सोमवार, अक्टूबर 06, 2025
क्या 'रोको' को रोका जा रहा है?
‘रोको’ नाम दिया गया रोहित शर्मा और विराट कोहली की जोड़ी को लेकिन यह नाम भाग्यशाली सिद्ध नहीं हुआ क्योंकि इस नाम ने लोगों की जुबान पर चढ़ना शुरू ही किया था कि इन दोनों क्रिकेटरों के क्रिकेट करियर के आगे बढ़ने पर प्रश्न चिह्न लग गया | जिसका आरंभ होता है, उसका अंत निश्चित है | रोहित और कोहली के क्रिकेट करियर का अंत होना भी निश्चित था, लेकिन यह अंत स्वाभाविक है या उन्हें संन्यास लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, यह प्रश्न क्रिकेट प्रेमियों के मनों में है | सबको इस बात की चिंता है कि कहीं रोको का क्रिकेट करियर राजनीति के चलते रोका तो नहीं जा रहा | ऐसा शक पैदा होने की कई वजह दिख रही हैं |
टी-20 से अचानक संन्यास
इन दोनों खिलाड़ियों ने टी 20 विश्वकप को जीतने के तुरंत बाद संन्यास की घोषणा कर दी | विश्वकप जीतकर अलविदा कहना सबसे बढ़िया मौका होता है, ऐसे में किसी को इसमें कुछ ग़लत नहीं दिखा | विराट कोहली की टीम में जगह को लेकर पहले भी सवाल उठे थे और सेमीफाइनल तक का प्रदर्शन भी क्रिकेट प्रेमियों को नाराज कर रहा था, लेकिन यह कप्तान रोहित का विराट पर विश्वास ही था कि उन्होंने विराट को न सिर्फ़ विश्व कप के दल में चुना अपितु खराब प्रदर्शन के बावजूद सभी मैचों में खिलाया और विराट कोहली ने फाइनल में निर्णायक पारी खेलकर अपने चयन को सही साबित किया | विराट के खेलने की शैली को देखें तो उनका संन्यास सही निर्णय था, लेकिन रोहित जिस प्रकार शरू से ही आक्रामकता के साथ खेलते हैं इस लिहाज से वह इस फारमेट के लिए उपयोगी थे लेकिन अगले टी 20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए नए कप्तान को मौका देने के नजरिए से रोहित का संन्यास भी जायज लगा |
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास
टी 20 विश्व कप के बाद गौतम गंभीर ने मुख्य कोच की भूमिका ग्रहण की और इसके बाद हालात बिगड़ने शुरू हुए | विराट कोहली और गौतम गंभीर के आपसी संबंध कड़वाहट पूर्ण रहे हैं और ऐसे में डर था कि टीम में फूट पड़ सकती है, हालांकि फूट की कोई ख़बर तो बाहर नहीं आई और दोनों ने एक दूसरे की तारीफ भी की लेकिन रोहित और कोहली ने इंग्लैंड दौरे से पहले अचानक संन्यास की घोषणा करके सबको अचंभित कर दिया | भारत ने इंग्लैंड में कमाल का प्रदर्शन किया | हालांकि भारतीय टीम जीती नहीं, लेकिन श्रृंखला का 2 - 2 से बराबर रहना जीत से कम भी नहीं | जीत का एक बुरा पहलू यह होता है कि यह आत्ममंथन की जरूरत को खत्म कर देता है | भारत जिन दो टेस्ट मैचों को हारा उनमें जीत सकता था, ऐसे में ‘रोको’ की अनुपस्थिति की सुगबुगाहट शुरू हुई ही थी कि अंतिम दो टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के जबरदस्त प्रदर्शन ने इसे दबा दिया | जीत-हार और युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को एक तरफ़ रखकर अगर हम इस विषय पर विचार करें कि क्या किसी खिलाड़ी को सिर्फ़ इसलिए संन्यास लेने के लिए बाध्य करना उचित है कि युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए | टीम में सिर्फ़ 11 खेलते हैं, दल में 15 या 16 चुने जाते हैं, ऐसे में तो देश की बहुत सी