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शनिवार, नवंबर 26, 2011

क्लीन स्वीप से चूका भारत


मुंबई का बेहद रोमांचक मैच आखिर में ड्रा पर समाप्त हुआ. यह मैच चौथे दिन के खेल तक एक नीरस मैच दिख रहा था जिसका नतीजा निकलने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन पांचवें दिन के शुरू होते ही यह एक रोमांचक मैच में बदल गया और इसे इस रूप में लाने का श्रेय जाता है भारतीय स्पिन जोड़ी को. भारत के सामने बहुत कठिन लक्ष्य नहीं था और जिस तरीके से सहवाग खेल रहा था, यह एक आसान जीत दिख रही थी, लेकिन लगातार विकेट गिरते रहने से यह अंतिम गेंद तक पहुंचा. अंतिम गेंद पर दो रन चाहिए थे, लेकिन अश्विन एक रन बनाकर रन आउट हो गया. भारत के दृष्टिकोण से यह एक रोमांचक मैच का निराशाजनक अंत था. भारतीय टीम निश्चित रूप से जीत की उम्मीद कर रही थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.
                     मुंबई की पिच पहली पारी में बल्लेबाजों को काफी मददगार साबित हुई. अश्विन तीसरे ही मैच में शतकवीर बन गए. उन्होंने इस मैच में नौ विकेट भी लिए. वह एक विकेट से एक अनोखा रिकार्ड बनाने से चूक गए, लेकिन उनके प्रदर्शन ने बता दिया कि भारत को एक नया टेस्ट स्टार मिल गया है. हरभजन का रास्ता अब मुश्किल भरा हो गया है. आस्ट्रेलियाई दौरे हेतु भी चयनकर्ताओं ने अश्विन, ओझा और राहुल शर्मा पर भरोसा जताया है. एरोन और यादव भी अपनी जगह बचाने में सफल रहे हैं. बल्लेबाजों में भी कोहली और राहुल शर्मा की जगह बरकरार रही है. आस्ट्रेलियाई दौरा इन दोनों युवा बल्लेबाजों का इम्तिहान होगा. देखना है ये अपनी जगह स्थायी कर पाते हैं या चयनकर्ताओं को दोबारा युवराज, रैना या बद्रीनाथ की तरफ लौटना पड़ता है. उधर युवराज को ट्यूमर होने की बेहद निराशाजनक खबर आई है. हालाँकि यह कहा गया है कि इलाज संभव है फिर इस स्टार क्रिकेटर की वापसी क्रिकेट प्रेमी यथाशीघ्र चाहेंगे. 
                   भारत क्लीन स्वीप करने से चूक गया लेकिन युवा खिलाडियों ने अच्छा प्रदर्शन किया. सचिन का शतक के करीब पहुंच कर आउट हो जाना बताता है कि मिडिया द्वारा निर्मित दवाब उन पर किस कद्र हावी हो गया है. टीम हित और सचिन दोनों के लिए सचिन को एकदिवसीय श्रृंखला में खिलाकर उन्हें महाशतक बनाने का मौका देना चाहिए था. सचिन का आस्ट्रेलियाई दौरे पर दवाबमुक्त होकर खेलना बेहद जरूरी है. टीम की घोषणा पहले तीन मैचों के लिए हुई है लेकिन लगता नहीं कि सचिन को एकदिवसीय श्रृंखला में खिलाया जाएगा. क्रिकेट प्रेमियों को शायद आस्ट्रलियाई दौरे का इंतजार करना ही होगा. आस्ट्रेलियाई दौरा न सिर्फ सचिन अपितु पूरी टीम के लिए महत्त्वपूर्ण है. भारतीय टीम विदेशों में फिसड्डी है, इस दाग को मिटाने का अच्छा मौका है. देखना है वे आस्ट्रेलिया में अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे या नहीं. 


