टीम इण्डिया ने चौथे दिन ही किंग्स्टन का किला फतेह कर लिया है .यह जीत यहाँ टीम के सबसे सीनियर खिलाडी राहुल द्रविड़ के बेजोड़ प्रदर्शन की देन है , वहीं टेस्ट में पदार्पण करने वाले प्रवीन कुमार के नाम भी रही . भले ही मैन ऑफ़ दा मैच द्रविड़ को मिला लेकिन पहले ही टेस्ट में छः विकेट के प्रदर्शन को प्रवीन कुमार कभी नहीं भूलेंगे . खासकर इसलिए कि महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट निकालकर उन्होंने मैच का रुख भारत की तरफ मोड़ा .
यह जीत कई अर्थों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है . सबसे पहले पूरी टीम का मनोबल इससे बढ़ा होगा . भारत सचिन , सहवाग ,गंभीर और जहीर खान के बिना खेल रहा था . अत: यदि इस टीम को कोई दोयम दर्जे का कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी . इस टीम का विदेशी जमीन पर जीतना सभी खिलाडियों में आत्मविश्वास का संचार करेगा . टीम वेस्ट इंडीज़ की तेज़ पिच पर मैच जीती है , इससे तेज़ पिच का कोई खौफ अब आगे के मैचों में नहीं रहेगा . टीम के तीन खिलाडियों के लिए यह पहला मैच था , हालांकि प्रवीन को छोडकर शेष दो खिलाडी विराट कोहली और अभिनव मुकंद कोई प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाए ,लेकिन विजयी टीम का हिस्सा होने से उन पर से दवाब हटेगा और वे अगले मैच में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे . एक तरफ टीम को मानसिक बढत मिलेगी , दूसरी तरफ विरोधी टीम अपनी मनभावन पिच पर हारने के कारण दवाब में होगी , जिससे आगामी मैचों में भारतीय टीम लाभ की स्थिति में होगी .कुल मिलाकर यह जीत श्रृंखला जीतने का संदेश खिलाडियों को देगी . भारतीय टीम को जो बढत इस समय मिली है उसका भरपूर लाभ उठाना होगा .
एक चीज़ जिसकी जरूरत है ,वो है सांझेदारियों पर ध्यान देना . किंग्स्टन टेस्ट की पहली पारी में मान्यता प्राप्त सात बल्लेबाज़ एक भी अच्छी सांझेदारी नहीं कर पाए , हरभजन ने जिस तरीके से रैना का न सिर्फ सहयोग किया अपितु रन भी बनाए उसी प्रकार का प्रदर्शन बल्लेबाजों को करना होगा . दूसरी पारी में अकेले द्रविड़ ने जिम्मेदारी उठाई . टेस्ट मैच में बड़े स्कोर के लिए एक-दो बड़ी संझेदारियों का होना बेहद जरूरी है . इस मैच में हरभजन - रैना की सांझेदारी को छोडकर इसका नितांत आभाव रहा . टीम इण्डिया को इस पर गौर करना होगा . वेस्ट इंडीज़ ने एक दिवसीय श्रृंखला में पलटवार किया था , अब उसे ऐसा करने का मौका देने से बचना होगा . टीम ने टेस्ट में जीत से शुरुआत कर दी है अब श्रृंखला जीतकर सही अंजाम तक भी पहुंचाना होगा.
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