प्रतिभाओं से अन्याय होता है| क्या सबको न्याय दिया जा सकता है? यदि सबको मौका नहीं दिया जा सकता तो किसी एक या दो को मौका देने के लिए वर्षों से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे खिलाड़ी को तब तक बाहर कैसे किया जा सकता है, जब तक वह लगातार फ्लॉप न हो | बेशक रोहित और कोहली वैसा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे जिस स्तर के खिलाड़ी वे हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन उनकी जगह चुने गए खिलाड़ियों से बेहतर ही चल रहा था | फिर उनकी उपस्थिति टीम में जो प्रभाव पैदा करती है, उसका भी महत्त्व है |
रोहित - कोहली ने ख़ुद संन्यास की घोषणा की, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें टीम से निकाला गया लेकिन दोनों इंग्लैंड के दौरे हेतु तैयारी कर रहे थे, ऐसे में वे संन्यास क्यों लेंगे? इस संन्यास के पहले उन्हें चेतावनी देने की बात भी निकल कर आई थी कि उन्हें सिर्फ़ पहले दो टेस्ट में चुने जाने के लिए कहा गया था और इन मैचों के प्रदर्शन पर उनके भविष्य की बात कही गयी थी, ऐसे में दोनों ने संन्यास लेना बेहतर समझा | अगर यह सच है तो यह दोनों खिलाड़ियों के साथ अन्याय है |
वनडे मैचों में संन्यास का संकट -
भारतीय टीम ने 2023 के विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन वे फाइनल में हार गए | सबने रोहित की कप्तानी और बल्लेबाज़ी की तारीफ की और तभी रोहित ने 2027 के विश्व कप तक कप्तानी करने की इच्छा जाहिर की और BCCI से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई, लेकिन अब अचानक यह खबर आ रही है कि ऑस्ट्रेलिया दौरा इन दोनों खिलाड़ियों का अंतिम दौरा होगा | अगर उन्हें जबरदस्ती रिटायर्ड किया जा रहा है तो यह निंदनीय है और ऐसे में इन दोनों खिलाड़ियों को विदाई श्रृंखला भी नहीं खेलनी चाहिए |
इसके पीछे की राजनीति
‘रोको’ को रोका जा रहा है, यह प्रश्न क्यों उठ रहा है, यह भी विचारणीय है | दरअसल हर कोच ऐसी टीम चाहता है, जिस पर उसका दबदबा रहे और ऐसा तभी हो सकता है जब टीम में युवा खिलाड़ी हों और विराट कोहली और रोहित शर्मा से गौतम गंभीर को परेशानी हो सकती है | भारतीय क्रिकेट ने ग्रेग चैपल का दौर भी देखा है और उसे भी टीम में सौरभ गांगुली नहीं चाहिए था, क्योंकि उसके रहते वह दोयम था | सचिन और राहुल द्रविड़ भी सीनियर थे, लेकिन वे शांत स्वभाव के थे और सुर्खियों से दूर रहनेवाले थे | वर्तमान में जड़ेजा को आप उसी श्रेणी में रख सकते हैं, जिसे उसके सीनियर होने के बावजूद उम्र का हवाला देकर रिटायर्ड होने के लिए नहीं कहा गया |
भारतीय क्रिकेट को नुकसान या लाभ
अगर भारतीय क्रिकेट की बात करें तो भारत में इतनी प्रतिभा है कि हर खिलाड़ी की कमी को बड़ी जल्दी पूरा कर लिया जाता है | सचिन की कमी भी नहीं खली तो कोहली और रोहित की कमी को भी पूरा का लिया जाएगा लेकिन रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ी को अगर किसी व्यक्ति के अहं के कारण संन्यास लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, तो यह बिलकुल भी शुभ संकेत नहीं |
डॉ. दिलबागसिंह विर्क
मंगलवार, सितंबर 09, 2025
भारतीय टीम है एशिया कप की प्रबल दावेदार