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मंगलवार, नवंबर 22, 2011

नम्बर दो पर आई टीम इंड़िया

इंग्लैड दौरे में नम्बर एक का सिहांसन गंवाकर नम्बर तीन पर पहुंचने वाली भारतीय टीम आस्ट्रेलिया के मेहरबानी से नम्बर दो पर आ गई है. भारत के नम्बर दो पर आने का कारण द. अफ्रीका पर आस्ट्रेलिया की दो विकेट से रोमांचक जीत है. द. अफ्रीका अब नम्बर तीन पर चली गई है, लेकिन दोनों टीमों में सिर्फ एक अंक का अंतर है. अत: भारत को इस स्थान पर बने रहने के लिए खुद बेहतर प्रदर्शन करना होगा.
                  यहाँ तक वानखेड़े में चल रहे तीसरे टेस्ट मैच की बात है, भारत के लिए अंतिम टेस्ट का पहला दिन अच्छा नहीं रहा. हालाँकि यह तो नहीं कहा जा सकता कि वेस्ट इंडीज ने भारत को पूरी तरह से मैच से बाहर कर दिया, हाँ इतना निश्चित है कि भारत को वापसी के लिए अब कड़ी मेहनत करनी होगी. वैसे वेस्ट इंडीज पिछले दो मैचों में इसीलिए हारी क्योंकि वह एक दिन में किए अच्छे प्रदर्शन को पाँच दिन तक नहीं खींच पाई. ऐसे में उम्मीद है कि भारतीय टीम अगले दिनों में वेस्ट इंडीज को अच्छा प्रदर्शन करने से रोकेगी. कल भारत को जल्दी विकेट लेने होंगे और वेस्ट इंडीज को 400 से कम स्कोर पर रोकना होगा. कल भारतीय गेंदबाजों को मैच में वापिसी दिलानी होगी. अगर भारतीय गेंदबाज़ ऐसा न कर पाए तो क्लीन स्वीप का सपना अधूरा रह सकता है. वैसे अभी कुछ कहना बहुत जल्दबाजी है. भारतीय टीम अभी भी मैच का रुख बदलने में सक्षम है और सम्भवत: कल ही मैच वापिस भारत की तरफ झुक सकता है.

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रविवार, नवंबर 20, 2011

वानखेड़े में होगी अंतिम जंग

भारत और वेस्ट इंडीज के बीच अंतिम टेस्ट मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेला जाना है. भारतीय टीम यहाँ क्लीन स्वीप के उद्देश्य से उतरेगी. भारतीय टीम में इस बार एक बदलाव है. एकदिवसीय मैचों के धांसू बल्लेबाज़ युवराज सिंह टेस्ट टीम में जगह स्थायी नहीं कर पाए. उनकी जगह पर रोहित शर्मा को मौका दिया गया है. अंतिम एकादश में अब रोहित शर्मा और विराट कोहली में से किसी एक को चुना जाएगा और टेस्ट मैच के अनुभव के आधार पर रोहित शर्मा का पलड़ा भारी पड़ता है. युवराज़ का निकलना साबित करता है कि गांगुली के जाने के बाद अभी तक यह जगह नहीं भरी जा सकी. नम्बर छः के लिए युवराज, रैना , रोहित शर्मा और कोहली में मुख्य रूप से संघर्ष चल रहा है. इनमें से किसी एक खिलाडी का यथाशीघ्र स्थायी होना टीम हित में है. भारतीय क्रिकेट में दो स्थान और खाली होने वाले हैं. हालाँकि निकट भविष्य में तो इसकी संभावना कम है, फिर भी सचिन और द्रविड़ बहुत लम्बा समय टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकते.  इनके सन्यास लेने से पहले तक गांगुली का स्थान स्थायी रूप से भरा जाना टीम को एक साथ अनुभवहीन होने से बचा लेगा. रोहित शर्मा को मिले हुए मौके को भुनाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए. यह मैच ही निश्चित करेगा कि कौन-कौन से बल्लेबाज़ आस्ट्रेलिया के दौरे पर जाने वाले हैं. 
                        क्रिकेट के मैदान से बाहर इस समय अजहर और काम्बली में आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है. इन आरोपों के बारे में निश्चित रूप से तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन काम्बली का इतनी देर तक चुप रहना संदेह पैदा करता है. फिर काम्बली कोई सबूत भी तो पेश नहीं कर रहे. सिर्फ विकेटों के पतन को आधार मानकर मैच फिक्स मानना मुश्किल है, क्योंकि यदि यही आधार है तो हाल ही में आस्ट्रेलिया की टीम टेस्ट मैच में 47 पर सिमट गई थी. भारत में इंग्लैण्ड के साथ हुए अंतिम एक दिवसीय मैच एक अन्य उदाहरण है जिसमें इंग्लैण्ड की टीम मजबूत स्थिति के बाद ताश के पत्तों की तरह बिखर गई थी. क्या ये मैच भी फिक्स थे ? नहीं, खेल में अक्सर ऐसा होता है, जब आप कुछ कर नहीं पाते. उस सेमी फाइनल में भी पिच जिस तरह से खलनायक बनी थी, जिस तरह से जयसूर्या गेंद को घुमा रहे थे उस स्थिति में विकेट पर टिकना बहुत मुश्किल काम था. यहाँ मैं अजहर को क्लीन चिट नहीं दे रहा. अजहर और जडेजा दोषी सिद्ध हो चुके हैं, लेकिन हर हारे हुए मैच को मैच फिक्सिंग के साथ जोड़ना किसी भी तरह से उचित नहीं. और अगर आप कोई आरोप लगाने जा रहे हैं तो सिर्फ इतना कहने से काम नहीं चलता कि मेरा मानना है, अपितु ठोस सबूत भी देने होते हैं. काम्बली ने जो सबूत दिया है वह बहुत भरोसेमंद नहीं. टॉस जीत कर पहले गेंदबाज़ी क्यों की गई, यही काम्बली का आरोप है. उनका मानना है कि अजहर ने टीम की रणनीति के विरुद्ध चलकर यह फैसला लिया. अगर यह सच है तो बाकी खिलाडी क्यों नहीं बोले. उस टीम में सचिन, सिद्धू, कुंबले, श्रीनाथ जैसे खिलाडी भी थे, जिनकी छवि पाक-साफ रही है. उन्होंने ने ऐसा होने पर विरोध क्यों नहीं किया ? निस्संदेह ऐसे आरोप-प्रत्यारोप देश की छवि को धूमिल करते हैं. पुराने खिलाडियों को चाहिए की सिर्फ सुर्ख़ियों में आने के लिए ऐसे आरोप न लगाए जाएं जिनके बारे में खुद के पास कोई सबूत न हो.
                इस खबर से हटकर अगर मौजूदा श्रृंखला की बात करें तो भारतीय टीम ने मजबूती से वापिसी की है. इंग्लैण्ड के दौरे की निराशा दूर हो चुकी है. अब टीम को खुद को आस्ट्रेलिया दौरे के लिए मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए. यह एक कठिन दौरा होगा. भारतीय क्रिकेट टीम आने वाले वर्षों में रैंकिंग के किस पायदान पर होगी इसका फैसला आस्ट्रेलिया का दौरा ही करेगा. 


