किंग्स्टन ,जमैका में प्रथम टेस्ट का प्रथम दिन भारतीय टीम के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा . हालांकि अंतिम स्कोर को देखें तो यह निराशाजनक नहीं और मैच में वापसी की सम्भावना कायम है , लेकिन यह निश्चित है कि बल्लेबाजों ने निराश किया . 85 पर 6 विकेट खोकर भारत एक समय संकट में था . ऐसे में हरभजन का बल्ला फिर चला और रैना और हरभजन ने मिलकर टीम को 200 के पार पहुंचाया . दरअसल टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करना कोई समझदारी भरा फैसला साबित नहीं हुआ . कप्तान दो स्पिनरों के साथ उतरे हैं , इसलिए चौथी पारी में गेंदबाज़ी करने के उद्देश्य से पहले बल्लेबाज़ी को चुना गया , लेकिन तेज़ पिच पर पहले दिन तेज़ गेंदबाजों को अतिरिक्त लाभ मिलता है , वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाजों ने उसी का लाभ उठाया . भारतीय टीम अगर यह सोचकर चलती कि चौथी पारी की जरूरत वे नहीं पड़ने देंगे या कम पड़ने देंगे तो पहले गेंदबाज़ी चुनना बेहतर साबित होता .दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करना पहली पारी की अपेक्षा ज्यादा आसन होता है.टीम वेस्ट इंडीज़ को जल्दी समेटकर दूसरी पारी में बढत ले सकती थी , लेकिन कप्तान ने दूसरे तरीके से सोचा .अब गेंदबाजों को दूसरी और विशेषकर चौथी पारी में करिश्मा दिखाना होगा .आखिर उन्हीं के भरोसे ही टीम ने तेज़ पिच पर पहले खेलने का जोखिम उठाया है .
अभ्यास मैच का न होना भी ऐसे प्रदर्शन की वजह है . अभिनव मुकंद , मुरली विजय ,राहुल द्रविड़ , लक्ष्मण और धोनी की इस दौरे की यह पहली पारी थी और ये सभी नाकाम रहे . ये खिलाडी पहली पारी के अनुभव का लाभ दूसरी पारी में अवश्य उठाएंगे . यदि गेंदबाज़ वेस्ट इंडीज़ को 270 -280 पर रोकने में कामयाब रहे तो यह मैच भारत की गिरफ्त में आ सकता है .टीम इण्डिया अब बल्लेबाज़ी में जौहर दिखाने वाले हरभजन से उम्मीद लगाए बैठी है कि वह अब गेंदबाज़ी में जौहर दिखाए .मैच किस तरफ जाएगा ,इसका निर्धारण बहुत कुछ दूसरे दिन के खेल पर निर्भर करता है .
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