क्रिकेट खेलने वाले देश गिने-चुने ही हैं और अगर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कॉन्सिल के स्थायी सदस्यों की बात करें तो यह संख्या सिर्फ़ बारह है, लेकिन इन बारह में से 5 सदस्य एशिया के हैं, ऐसे में एशिया कप अहम हो जाता है | एशिया कप का आयोजन पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए होता है और वर्तमान में यह एकदिवसीय और टी 20 फॉर्मेट में हो रहा है | पुरुषों के एशिया कप का सत्रहवां संस्करण टी 20 फॉर्मेट में यू. ए. ई. में 9 सितंबर से शुरू हो रहा है और इसमें 8 टीमें भाग ले रही हैं |
पुरुषों के एशिया कप का इतिहास
पुरुषों के एशिया कप की शुरूआत 1984 में हुई | टी 20 फॉर्मेट की शुरूआत 2005 में हुई, ऐसे में एशिया कप 2005 से पहले एक दिवसीय फॉर्मेट में ही खेला जाता था | अब तक खेले गए सोलह संस्करणों में से चौदह एकदिवसीय फॉर्मेट में खेले गए जबकि दो टी 20 फॉर्मेट में | टी 20 फॉर्मेट का पहला एशिया कप 2016 में खेला गया |
एक दिवसीय फॉर्मेट का इतिहास
एशिया कप के एक दिवसीय फॉर्मेट की बात करें तो पहले एशिया कप का आयोजन 1984 में यू. ए. ई में हुआ और इसमें तीन टीमों भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने भाग लिया | इसमें सिर्फ़ तीन मैच खेले गए | फाइनल नहीं खेला गया और ग्रुप स्तर के आधार पर चैम्पियन चुना गया | भारतीय टीम अपने दोनों मैच जीतकर चैम्पियन बनी | दूसरा एशिया कप श्रीलंका में खेला गया | इस बार भी तीन ही टीमें थी, लेकिन इस बार फाइनल मैच भी खेला गया और फाइनल में श्रीलंका पाकिस्तान को हराकर चैम्पियन बना | तीसरा एशिया कप बंगलादेश में 1986 में खेला गया और बंगलादेश की टीम ने पहली बार एशिया कप में भाग लिया | चारों टीमों ने आपस में एक-एक मैच खेला | भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल हुआ और भारतीय टीम दूसरी बार विजेता बनी | चौथे एशिया कप का आयोजन 1990-91 में भारत में हुआ और पाकिस्तान ने इसमें भाग नहीं लिया, जिस कारण तीन टीमों के बीच तीन मैच खेले गए और चौथा मैच फाइनल के रूप में खेला गया | श्रीलंका और भारत की टीमें फिर आमने-सामने थी, भारत ने श्रीलंका को हराकर तीसरी बार ट्रॉफी जीती | पाँचवां एशिया कप यू. ए. ई. में 1996 में खेला गया | इसमें एशिया की चारों प्रमुख टीमों ने भाग लिया | ग्रुप लेबल पर 6 मैच खेले गए | लगातार तीसरी बार भारत और श्रीलंका की टीमें फाइनल में पहुँची और परिणाम में कोई बदलाव नहीं हुआ | भारत चौथी बार चैम्पियन बना | छठे एशिया कप का आयोजन 1997 में श्रीलंका में हुआ | इसमें भी चार टीमें थी और इंडिया और श्रीलंका की टीमें लगातार चौथी बार आमने-सामने हुई और इस बार श्रीलंका की टीम फाइनल में भारत को हराने में सफल हुई | श्रीलंका ने दूसरी बार ट्रॉफी जीती | सातवां एशिया कप बंगलादेश में खेला गया | इस बार भी चार ही टीमें थी और फाइनल श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच खेला गया | भारतीय टीम दूसरी बार फाइनल में पहुँचने से चूकी | पाकिस्तान ने श्रीलंका को हराकर पहली बार चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया | आठवां एशिया कप 2004 में श्रीलंका में खेला गया । इस बार यू.ए.