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गुरुवार, नवंबर 17, 2011

कोलकाता में जीत, लक्ष्य क्लीन स्वीप

जैसी की उम्मीद थी भारतीय टीम ने चौथे दिन ही कोलकाता टेस्ट में जीत हासिल कर ली. हालाँकि अपनी दूसरी पारी में वेस्ट इंडीज ने जबरदस्त संघर्ष किया और भारत बड़ी मुश्किल से उन्हें पारी से हरा पाया. वैसे यह परिणाम यह तो साबित करता ही है कि धोनी ने सही समय पर पारी घोषित की थी. कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि धोनी की कप्तानी अति रक्षात्मक है. हम इसे रक्षात्मक कह सकते थे अगर धोनी ने इतना स्कोर बनाने के लिए दो दिन से ज्यादा खेलने का फैसला लिया होता. अगर आप पहली पारी में पूरे रंग में बल्लेबाज़ी कर रहे हैं तो ग्यारह घंटे बल्लेबाज़ी करनी ही चाहिए. सभी टीमें ऐसा ही करती हैं. ग्यारह घंटे अर्थात दूसरे दिन चायकाल के एक घंटे बाद तक. यह बहुत योजनाबद्ध होता है. विपक्षी टीम को अंतिम घंटे में बारह-तेरह ओवर खेलने होते हैं. अगले दिन तक विकेट बचाने का अतिरिक्त दवाब उन पर रहता है, ऐसे में अक्सर एक-दो विकेट मिल जाते हैं. जब पहली पारी में आप अच्छा खेल रहे हों तो जरूरी हो जाता है कि ऐसी स्थिति में पहुंचा जाए यहाँ से दोबारा बल्लेबाज़ी न करनी पड़े और अगर बल्लेबाज़ी करनी पड़े तो दवाब न बने. पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन इस बात की गारंटी नहीं होता कि दूसरी पारी भी उसी लय से खेली जा सके. भारतीय टीम ने भी इसी रणनीति के अंतर्गत पहली पारी में बल्लेबाज़ी की और गेंदबाजों को पर्याप्त समय उपलब्ध करवाया. गेंदबाजों पर इतना भरोसा तो एक कप्तान को होता ही है कि वे 280 ओवर में विपक्षी टीम को दो बार आउट कर देंगे. धोनी ने भी यही भरोसा करके दूसरे दिन चायकाल से बाद भी खेलने का फैसला किया होगा. गेंदबाजों ने भी इस भरोसे को टूटने नहीं दिया. यादव ने पूरे मैच में सात विकेट हासिल किए और ओझा ने छह. अश्विन ने चार और इशांत को भी दो विकेट मिले. कुल मिलाकर यह एक ऐसा मैच था जिसमें लगभग हर खिलाडी ने योगदान दिया, और जब सभी खिलाडी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हों तब जीत पक्की होती है. अब भारत को वेस्ट इंडीज के साथ आखिरी टेस्ट मुंबई में खेलना है. भारतीय टीम निश्चित रूप से क्लीन स्वीप की सोच रही होगी. 


