर आउट हो गए . अमित मिश्रा ने अंतिम टेस्ट में शानदार बल्लेबाज़ी की , लेकिन बल्लेबाज़ी करना जिनका काम था , वे कुछ नहीं कर पाए .
              भारतीय टीम के हार के कारणों को देखें तो फिटनस की समस्या प्रमुख रही . भारतीय टीम किसी भी  मैच में पूरी ताकत से नहीं खेल पाई . सहवाग सिर्फ अंतिम दो मैच खेले और इन मैचों में भी वे पूरी तरह से फिट नहीं दिख रहे थे . अपनी चौथी पारी में उन्होंने कुछ शाट लगाए लेकिन तुरंत कंधा भी पकड़ लिया, यह उनकी फिटनस के स्तर को बताता है . गंभीर अंतिम टेस्ट मैच में अनफिट होने के कारण ओपनिंग नहीं कर पाए . युवराज़ , जहीर भी अनफिट होने के कारण श्रृंखला से बाहर हुए . इसका कारण निस्संदेह अत्यधिक क्रिकेट है . विश्व कप के तुरंत बाद IPL का आयोजन करके BCCI ने भले ही करोड़ों कमाए लेकिन खिलाडियों को चोटिल भी करवाया , जिसका खामियाजा इंग्लैण्ड में बुरी तरह हार कर चुकाया . इस श्रृंखला की हार खिलाडियों के कमजोर प्रदर्शन से तो हुई ही , BCCI की नीतियों से भी हुई . खेल को व्यापार समझा गया ,नतीजन हम हारे भी और बेआबरू भी हुए .

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शनिवार, अगस्त 13, 2011

ताज भी गया , आबरू भी गई


भारत तीसरा टेस्ट मैच चौथे दिन ही एक पारी और 242 रन से हार गया . अलेस्टर कुक ने 294  रन बनाए  और शर्म की बात यह रही की पूरी भारतीय टीम इस मैच में एक बार भी इतने रन नहीं बना पाई . एक बार वह 224 पर सिमट गई तो दूसरी बार 244 पर . भारतीय गेंदबाज़ इस मैच में पूरी तरह से रंगहीन नजर आए . इंग्लैण्ड ने मात्र सात विकेट पर 710 रन बना लिए . बीस विकेट लेने के स्वप्न देखने वाली टीम दस विकेट भी नहीं ले पाई , रही सही कसर बल्लेबाजों ने पूरी कर दी . अगर वे अच्छा खेलते तो मैच जीता भले न जाता बचाया तो जा ही सकता था लेकिन कोई भी बल्लेबाज़ जिम्मेदारी से नहीं खेला . जिस सहवाग से पूरे देश को उम्मीदें थी कि वह आते ही टीम की दशा बदल देगा वह दोनों पारियों में पहली गेंद पर आउट हो गया . सलामी बल्लेबाज़ का दोनों पारियों में पहली गेंद पर आउट होना शायद विश्व कीर्तिमान ही होगा ,और जिस टीम के बल्लेबाज़ ऐसे कीर्तिमान बनाए उसको बचाने वाला कौन होगा .धोनी ने श्रृंखला में पहली बार रन बनाए लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ सकता . सचिन से पूरा देश निराश है . वे अपनी लय में नजर नहीं आ रहे . गावस्कर ने भी उन्हें मैच फिट नहीं माना .
            कुल मिलाकर टीम ने सिर्फ नम्बर वन का ताज ही नहीं गंवाया , आबरू भी गंवाई है . इस श्रृंखला ने उन लोगों को बल प्रदान किया है जो भारत का नम्बर वन तक पहुंचना महज तुक्का मानते थे . भारतीय टीम आस्ट्रेलिया और  द. अफ्रीका में अच्छा प्रदर्शन कर चुकी थी . इंग्लैण्ड में अगर वे संघर्ष ही दिखा पाती तो उसकी इज्जत बनी रहती लेकिन उसने पूरी तरह से आत्म समर्पण ही कर दिया .
             टीम की इस बुरी दशा के लिए खिलाडी तो जिम्मेदार हैं ही ,साथ ही प्रशासक भी कम जिम्मेदार नहीं . IPL भी कुछ हद तक जिम्मेदार है . जहीर , गंभीर  ,सहवाग IPL में चोटिल हुए ,जिसका नतीजा टीम भुगत रही है . सचिन ने आराम लेने के लिए IPL को नहीं चुना वेस्ट इंडीज़ के दौरे को चुना , परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड दौरे में वे लय हासिल नहीं कर सके.
              अब ताज हाथ से निकल चुका है , अंतिम टेस्ट मैच में करिश्मे की उम्मीद नहीं दिखती . शायद अभी और बेआबरू होना बाकि है . टीम इस झटके से कब तक उबर पाएगी यह समय ही बताएगा , फिलहाल टीम का वर्तमान अंधकारमय है .