ई और हांगकांग की टीमों ने भी एशिया कप में भाग लिया | छह टीमों को दो ग्रुप में बाँटा गया । ग्रुप ए में पाकिस्तान, बंगलादेश और हांगकांग की टीमें थीं, जबकि ग्रुप बी में भारत, श्रीलंका और यू.ए.ई की टीमें | दोनों ग्रुप की दो - दो टीमें सुपर फोर में पहुँची और सुपर फोर की टॉप टू टीमों यानी श्रीलंका और भारत के बीच फाइनल हुआ | श्रीलंका ने भारत को हराकर तीसरी बार ख़िताब जीता | 2008 में एशिया कप का नौवां संस्करण पाकिस्तान में खेला किया | इस बार भी छह टीमों ने भाग लिया | ग्रुप ए में श्रीलंका, बंगलादेश और यू. ए. ई. की टीमें तो ग्रुप बी में भारत पाकिस्तान और हांगकांग की टीमें थीं | सुपर फोर के बाद भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल खेला गया और श्रीलंका ने भारत को एक बार फिर हराकर चौथी बार एशिया कप जीता | 2010 में दसवां एशिया कप श्रीलंका में खेला गया और इस बार सिर्फ़ चार टीमों ने भाग लिया | भारत और श्रीलंका की टीमें फाइनल में पहुँची | भारत ने श्रीलंका को हराकर पाँचवी बार ख़िताब जीता | ग्यारहवां एशिया कप 2012 में बंगलादेश में खेला गया । इस बार भी चार ही टीमों ने भाग लिया । बंगलादेश की टीम पहली बार फाइनल में पहुंची लेकिन फाइनल में उसे पाकिस्तान से हार झेलनी पड़ी । पाकिस्तान ने दूसरी बार एशिया कप कप जीता |
बारहवां एशिया कप 2014 में बंगलादेश में खेला गया और अफगानिस्तान की टीम ने पहली बार एशिया कप में भाग लिया और बंगलादेश को हराकर पहली जीत भी हासिल की | बंगलादेश अपने सभी मैच हारा | फाइनल श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच खेला गया और श्रीलंका ने पाकिस्तान को हराकर पाँचवीं बार ख़िताब जीता |
एकदिवीस प्रारूप का तेहरवां संस्करण और कुल मिलाकर चौदहवां संस्करण 2018 में यू. ए. ई. में खेला गया | इसमें छह टीमों ने भाग लिया जिन्हें दो ग्रुप में बाँटा गया | ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान और हांगकांग की टीमें थी, तो ग्रुप बी में श्रीलंका, बंगलादेश और अफगानिस्तान के टीमें थी | ग्रुप के बाद सुपर फोर में भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान की टीमें पहुँची | फाइनल भारत और बंगलादेश के बीच हुआ और इस बार भी भारत ख़िताब जीतने में सफल रहा | एकदिवसीय प्रारूप का चौदहवां संस्करण 2023 में पाकिस्तान और श्रीलंका में आयोजिए हुआ और इसमें भी छह टीमों ने भाग लिया | नेपाल की टीम ने पहली बार एशिया कप में भाग लिया और उसे भारत, पाकिस्तान के साथ ग्रुप ए में रखा गया, जबकि ग्रुप बी में श्रीलंका, अफगानिस्तान और बंगलादेश की टीमें थीं | भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बंगलादेश की टीमें सुपर फोर में पहुँची और भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल खेला गया | भारत ने श्रीलंका को हराकर एक दिवसीय प्रारूप में सातवीं और कुल आठवीं बार एशिया कप जीता |
टी 20 प्रारूप का इतिहास