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बुधवार, नवंबर 16, 2011

जीत की ओर अग्रसर भारत

कोलकाता टेस्ट मैच तीसरे दिन के खेल के बाद काफी हद तक भारत की गिरफ्त में आ चुका है. भारतीय बल्लेबाजों के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद गेंदबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया. हालाँकि वेस्ट इंडीज दूसरी पारी में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी है. पहली पारी में 153 रन पर सिमटने के कारण भारत को 478 रन की विशाल बढत मिल गई है . वेस्ट इंडीज के लिए इतने रन बनाना लगभग असंभव है. तीसरे दिन के खेल की समाप्ति पर वेस्ट इंडीज 283 रन पीछे था जबकि उसके सात विकेट शेष हैं. संभवत: चौथे दिन ही भारतीय टीम वेस्ट इंडीज को समेट देगी. 
              कोलकाता टेस्ट में सभी गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया. ओझा का जादू यहाँ भी चला और उसने पहली पारी में चार विकेट झटके. अश्विन ने दो और यादव को तीन विकेट मिले. इशांत को पहली पारी में कोई विकेट नहीं मिला , लेकिन दूसरी पारी में उसने दो महत्वपूर्ण विकेट हासिल किए. दूसरी पारी में स्पिनर खाली हाथ हैं, लेकिन कल निश्चित रूप से वे वेस्ट इंडीज को गहरे आघात देंगे. भारत का इस मैच का प्रदर्शन बताता है कि भारतीय टीम इंग्लैण्ड में मिले झटकों से उबर कर वापस पटरी पर आ रही है. 


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मंगलवार, नवंबर 15, 2011

कोलकाता टेस्ट पर कसा शिकंजा

कोलकाता टेस्ट मैच के दूसरे दिन के बाद भारत की स्थिति बहुत मजबूत हो गई है. पहले दिन के खेल से ही लग रहा था कि भारतीय टीम अच्छा स्कोर बना सकती है. लक्ष्मण और धोनी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारत को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है यहाँ से जीत की महक आने लगी है. इस पिच पर हर दिन बीतने के बाद  खेलना मुश्किल होता जाएगा, ऐसी उम्मीद है. अगर ऐसा हुआ तो वेस्ट इंडीज के सामने बहुत मुश्किल आने वाली है. दूसरे दिन के अंत में दो विकेटों के पतन से इसकी शुरुआत हो चुकी है. वेस्ट इंडीज इस पहाड़ से लक्ष्य को पीछे नहीं छोड़ सकता. अब उनका इरादा पिच पर ज्यादा-से-ज्यादा समय बिताना होगा, लेकिन जिस तरीके से भारतीय स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहे हैं, यह एक लगभग असंभव काम है. 
                     दूसरे दिन की विशेषता लक्ष्मण और धोनी के शतक रहे. लक्ष्मण दोहरे शतक के करीब था, लेकिन टीम हित के लिए पारी घोषित कर दी गई. रौशनी में कमी होने से खुद लक्ष्मण ने कप्तान को पारी समाप्ति का संदेश भेजा जो उनके टीम प्लेयर होने की गवाही देता है. रौशनी दूसरे दिन समस्या बनी. आगे यह कितना प्रभावित करती है, यह देखना होगा. अभी भी तीन दिन बाकि हैं. भारत को दोबारा बल्लेबाज़ी की जरूरत शायद ही पड़े, और अगर उन्होंने दोबारा बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया भी तो भी वे तेज-तर्रार पारी खेलने उतरेंगे. कुल मिलाकर गेंदबाजों के पास वेस्ट के बचे हुए अठारह विकेट लेने के लिए पर्याप्त समय है. निश्चित रूप से टीम इण्डिया श्रृंखला में अपराजय बढत की और देख रही होगी.