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सोमवार, अगस्त 08, 2011

बल्लेबाजों को लेनी होगी जिम्मेदारी

इंग्लैण्ड दौरे के तीसरे टेस्ट में भारत की प्रतिष्ठा दाव पर होगी , इंग्लिश क्रिकेटर क्लीन स्वीप का राग अलापने लग गए हैं .भारतीय टीम के मौजूदा प्रदर्शन को देखें तो यह असंभव भी नहीं दिख रहा . बुरे दौर से गुजर रही भारतीय टीम इस मैच में जहीर के बिना खेलेगी और यह कोढ़ में खाज़ होने जैसा है .हालांकि सहवाग ,गंभीर का लौटना अच्छी खबर है ,लेकिन सहवाग काफी समय से क्रिकेट से दूर रहने के बाद वापिसी कर रहे हैं ,ऐसे में वे अपना करिश्माई प्रदर्शन कर पाएंगे इस पर सबको शक होगा .
              इंग्लैण्ड दौरे में भारतीय टीम हालांकि सभी विभागों में पिछड़ी है ,फिर भी हार का प्रमुख कारण बल्लेबाजों की असफलता ही है .किसी टेस्ट को जीतने के लिए आपके गेंदबाजों को बीस विकेट निकालने होते हैं ,और यदि गेंदबाज़ इस काम में सफल न हो पा रहे हों तो बल्लेबाजों को बड़ा स्कोर बनाकर मैच ड्रा करवाना होता है अर्थात जीतने के लिए यहाँ गेंदबाजों का प्रदर्शन महत्व रखता है ,वहीं बल्लेबाजों का अच्छा प्रदर्शन टीम को हार से बचाता है . भारतीय बल्लेबाज़ वेस्ट इंडीज़ के दौरे से खराब प्रदर्शन कर रहे हैं .इंग्लैण्ड की मजबूत टीम ने भारत की इस कमजोरी का लाभ उठाया है .
              भारत अब श्रृंखला नहीं जीत सकता , लेकिन श्रृंखला को बराबरी पर रोकने के अवसर अभी भी हैं . यह एक मुश्किल लक्ष्य है लेकिन यह असंभव कदापि नहीं है. व्यक्तिगत प्रदर्शन को देखें तो भारतीय टीम के बल्लेबाजों जैसे बल्लेबाज़ किसी भी टीम के पास नहीं हैं. जरूरत है तो एक जुट होकर खेलने की . अब अपनी प्रतिष्ठा को बचाने का आखरी मौका है और सहवाग , गंभीर ,द्रविड़ ,लक्ष्मण और सचिन जैसे खिलाडियों को अपने जौहर दिखाने होंगे . रैना और धोनी को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी . इंग्लैण्ड के विजय अभियान को रोकने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा और इतने रन बनाने होंगे यहाँ से हार का डर दिखने की बजाए जीत की झलक दिखने लगे . 