एशिया कप टी 20 प्रारूप में पहली बार 2016 में बंगलादेश में खेला गया और इसमें पाँच टीमों भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बंगलादेश और यू. ए. ई. ने भाग लिया | राउंड रोबिन आधार पर खेले गए इस एशिया कप में भारत और बंगलादेश की टीमें फाइनल में पहुँची | भारत ने बंगलादेश को हराकर टी 20 फॉर्मेट का पहला एशिया कप जीता | टी 20 फॉर्मेट के दूसरे एशिया कप का आयोजन 2022 में यू. ए. ई. में हुआ| इसमें छह टीमों ने भाग लिया | ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान और हांगकांग तथा ग्रुप बी में श्रीलंका, बंगलादेश और अफगानिस्तान की टीमों ने भाग लिया, जिनमें से भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की टीमें सुपर फोर में पहुँची | फाइनल श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच खेला गया और श्रीलंका की टीम चैम्पियन बनी |
एशिया कप 2025
इस साल का एशिया कप टी 20 फॉर्मेट में खेला जा रहा है और इसमें आठ टीमें भाग ले रही हैं, जिन्हें दो ग्रुप में बाँटा गया है | ग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान, ओमान और यू. ए. ई. की टीमें हैं, तो ग्रुप बी में श्रीलंका, अफगानिस्तान, बंगलादेश और हांगकांग की टीमें हैं | दोनों ग्रुप की टॉप टू टीमें सुपर फोर में पहुंचेंगी और सुपर फोर की टॉप टू टीमें फाइनल खेलेंगी |
भारत की दावेदारी
एशिया कप में भारतीय टीम का दबदबा रहा है | अब तक खेले एशिया कप के 16 संस्करणों में भारत ने 8 जीते हैं | भारतीय टीम वर्तमान में टी 20 की विश्व चैम्पियन है और सभी टीमों के वर्तमान प्रदर्शन और विश्व में रैकिंग को देखें तो भारतीय टीम और अन्य टीमों में बड़ा अंतर है | विश्व कप के बाद भले ही कई दिग्गज खिलाड़ियों ने संन्यास ले लिया है, लेकिन सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में भारत ने एक भी श्रृंखला नहीं गंवाई है | एशिया कप में भारत के ग्रुप में ओमान और य. ए. ई. के होने से भारतीय टीम का सुपर फोर में पहुँचना निश्चित है | भारत के लिए असली एशिया कप सुपर फोर में शुरू होगा और वह सुपर फोर के तीनों मैच जीतना चाहेगा, ऐसे में ग्रुप ए के मैच टीम के सही संयोजन को चुनने में उसकी मदद करेंगे |
अन्य टीमों की दावेदारी
ग्रुप ए आसान ग्रुप है और इस ग्रुप से भारत और पाकिस्तान की टीमें सुपर फोर में पहुंचेंगी, लेकिन ग्रुप बी में से कौन सी दो टीमें सुपर फोर में पहुंचेंगी यह कहना मुश्किल है, क्योंकि श्रीलंका, अफगानिस्तान और बंगलादेश की टीमें बराबरी की क्षमता रखती हैं | सुपर फोर में भारत मज़बूत टीम दिख रही है, उसे फाइनल में पहुँचना ही चाहिए, जबकि दूसरी टीम श्रीलंका हो सकती है |
भारतीय टीम अगर अपने स्वाभाविक खेल का 90% भी दे पाई तो वह अन्य टीमों पर भारी पड़ेगी, ऐसे में उम्मीद है कि इस बार का एशिया कप भारतीय टीम ही जीतेगी |
डॉ. दिलबागसिंह विर्क
Email - dilbagvirk23@gmail.com
मंगलवार, अक्टूबर 08, 2024
बंगलादेश के बाद अब न्यूज़ीलैंड को क्लीन स्वीप करना है लक्ष्य
भारतीय क्रिकेट टीम ने बंगलादेश ख़िलाफ़ दो टेस्ट मैच की श्रृंखला 2-0 से जीत ली है । घरेलू मैदानों पर भारतीय टीम की यह लगातार अठारहवीं श्रृंखला में जीत है । इस प्रकार घरेलू मैदानों पर भारतीय टीम का पिछले बारह साल से दबदबा क़ायम है । भारतीय टीम को अब न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला खेलनी है । न्यूज़ीलैंड की टीम श्रीलंका से 2-0 से हारकर आ रही है, ऐसे में वह भारतीय टीम को कैसी चुनौती प्रस्तुत करेगी, यह देखना होगा ।
बंगलादेश के ख़िलाफ़ जीत