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सोमवार, नवंबर 14, 2011

कोलकाता टेस्ट में बल्लेबाजों का शानदार प्रदर्शन

कोलकाता टेस्ट का पहला दिन भारतीय बल्लेबाजों के नाम रहा, विशेषकर भारत की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ के नाम जिन्होंने अपना 36 वां शतक जड़ा. भारत ने हालाँकि अंतिम क्षणों में दो विकेट गंवा दिए, लेकिन राहत की बात यह रही कि उनमें एक विकेट नाईट वाचमेन के रूप में उतरे इशांत शर्मा का था. अभी भी लक्ष्मण 73 रन पर खेल रहे हैं. युवराज़ और धोनी के रूप में दो विशुद्ध बल्लेबाज़ बाकी हैं. 346 रन स्कोरबोर्ड पर जुड़ चुके हैं. भारतीय टीम यहाँ से 500 का स्कोर जरूर सोच रही होगी. कुलमिलाकर भारत के लिए पहला दिन बहुत अच्छा रहा. अगर दूसरे दिन भी भारतीय खिलाडी इसी प्रकार से खेले तो मैच पर पकड मजबूत हो जाएगी. 
                             मीडिया सचिन को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हो रहा है. आज भी मुख्य रूप से कहा जा रहा है कि सचिन फिर महाशतक से चूके. शतक से चूकना शब्द तब जायज होता अगर सचिन ने 80 - 90  रन बनाए होते. हर समय शतक का गान मुझे नहीं लगता टीम और सचिन दोनों में से किसी के भी हित में है. आखिर जो खिलाडी 99 शतक लगा चुका है, उसके लिए एक और शतक कितनी बड़ी बात है. पहले भी सचिन ने हर मैच में तो शतक लगाया नहीं, फिर अब हर मैच में शतक की उम्मीद क्यों ? शतक तो लगना ही है, आज नहीं तो कल. हाँ, हम शतक-शतक का राग अलाप कर सचिन पर ही दवाब बढ़ा रहे हैं. 
                  कोलकाता टेस्ट में सचिन के आउट हो जाने पर अब सबका ध्यान एक बार फिर खेल पर होगा. बल्लेबाजों ने काफी हद तक अपना काम कर दिया है. गेंदबाजों ने अगर दिल्ली टेस्ट जैसा प्रदर्शन किया तो जीत बहुत दूर नहीं लग रही. 


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शनिवार, नवंबर 12, 2011

अब मुकाबला ईडन गार्डन में


फिरोजशाह कोटला में भारतीय टीम को चौथे दिन जीत हासिल हुई. हालाँकि यह जीत उतनी आसानी से नहीं मिली, जितनी की परिणाम से दिख रही है. निस्संदेह भारतीय गेंदबाजों ने बहुत अच्छा कार्य किया. प्रज्ञान ओझा और अश्विन विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं. अब दूसरा मुकाबला भारत के प्रसिद्ध मैदानों में शुमार ईडन गार्डन पर होने जा रहा है. भारतीय टीम यहाँ अजेय बढत लेने की सोच रही होगी. वेस्ट इंडीज की टीम ने दिल्ली के मैच में दिखाया कि क्यों उसे कमजोर टीम माना जाता है. टेस्ट मैच में लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होता है, आप चार पारियों में से एक में अच्छा प्रदर्शन करके नहीं जीत सकते. दूसरी तरफ मजबूत टीमें एक बुरी पारी को भी शेष पारियों के द्वारा छुपा जाती हैं. पहले मैच में यही दोनों बातें दिखी. वेस्ट इंडीज ने मैच की दूसरी पारी में शानदार प्रदर्शन करते हुए 95 रन की बढत हासिल की, लेकिन मैच की तीसरी पारी में वे बल्ले से प्रदर्शन नहीं कर पाए. परिणामस्वरूप भारत को वापिसी का मौका मिला.
              ईडन गार्डन पर भी भारतीय टीम वेस्ट इंडीज पर हावी रह सकती है. इंग्लैण्ड के खिलाफ अंतिम दो मैच इसी मैदान पर खेले गए. दोनों मैचों में स्पिनर काफी कामयाब रहे. अंतिम एक दिवसीय तो भारतीय स्पिनरों ने इंग्लैण्ड के हाथ से छीन लिया था. टी-20 में भले ही भारत जीत नहीं सका, लेकिन जडेजा और अश्विन ने काफी प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. दूसरे टेस्ट मैच में अश्विन और ओझा अगर एक बार फिर वेस्ट इंडीज के बल्लेबाजों को नचा कर रख दें तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी. वेस्ट इंडीज के पास सिर्फ देवन्द्र बिशु ही एकमात्र प्रमुख स्पिनर है और दिल्ली टेस्ट में वह बहुत प्रभावित नहीं कर पाया, विशेषकर अंतिम पारी में टीम को उससे बहुत उम्मीद थी. अगर  वह यहाँ भी अपने नाम के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाया तो संभव है यह टेस्ट भी चौथे दिन ही भारत की झोली में आ गिरे.
                 भारतीय चयनकर्ताओं ने दूसरे टेस्ट मैच में कोई बदलाव नहीं किया. संभवत: अंतिम एकादश में भी कोई बदलाव दिखने को नहीं मिलेगा. सचिन, सहवाग, द्रविड़, लक्ष्मण, गंभीर के बल्ले से रन निकल रहे हैं और यह अच्छी खबर है. भारतीय टीम को वेस्ट इंडीज को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा. दिल्ली की जीत वैसी जीत नहीं जैसी की भारत जैसी मजबूत टीम की वेस्ट इंडीज जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम के खिलाफ मिलनी चाहिए थी. देखते हैं कोलकाता टेस्ट में भारतीय टीम अपने पूरे रंग में आती है या नहीं.