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रविवार, जुलाई 31, 2011

ट्रेंटब्रिज टेस्ट पर इंग्लैण्ड की मजबूत पकड़

ट्रेंटब्रिज की शुरुआत भारतीय गेंदबाजों के जबरदस्त प्रदर्शन से हुई थी लेकिन धीरे-धीरे इंग्लैण्ड ने वापिसी की .भारत हर विभाग में पिछड़ा और अब ऐसी स्थिति आ गई है यहाँ से भारत मुश्किल में घिर चुका है .भारत के जीतने की उम्मीद बेमानी - सी लग रही है .और समय इतना ज्यादा बचा है कि मैच बचाया नहीं जा सकता . भारत को बल्लेबाज़ी करने के लिए लगभग दस घंटे मिलेंगे . भारत अब तक खेली तीन पारियों में किसी भी पारी में छः घंटे से ज्यादा नहीं खेल पाया ,लार्ड्स में उसे सिर्फ सात घंटे खेलना था लेकिन बड़े नाम वाले बल्लेबाज़ कोई करिश्मा नहीं कर पाए . अब वे दो दिन के लगभग समय पिच पर बिता पाएंगे ,ऐसा सोचना ख्याली पुलाव पकाना है .
             भारत ने इस टेस्ट मैच को अपनी पकड़ में लेने के बाद गंवाया है , यह सबसे अधिक दुखी करने वाली बात है . इंग्लैण्ड एक समय 124 रन पर आठ विकेट गंवाकर संघर्ष कर रहा था ,लेकिन वह स्कोर को 221 तक पहुँचाने में सफल रहा . इसके बाद भारत फिर सुखद स्थिति में पहुंचा 267 रन तक भारत के सिर्फ चार विकेट गिरे थे , लेकिन युवराज़ की विकेट गिरते ही पूरी टीम 288 पर  सिमट गई . भारत ने इंग्लैंड को 70 रन अधिक बनाने दिए और खुद 80 रन कम बनाए. भारतीय टीम इस प्रकार 150 रन का नुक्सान उठा बैठी और यही नुक्सान उसे मैच से बाहर कर रहा है . हालांकि ब्रोड का करिश्माई प्रदर्शन भारत की बुरी दशा का कारण बना फिर भी भारतीय बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ कम दोषी नहीं हैं .
              भले ही मैच समाप्त नहीं हुआ ,और मैच के परिणाम की भविष्यवाणी करना जोखिम भरा काम है क्योंकि क्रिकेट में कभी भी कुछ भी हो सकता है ,फिर भी भारत के मैच जीतने या बचा पाने की संभावना कम ही है और इस मैच में हार का अर्थ है कि भारत यह श्रृंखला जीत नहीं सकता . यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका होगा .

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शनिवार, जुलाई 30, 2011

कर दो इंग्लैण्ड को चित्त

लार्ड्स में पहला टेस्ट हारते ही पूरा इंग्लिश मीडिया भारत के विरुद्ध भडास निकालने लग गया . भारत का नम्बर एक होना अंग्रेज़ो को कितनी पीड़ा दे रहा है ,इस बात के स्पष्ट प्रमाण मिल रहे हैं ,लेकिन किसी की ईर्ष्या से कुछ फर्क नहीं पड़ता .भारत का नम्बर वन का ताज उसकी मेहनत है और जब तक विधिवत रूप से वह इस सिंहासन से नहीं उतरता ,तब तक किसी को इस पर टीका टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं बनता ,लेकिन इंग्लिश मीडिया लगातार इंग्लैण्ड को नम्बर वन बताने पर तुला है .
        इंग्लिश मीडिया के दुष्प्रचार को सार्थक ढंग से लेकर टीम को करारा जवाब देना ही होगा .इंग्लैण्ड को रोकना आत्मसम्मान की बात हो गई है .ट्रेंटब्रिज टेस्ट इस मामले में कड़ी चुनौती है .इसका पहला दिन हालांकि अंत में बहुत सुखदायी तो नहीं रहा और भारत अच्छी पकड़ बनाने से चूक गया , फिर भी भारतीय गेंदबाज़ी को स्तरहीन कह रहे इंग्लिश मीडिया को भारतीय गेंदबाज़ इतना अहसास दिलाने में तो कामयाब रहे ही कि अगर इंग्लैण्ड नम्बर वन का दावेदार है तो भारत अभी तक नम्बर वन है .
        ट्रेंटब्रिज में भारतीय गेंदबाजों ने जहीर के बिना इंग्लिश टॉप आर्डर को झकझोर कर रख दिया . अंतिम दो विकेट हालांकि 100 रन के लगभग जोडकर इंग्लैण्ड को संकट से कुछ हद तक निकालकर ले गए फिर भी भारतीय गेंदबाजों ने लार्ड्स के बुरे प्रदर्शन को पीछे छोडकर सराहनीय प्रदर्शन किया है .अब बारी बल्लेबाजों की है . अभिनव मुकंद निराश कर चुके हैं ,देखना है बाकी बल्लेबाज़ अपनी जिम्मेदारी निभा पाते हैं या नहीं . भारतीय बल्लेबाजों को जिम्मेदारी निभानी होगी उन्हें कम-से-कम 150 रन  की बढ़त लेने की सोच रखकर चलना होगा .अगर भारत ऐसा कर पाया तो उन सब प्रश्नों के जवाब मिल जाएंगे जो इंग्लिश मीडिया उठा रहा है .