जो भारतीय टीम पिछले बारह साल से घर में टेस्ट श्रृंखला नहीं हारी, उसके लिए बंगलादेश को हराना ज़्यादा मुश्किल काम नहीं था, लेकिन बंगलादेश पाकिस्तान को उसके घर में 2-0 से हराकर आई थी, ऐसे में श्रृंखला रोचक होने की संभावना थी और पहले टेस्ट के पहले दो सैशन में लगा भी कि काँटे की टक्कर होने वाली है, लेकिन इसके बाद भारतीय टीम ने ऐसी वापसी की कि बंगलादेशी टीम हतप्रभ रह गई । दूसरे टेस्ट के तीन दिन के खेल में सिर्फ़ पैंतीस ओवर का खेल हुआ था, ऐसे में टेस्ट मैच का परिणाम निकल सकता है, यह सिर्फ़ रोहित शर्मा ने ही सोचा होगा, शेष सब टेस्ट को ड्रा मान बैठे थे । भारतीय टीम ने अपनी पहली पारी में 34.4 ओवर में 285 रन बनाकर इतिहास रचा । जीत के लिए बीस विकेट लेने होते हैं, तो गेंदबाज़ों ने भी यह काम बखूबी किया । भारतीय कप्तान के टॉस जीतकर गेंदबाज़ी चुनने से विशेषज्ञ हैरान थे, लेकिन इसी निर्णय के कारण भारत पहली पारी बेख़ौफ़ होकर खेल सका, क्योंकि उन्हें पता था कि बंगलादेश ने ज़्यादा रन नहीं बनाए हैं । टेस्ट क्रिकेट इतिहास में बहुत बार ऐसा हुआ है कि मैच दूसरे ही दिन ख़त्म हो जाए, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ होगा कि मैच पहले तीन दिन के ज़्यादातर खेल का बारिश में धुल जाने के बाद अंतिम दो दिन के खेल में कोई टीम मैच बचा न पाई हो । बंगलादेश ने जब चौथे दिन पहली पारी तीन विकेट के नुक़सान पर 107 रन से शुरू की होगी, तब उसने कल्पना भी नहीं की होगी कि भारतीय टीम जीत के इरादे से उतरेगी । पहले गेंदबाज़ों ने बंगलादेश को 233 रन पर समेटा और फिर भारतीय बल्लेबाज़ों ने जो किया वह इतिहास है । हालाँकि भारतीय टीम बड़ी लीड तो नहीं ले पाई लेकिन चौथे ही दिन बंगलादेश 52 रन से पिछड़ने के बाद दूसरी बार बल्लेबाज़ी करने उतरा और 2 विकेट गँवाकर बैकफ़ुट पर चला गया । भारतीय गेंदबाज़ों ने बंगलादेश को दूसरी पारी में महज़ 146 पर समेट दिया, जिससे भारतीय टीम पाँचवें दिन के दूसरे सत्र में ही मैच जीतने में सफल रही ।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारत की स्थिति
बंगलादेश के ख़िलाफ़ 2-0 की जीत का विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की दृष्टि से बड़ा महत्त्व है । भारत को इसके बाद आठ टेस्ट खेलने हैं, जिनमें से तीन मैच न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू मैदानों पर और पाँच मैच आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आस्ट्रेलिया में खेलने हैं । भारत को फ़ाइनल में जगह पक्की करने के लिए पाँच जीत की ज़रूरत है । बंगलादेश के ख़िलाफ़ अगर अंतिम टेस्ट ड्रा हो जाता, तो भारतीय टीम को पाँच जीत के साथ एक ड्रा की ज़रूरत होगी । बंगलादेश से दूसरा टेस्ट जीतकर भारतीय टीम इस स्थिति में पहुँच गई है कि तीन हार उसका खेल नहीं बिगाड़ पाएगी, बशर्ते वह पाँच जीत हासिल कर ले । इस समीकरण में बदलाव भी हो सकता है, क्योंकि आस्ट्रेलिया को अपने अंतिम दो मैच श्रीलंका में खेलने हैं और श्रीलंका भी घरेलू मैदानों पर ख़तरनाक टीम है । संभव है, भारत को पाँच से कम जीत हासिल करने पर भी फ़ाइनल की टिकट मिल जाए, लेकिन पाँच जीत का अर्थ है, कोई भी जीते, भारत को फ़र्क नहीं पड़ेगा ।