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मंगलवार, नवंबर 08, 2011

अश्विन ने दिलाई वापिसी



दिल्ली टेस्ट मैच का दूसरा दिन जितना निराशाजनक था, तीसरा दिन उतना ही अच्छा रहा. गेंदबाजों ने फिर एक बार बेहतरीन प्रदर्शन करके भारत को मैच में वापिसी दिला दी. दूसरे दिन के अंत में किसी करिश्मे की जरूरत थी और करिश्मा किया पहला टेस्ट खेल रहे अश्विन ने. अश्विन ने छः विकेट लिए, पहला टेस्ट खेल रहे यादव ने भी दो विकेट लेकर उसका अच्छा साथ निभाया. भारत मैच में वापिस आ चुका है, लेकिन अभी जीत पक्की नहीं. हाँ, मैच चौथे दिन ही समाप्त हो जाएगा, यह निश्चित है. भारत जीत से 124 रन दूर है और उसके आठ विकेट शेष हैं. द्रविड़ और सचिन क्रीज़ पर हैं. सचिन अच्छा खेल रहे हैं. उम्मीद है कि वे भारत को जीत की दहलीज तक लेकर जाएंगे. वैसे चौथी पारी को देखते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण दो सबसे विश्वसनीय खिलाडी हैं. जब तक ये दोनों विकेट सलामत हैं जीत की सम्भावना मजबूत है. 
                      भारतीय टीम ने तीसरे दिन सभी विभागों में अच्छा काम किया. गेंदबाजों ने वेस्ट इंडीज को जल्दी समेट दिया. भारतीय टीम को सिर्फ 276 रन का लक्ष्य मिला. यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बढ़त थी. टेस्ट क्रिकेट में 400 रन का लक्ष्य लगभग असंभव माना जाता है. 300 रन का लक्ष्य भी मानसिक रूप से दवाब डालता है. यहाँ लक्ष्य 300 से कम था इस दृष्टिकोण से भारतीय टीम ने बुलंद हौंसलों के साथ जीत के लिए खेलना शुरू किया. सहवाग आमतौर पर पहली पारी के बल्लेबाज़ हैं. उनका बेहतरीन प्रदर्शन पहली पारी में ही निकला है, लेकिन यहाँ उन्होंने महत्वपूर्ण अर्द्धशतक बनाया और टीम को जीत के नजदीक पहुंचाया. कल खेल का पहला घंटा निर्णायक है. यहाँ से भारतीय जीत संभव दिख रही है, बशर्ते बल्लेबाज पहली पारी की तरह तू चल मैं आया का गीत न गाएं.