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सोमवार, जुलाई 25, 2011

खतरे में पड़ा नम्बर वन का ताज

जैसा की अंदेशा था भारत लार्ड्स टेस्ट हार गया .मैच की चौथी पारी से बहुत ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती .दरअसल भारत ने अपनी पहली और मैच की दूसरी पारी में ही मैच को हाथ से निकाल दिया था .फ़ॉलोआन न खेलने के बावजूद वे 188 रन से पिछड़े .इतना ही नहीं इंग्लैण्ड के पास पर्याप्त समय था कि वे मनमाफिक रन बना सकें .भारत को लगभग सात घंटे का समय पिच पर बिताना था .हालांकि वे छः घंटे पिच पर बिताने में सफल रहे लेकिन वे अपने काम को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए.
       इस दौरे में चार टेस्ट मैच खेले जाने हैं ,ऐसे में श्रृंखला अभी तक खुली हुई है ,भारत के पास वापिसी के अवसर होंगे . दूसरा टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण होगा .इस मैच में इंग्लैण्ड को अपराजेय बढ़त लेने से रोकना होगा .भारत को श्रृंखला बराबरी पर लाने की कोशिश करनी होगी अगर यह बराबरी पर न लाई जा सके तो भी इस बढ़त को और बढ़ने से तो रोकना ही होगा ,लेकिन धोनी पर एक मैच के प्रतिबंध की तलवार लटकी हुई है अगर धोनी पर प्रतिबन्ध लगता है तो टीम मुश्किल में पड़ जाएगी .इतना ही नहीं जहीर और गंभीर भी इस मैच में चोटिल हुए हैं ,देखना यह है कि क्या वे दूसरे टेस्ट तक पूरी तरह से फिट हो पाएंगे या नहीं .
        तीसरे टेस्ट में सहवाग की वापिसी की उम्मीद है. सहवाग के आने से टीम की आक्रामकता में बढ़ोतरी होगी .टीम इंग्लैण्ड को अंतिम दो टेस्ट मैचों में ज्यादा मजबूती से टक्कर देगी लेकिन इसके लिए जरूरी है कि तब तक श्रृंखला हाथ से न निकली हो .भारत को लार्ड्स की पराजय को भुलाकर दूसरे टेस्ट की तैयारी जी जान से करनी होगी . अभी नम्बर वन का ताज हाथ से निकला नहीं लेकिन इतना सच है कि इंग्लैण्ड ने इस ताज को छीनने के लिए हाथ बढ़ा दिए हैं .देखना यह है कि क्या भारत ताज बचा पायेगा ?
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रविवार, जुलाई 24, 2011