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ मुक़ाबला
न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ भारतीय टीम 16 अक्तूबर से तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला खेलेगी । भारत अगर इस श्रृंखला को 3-0 से जीतता है, तो भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में पहुँचने के लिए आस्ट्रेलिया से सिर्फ़ दो टेस्ट ही जीतने होंगे । भारत इसके लिए गंभीर है, तभी बंगलादेश के ख़िलाफ़ टी 20 श्रृंखला हेतु शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल, ऋषभ पंत, के.एल.राहुल, अक्षर पटेल, जसप्रीत बुमराह और मुहम्मद सिराज को नहीं चुना गया ताकि इन खिलाड़ियों का लाल गेंद से खेलने की रिद्म बनी रहे । यह एक अच्छी सोच है, क्योंकि बंगलादेश के ख़िलाफ़ टी 20 श्रृंखला उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितनी की न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट श्रृंखला है ।
भारतीय टीम की वर्तमान फॉर्म
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ संभवतः उन्हीं खिलाड़ियों को चुना जाए, जो बंगलादेश के ख़िलाफ़ दल में शामिल थे, क्योंकि ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं रहा, जिसके प्रदर्शन ने निराश किया हो । हाँ इसका अर्थ यह भी नहीं कि सब अच्छा ही है । भारतीय टीम की बल्लेबाज़ बंगलादेश के ख़िलाफ़ बड़ा स्कोर खड़ा करने में असफल रहे हैं । रोहित, कोहली ने छोटी पारियाँ तो आक्रामक शैली में खेली, लेकिन टेस्ट मैच के अनुकूल लंबी पारियाँ खेलनी बाक़ी है । बंगलादेश के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के आधार पर देखें तो जयसवाल का चार पारियों में तीन अर्द्धशतक टीम के लिए अच्छी खबर है । पंत और शुभमन ने भी एक-एक शतक लगाया, लेकिन शुभमन की बाक़ी तीन पारियाँ साधारण रही । के.एल. राहुल ने भी दो अच्छी पारियाँ खेली । अश्विन और जडेजा ने बंगलादेश के ख़िलाफ़ बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन किया है । अश्विन ने बल्ले से शतक लगाकर पहले टेस्ट में भारतीय टीम की वापसी करवाई थी । अश्विन इस श्रृंखला में प्लेयर ऑफ़ द सीरिज़ रहा । बुमराह के नेतृत्व में तेज गेंदबाज़ी भी भारत की ताक़त बनी हुई है । भारतीय टीम के पास बीस विकेट झटकने का मादा है, बस भारतीय बल्लेबाज़ों को अच्छा स्कोर बनाना होगा ।
संक्षेप में कहें तो भारतीय टीम लगातार तीसरी बार विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में पहुँचने के कगार पर खड़ी है । विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत 2019 में हुई और तब से भारत टेस्ट में लगातार शीर्ष पर रहा है, हालाँकि उसे उसे चैंपियन बनने का सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन पाँच साल तक लगातार शीर्ष दो में बने रहना छोटी उपलब्धि नहीं । भारतीय टीम बची हुई दो श्रृंखलाओं में भी शानदार प्रदर्शन करके विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के सभी संस्करणों के फ़ाइनल में खेलने वाली एकमात्र टीम बनना चाहेगी ।
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डॉ. दिलबागसिंह विर्क
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