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सोमवार, नवंबर 07, 2011

कोई करिश्मा ही वापिसी दिलाएगा दिल्ली टेस्ट में

 दिल्ली टेस्ट मैच का दूसरा दिन भारत के दृष्टिकोण से बेहद निराशजनक रहा. हालाँकि गेंदबाजों ने अच्छा कार्य किया और आज सुब्ह जल्दी ही वेस्ट इंडीज की पारी को समेट दिया, इतना ही नहीं दूसरी पारी में भी शुरूआती विकेट दिलाए, लेकिन बल्लेबाजों ने उनकी मेहनत पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बल्लेबाजों की असफलता के कारण ही भारत ने इंग्लैण्ड में सभी टेस्ट गंवाए थे. इंग्लैण्ड में बुरा प्रदर्शन समझ में आता था. एक तो वहां की परिस्थितियाँ भारतीय बल्लेबाजों के अनुकूल नहीं थी, दूसरा किसी भी टेस्ट में सभी प्रमुख बल्लेबाज़ एक साथ नहीं खेल पाए थे, लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं था. हम घर पर अपने सभी प्रमुख बल्लेबाजों के साथ खेल रहे थे. इतना ही नहीं वेस्ट इंडीज का गेंदबाज़ी आक्रमण भी सामान्य ही है. ऐसे में टीम इण्डिया के बल्लेबाज़ी का बिखर जाना बेहद निराशाजनक है. 
                 टीम इण्डिया को बढिया शुरुआत मिल चुकी थी. भारत ने अपने सभी विकेट महज 120 रन पर गंवा दिए जिनमें 54 रन द्रविड़ के थे. इंग्लैण्ड में खेले गए मैचों की ही तरह द्रविड़ यहाँ भी साथी की तलाश में रहे, लेकिन कोई भी बल्लेबाज़ उनका साथ नहीं निभा पाया. पहली विकेट को छोड़कर कोई सांझेदारी नहीं बन पाई, परिणामस्वरूप बढत की तरफ देख रही टीम 95 रन से पिछड़ गई. हालाँकि वेस्ट इंडीज की दूसरी पारी की शुरुआत बढिया नहीं रही और उसके दो विकेट महज 21 पर निकल चुके हैं लेकिन अगर वे 200 रन बनाने में कामयाब हो गए तो दवाब भारतीय टीम पर ही होगा क्योंकि 300 रन का लक्ष्य कभी भी आसन नहीं रहता. भारतीय स्पिनरों की तरह देवेन्द्र बिशु चौथी पारी में खतरनाक साबित हो सकता है. वेस्ट इंडीज के तेज गेंदबाजों ने भी पहली पारी में अच्छी गेंदबाज़ी की विशेषकर कप्तान सामी का प्रदर्शन सराहनीय रहा. वे दूसरी पारी में अपने इसी प्रदर्शन को दोहरा सकते हैं. कुल मिलाकर अभी तक मैच वेस्ट इंडीज की मुट्ठी में है और कोई करिश्मा ही इसे भारत की तरफ ला सकता है. भारतीय गेंदबाज़ मैच में वापिसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे लेकिन जो गलती बल्लेबाजों ने की है उसे बल्लेबाजों को ही चौथी पारी में सुधारना होगा. यह एक बेहद मुश्किल काम है, लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है. टीम इण्डिया से भी यही उम्मीद है कि वे तीसरे दिन वापसी करेंगे. 

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रविवार, नवंबर 06, 2011

चंद्रपाल के नाम रहा पहला दिन

वेस्ट इंडीज के खिलाफ दिल्ली में खेला जा रहा प्रथम टेस्ट मैच प्रथम दिन चन्द्रपाल के नाम रहा. मैच को देखें तो यह अभी बराबरी पर है. भारत की तरफ से इस मैच में अश्विन और उमेश यादव ने टेस्ट क्रिकेट में शुरुआत की. अश्विन ने पहले दिन ही दो विकेट लेकर विकेटों का खाता शुरू कर दिया है, लेकिन यादव को अभी विकेट की तलाश है. दरअसल भारतीय पिचों पर तेज गेंदबाजों के लिए विकेट निकालना बहुत मुश्किल भरा काम है. इशांत और यादव दोनों ही पहले दिन नाकाम रहे. स्पिनरों ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई. भारतीय गेंदबाजों का सामना ब्रेथबेट और चन्द्रपाल ने बखूबी किया. चन्द्रपाल अभी भी क्रीज़ पर हैं. वेस्ट इंडीज की टीम कितना स्कोर बनाएगी, यह चन्द्रपाल पर निर्भर करता है. चन्द्रपाल की विकेट मिलने के बाद वेस्ट इंडीज की पारी को समाप्त करना आसन हो जाएगा.
                 वेस्ट इंडीज के लिए पहले दिन के बाद संतोष की बात यह होगी कि उनके पाँच विकेट बचे हुए हैं और शतकधारी चन्द्रपाल अभी डटा हुआ है. वहीं भारतीय टीम के लिए संतोष की बात यह है कि वेस्ट इंडीज ने बहुत ज्यादा स्कोर नहीं बनाया. उन्हें 350 के भीतर रोका जा सकता है. अब भारतीय टीम को दूसरी और चौथी पारी खेलनी है. चौथी पारी में वेस्ट इंडीज के प्रमुख स्पिनर बिशु को मौका न मिले इसके लिए भारतीय बल्लेबाजों को अपनी पहली पारी में जमकर बल्लेबाज़ी करनी होगी. दूसरा दिन काफी निर्णायक साबित होने वाला है. भारतीय टीम को मैच पर पकड़ बनाने के लिए पहले वेस्ट इंडीज को यथाशीघ्र समेटना होगा और फिर बल्लेबाज़ी में अच्छी शुरुआत करनी होगी. देखना है कल भारतीय टीम ये दोनों काम कर पाती है या नहीं.