हार के बादल मंडराए भारत पर

लार्ड्स टेस्ट दूसरे दिन के खेल के बाद ही भारत के हाथ से निकल गया था .तीसरे ,चौथे दिन के खेल ने भारत को हार के कगार पर ला दिया है .भारत को अंतिम सात घंटे बल्लेबाज़ी करनी है .एक तो यह चौथी पारी है और दूसरा भारत का बल्लेबाज़ी क्रम इससे पहले भी एक दिन नहीं निकाल पाया ,इससे हार के आसार दिख रहे हैं .फिर भी आशा पर संसार टिका है . देखना है नाम से बड़े महारथी बड़ा काम कर पाएंगे या नहीं .
               भारत हालांकि फालोन बचाने में सफल रहा था ,लेकिन तीसरे दिन ही ढेर हो जाना भारत को बैकफुट पर ले गया .अगर भारत भले इतने ही रन बनाता , मगर पिच पर ज्यादा समय व्यतीत करता तो ड्रा के आसार बनते थे . मैच ड्रा करने का दूसरा तरीका था इंग्लैण्ड को दूसरी पारी में तेज़ी से रन न बनाने दिए जाते. भारतीय गेंदबाज़ शुरूआती पांच विकेट झटकने के बावजूद रन गति पर अंकुश नहीं लगा सके और वे चायकाल के लगभग एक घंटे बाद तक खेलकर भारत के सामने 458 रन का लक्ष्य रखने में सफल हुए .
                भारत के सामने अब पहाड़-सा लक्ष्य है .इसे हासिल करना लगभग असंभव है और भारतीय टीम शायद ही इसे पाने का प्रयास करे .भारतीय टीम का अब एकमात्र लक्ष्य बचे हुए समय को बिताना होगा . निस्संदेह यह भी एक कठिन चुनौती है लेकिन ऐसा नहीं है कि इसे संभव नहीं बनाया जा सकता .बस जरूरत है तो मजबूत हौंसले और दृढ संकल्प की . हार के मुंह से निकल जाने वाले ही असली चैम्पियन होते हैं . भारत नम्बर एक टीम है ,यह दिखाने का सही समय यही है .

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शुक्रवार, जुलाई 22, 2011

मैच बचाने के लिए खेले भारत

लार्ड्स में चल रहा पहला मैच पहले दो दिन के खेल के आधार पर इंग्लैण्ड की पकड़ में है . इंग्लैंड 450 का आंकड़ा पार कर चुका है ,ऐसे में भारतीय टीम की राह मुश्किल हो गई .यहाँ से भारत के जीतने के उम्मीद बहुत क्षीण हो चुकी है . भारत को जीतने के लिए अब न सिर्फ विशाल स्कोर बनाना होगा अपितु गेंदबाजों को भी असाधारण प्रदर्शन करना होगा , कुल मिलाकर करिश्माई प्रदर्शन के बिना जीतना लगभग असंभव है .
            अगर भारतीय टीम यहाँ से मैच बचाने की सोच लेकर चले तो यह ज्यादा उचित दृष्टिकोण होगा क्योंकि यहाँ से एक मामूली चूक उन्हें श्रृंखला में 1 - 0 से पिछाड़ सकती है . भारत का पहली पारी का प्रदर्शन इस मैच का निर्णायक बिंदु होगा .अगर भारत फोलोन से बच जाता है तो मैच के ड्रा रहने के आसार बढ़ जाएंगे .अत: भारतीय टीम को सबसे पहले यह पहली बाधा पार करनी होगी अगर भारत इस बाधा को पार न कर पाया तो इंग्लैण्ड जीतने की स्थिति में पहुंच जाएगा और मैच बचाना बहुत मुश्किल भरा काम हो जाएगा .
             भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजों की असफलता का बचाव करना होगा . दुर्भाग्य से जहीर चोटिल हो गए .प्रवीण ने हालांकि बढिया गेंदबाज़ी की लेकिन वे अकेले पड़ गए .जहीर ने भी शानदार गेंदबाज़ी की थी अगर वे गेंदबाज़ी करते रहते तो शायद मैच की स्थिति कुछ और होती .अब सारी ज़िम्मेदारी बल्लेबाजों पर है ,उन्हें न सिर्फ रन बनाने हैं अपितु पिच पर अधिक-से-अधिक समय भी गुजारना है .भारत को अपनी पहली पारी चौथे दिन तक खींच कर ले जानी होगी तभी मैच बचाने की बात सोची जा सकती है .
            भारतीय टीम अगर यह पहला मैच ड्रा करवा लेती है तो यह भारत को मनोवैज्ञानिक बढ़त प्रदान करेगा . आगामी मैचों तक भारतीय टीम अपने आप को इंग्लैण्ड के मौसम के अनुसार ढाल लेगी जिससे उनका प्रदर्शन और सुधरेगा अत: पहले मैच में ड्रा एक उचित परिणाम है लेकिन इसे पाने के लिए भी विशेष प्रयास करना होगा क्योंकि पहले दो दिन के खेल के आधार पर इंग्लैण्ड ड्राइविंग सीट पर है .