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शुक्रवार, नवंबर 04, 2011

घरेलू श्रृंखला का आगाज दिल्ली से

टेस्ट श्रृंखला में नम्बर वन का ताज गंवाने के बाद भारतीय टीम पहली बार टेस्ट मैच खेलने उतरेगी. इस बार परिस्थितियाँ भारत के पक्ष की हैं. सबसे पहले तो भारत घरेलू मैदान पर खेल रहा है. दूसरा सामना अपेक्षाकृत कमजोर टीम से है. तीसरे बल्लेबाज़ी में भारतीय टीम पूरी ताकत से उतर रही है. भारत के मौजूदा दौर के श्रेष्ठ सात बल्लेबाज़ दिल्ली में खेला जाने वाला पहला टेस्ट मैच खेलेंगे. भारतीय टीम इस बल्लेबाज़ी क्रम के साथ काफी देर बाद उतर रही है. इस टीम में गेंदबाज़ी चिंता का विषय हो सकती है. इशांत शर्मा मुख्य तेज गेंदबाज़ होंगे. उनका साथी वो चाहे एरोन हो या यादव नया खिलाडी होगा , स्पिन विभाग का दायित्व अश्विन के पास होगा. सम्भवत: ओझा उनके साथी होंगे. यह आक्रमण श्रेष्ठ तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन काम चलाऊ जरूर है. वेस्ट इंडीज की टीम को देखते हुए यह लगता है कि भारतीय उन्हें हराने में कामयाब हो जाएंगे. भारत को इस श्रृंखला में मैच गंवाना तो कदापि नहीं चाहिए. भारतीय बल्लेबाज़ी को दो बार आउट करना वेस्ट इंडीज के बस की बात नहीं लगती. देखना तो सिर्फ यही है कि क्या भारतीय गेंदबाज़ वेस्ट इंडीज को दो बार आउट कर पाएंगे ? भारतीय बल्लेबाज़ अगर पूरे रंग में हुए, विशेषकर ओपनिंग जोड़ी तो गेंदबाजों को अतिरिक्त समय मिलेगा जिससे जीत के आसार बढ़ेंगे. 
           भारतीय टीम का चयन सिर्फ एक टेस्ट के लिए हुआ है. दूसरे टेस्ट हेतु टीम बाद में चुनी जाएगी. रणजी ट्राफी के मैच भी साथ-साथ चल रहे हैं. खिलाडी वहां प्रदर्शन करके मौजूदा खिलाडियों के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं. खासकर रविन्द्र जडेजा का तिहरा शतक उन्हें टेस्ट मैच का दावेदार बना रहा है. रोहित शर्मा भी शतक जड चुके हैं. वैसे बल्लेबाजों के लिए सिर्फ एक स्थान ही खाली है और इसके दो दावेदार - युवराज और कोहली इस समय टीम में हैं. सहवाग, गंभीर, द्रविड़, सचिन, लक्ष्मण की जगह निश्चित है. दरअसल युवा पीढ़ी ने अभी तक इन खिलाडियों को चुनौती दी ही नहीं. गांगुली के जाने के बाद से लेकर अभी तक तो छठा बल्लेबाज़ ही स्थायी रूप से जगह नहीं बना पाया. युवराज और रैना में संघर्ष था, जिसे रैना ने गंवा दिया. अब कोहली दावेदार बनकर उभरे हैं. इस जगह को यथाशीघ्र भरना जरूरी है. युवराज और कोहली दोनों में क्षमता है. इस दृष्टि से बल्लेबाज़ी चिंता का विषय नहीं. हाँ गेंदबाज़ी चिंता का विषय अवश्य है. हरभजन वापिसी के लिए रणजी खेल रहे हैं लेकिन अभी तक तो उनके प्रदर्शन में धार नहीं. हालाँकि चैम्पियन लीग में उन्होंने मुंबई को विजेता बनाया था और ग्रीन इण्डिया की तरफ से भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को संयुक्त विजेता बनने में अहम भूमिका अदा की थी. 
                    वेस्ट इंडीज के खिलाफ श्रृंखला बराबरी की नहीं, लेकिन आस्ट्रेलियाई दौरे की तैयारी हेतु यह बिलकुल उपयुक्त है. भारतीय टीम को इस श्रृंखला को 3-0 से जीतने की सोचनी चाहिए. इससे कम की जीत का अर्थ होगा कि टीम अभी अपने स्तर पर नहीं पहुंच पाई है, जिसका खामियाजा आस्ट्रेलिया में भुगतना पड़ सकता है.

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