बुधवार, जुलाई 20, 2011

बहुत बोल रहे हैं इंग्लिश क्रिकेटर


भारतीय क्रिकेट टीम इस समय इंग्लैण्ड के दौरे पर है . इंग्लैण्ड का दौरा हमेशा ही एक कठिन दौरा होता है ,फिर इस समय इंग्लैण्ड की टीम भी पूरी लय में हैं .आस्ट्रेलिया में जाकर ऐशेज़ जीतने के बाद उनके हौंसले बुलंदी पर हैं .श्रीलंका को भी उन्होंने मात दी है .ऐसे में उनका आत्मविश्वास से लबरेज़ होना स्वभाविक ही है. उपर से भारतीय टीम का समरसेट के खिलाफ अभ्यास मैच बहुत अच्छा नहीं गया .इस मैच के तुरंत बाद से इंग्लिश क्रिकेटर अनेक बयान दे रहे हैं . कोई कह रहा है इंग्लिश बैटिंग ऑर्डर भारतीय टीम से अच्छा है , कोई कह रहा है भारतीय इंग्लिश गेंदबाजों का सामना नहीं कर पाएंगे , कोई लार्ड्स में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के रिकार्ड की दुहाई दे रहा है तो किसी को लगता है कि सचिन का महाशतक भारतीय टीम पर दवाब बनाएगा .
               विरोधी टीम पर टिप्पणियाँ करके दवाब बनाना हमेशा से ही टीमों की रणनीति रही है . इंग्लिश टीम की बयानबाज़ी भी इसी रणनीति का हिस्सा है .अच्छी बात ये है कि भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही . यह इसलिए अच्छा है कि गेंद-बल्ले से जवाब देना बोलकर जवाब देने से बेहतर होता है .भारतीय टीम जवाब देने की क्षमता रखती है .
      यहाँ तक अभ्यास मैच की बात है ,भले ही टीम इस मैच में बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों में असफल रही ,लेकिन यह विशेष चिंता की बात नहीं . नए माहौल में ढलने में वक्त तो लगता ही है .अभ्यास मैच होते ही इसीलिए हैं .फिर इस टीम में लक्ष्मण , धोनी ,इशांत और हरभजन नहीं थे जो निश्चित रूप से पहला टेस्ट खेलेंगे .इनके आने के बाद टीम की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों मजबूत होंगी . जहीर की असफलता को भी बढ़ा - चढ़ाकर पेश करने की जरूरत नही क्योकि ब्रह्मास्त्र का प्रयोग हमेशा युद्ध में ही होता है. निस्संदेह लार्ड्स टेस्ट के लिए जहीर के पास कुछ ऐसी रणनीति और अस्त्र होंगे जिसका प्रयोग उन्होंने अभ्यास मैच में नहीं किया होगा .
     इस बात में संदेह नहीं कि इंग्लैण्ड की धरती पर इंग्लिश टीम का पलड़ा भारी है ,लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि मुकाबला एक तरफा होगा .भले ही इंग्लैण्ड में भारत सिर्फ तीन श्रृंखलाएं ही जीत पाया है और वह ग्यारह में हारा है , फिर भी भारत जीतने का दम रखता है .यह बात भी स्मरणीय रहे कि धोनी की कप्तानी में टीम अपराजेय है .कुल मिलाकर यह श्रृंखला बेहद रोचक रहेगी 
                
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