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सोमवार, अक्टूबर 06, 2025

क्या 'रोको' को रोका जा रहा है?

‘रोको’ नाम दिया गया रोहित शर्मा और विराट कोहली की जोड़ी को लेकिन यह नाम भाग्यशाली सिद्ध नहीं हुआ क्योंकि इस नाम ने लोगों की जुबान पर चढ़ना शुरू ही किया था कि इन दोनों क्रिकेटरों के क्रिकेट करियर के आगे बढ़ने पर प्रश्न चिह्न लग गया | जिसका आरंभ होता है, उसका अंत निश्चित है | रोहित और कोहली के क्रिकेट करियर का अंत होना भी निश्चित था, लेकिन यह अंत स्वाभाविक है या उन्हें संन्यास लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, यह प्रश्न क्रिकेट प्रेमियों के मनों में है | सबको इस बात की चिंता है कि कहीं रोको का क्रिकेट करियर राजनीति के चलते रोका तो नहीं जा रहा | ऐसा शक पैदा होने की कई वजह दिख रही हैं | टी-20 से अचानक संन्यास
इन दोनों खिलाड़ियों ने टी 20 विश्वकप को जीतने के तुरंत बाद संन्यास की घोषणा कर दी | विश्वकप जीतकर अलविदा कहना सबसे बढ़िया मौका होता है, ऐसे में किसी को इसमें कुछ ग़लत नहीं दिखा | विराट कोहली की टीम में जगह को लेकर पहले भी सवाल उठे थे और सेमीफाइनल तक का प्रदर्शन भी क्रिकेट प्रेमियों को नाराज कर रहा था, लेकिन यह कप्तान रोहित का विराट पर विश्वास ही था कि उन्होंने विराट को न सिर्फ़ विश्व कप के दल में चुना अपितु खराब प्रदर्शन के बावजूद सभी मैचों में खिलाया और विराट कोहली ने फाइनल में निर्णायक पारी खेलकर अपने चयन को सही साबित किया | विराट के खेलने की शैली को देखें तो उनका संन्यास सही निर्णय था, लेकिन रोहित जिस प्रकार शरू से ही आक्रामकता के साथ खेलते हैं इस लिहाज से वह इस फारमेट के लिए उपयोगी थे लेकिन अगले टी 20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए नए कप्तान को मौका देने के नजरिए से रोहित का संन्यास भी जायज लगा | टेस्ट क्रिकेट से संन्यास
टी 20 विश्व कप के बाद गौतम गंभीर ने मुख्य कोच की भूमिका ग्रहण की और इसके बाद हालात बिगड़ने शुरू हुए | विराट कोहली और गौतम गंभीर के आपसी संबंध कड़वाहट पूर्ण रहे हैं और ऐसे में डर था कि टीम में फूट पड़ सकती है, हालांकि फूट की कोई ख़बर तो बाहर नहीं आई और दोनों ने एक दूसरे की तारीफ भी की लेकिन रोहित और कोहली ने इंग्लैंड दौरे से पहले अचानक संन्यास की घोषणा करके सबको अचंभित कर दिया | भारत ने इंग्लैंड में कमाल का प्रदर्शन किया | हालांकि भारतीय टीम जीती नहीं, लेकिन श्रृंखला का 2 - 2 से बराबर रहना जीत से कम भी नहीं | जीत का एक बुरा पहलू यह होता है कि यह आत्ममंथन की जरूरत को खत्म कर देता है | भारत जिन दो टेस्ट मैचों को हारा उनमें जीत सकता था, ऐसे में ‘रोको’ की अनुपस्थिति की सुगबुगाहट शुरू हुई ही थी कि अंतिम दो टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के जबरदस्त प्रदर्शन ने इसे दबा दिया | जीत-हार और युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को एक तरफ़ रखकर अगर हम इस विषय पर विचार करें कि क्या किसी खिलाड़ी को सिर्फ़ इसलिए संन्यास लेने के लिए बाध्य करना उचित है कि युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए | टीम में सिर्फ़ 11 खेलते हैं, दल में 15 या 16 चुने जाते हैं, ऐसे में तो देश की बहुत सी प्रतिभाओं से अन्याय होता है| क्या सबको न्याय दिया जा सकता है? यदि सबको मौका नहीं दिया जा सकता तो किसी एक या दो को मौका देने के लिए वर्षों से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे खिलाड़ी को तब तक बाहर कैसे किया जा सकता है, जब तक वह लगातार फ्लॉप न हो | बेशक रोहित और कोहली वैसा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे जिस स्तर के खिलाड़ी वे हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन उनकी जगह चुने गए खिलाड़ियों से बेहतर ही चल रहा था | फिर उनकी उपस्थिति टीम में जो प्रभाव पैदा करती है, उसका भी महत्त्व है | रोहित - कोहली ने ख़ुद संन्यास की घोषणा की, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें टीम से निकाला गया लेकिन दोनों इंग्लैंड के दौरे हेतु तैयारी कर रहे थे, ऐसे में वे संन्यास क्यों लेंगे? इस संन्यास के पहले उन्हें चेतावनी देने की बात भी निकल कर आई थी कि उन्हें सिर्फ़ पहले दो टेस्ट में चुने जाने के लिए कहा गया था और इन मैचों के प्रदर्शन पर उनके भविष्य की बात कही गयी थी, ऐसे में दोनों ने संन्यास लेना बेहतर समझा | अगर यह सच है तो यह दोनों खिलाड़ियों के साथ अन्याय है | वनडे मैचों में संन्यास का संकट -
भारतीय टीम ने 2023 के विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन वे फाइनल में हार गए | सबने रोहित की कप्तानी और बल्लेबाज़ी की तारीफ की और तभी रोहित ने 2027 के विश्व कप तक कप्तानी करने की इच्छा जाहिर की और BCCI से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई, लेकिन अब अचानक यह खबर आ रही है कि ऑस्ट्रेलिया दौरा इन दोनों खिलाड़ियों का अंतिम दौरा होगा | अगर उन्हें जबरदस्ती रिटायर्ड किया जा रहा है तो यह निंदनीय है और ऐसे में इन दोनों खिलाड़ियों को विदाई श्रृंखला भी नहीं खेलनी चाहिए | इसके पीछे की राजनीति
‘रोको’ को रोका जा रहा है, यह प्रश्न क्यों उठ रहा है, यह भी विचारणीय है | दरअसल हर कोच ऐसी टीम चाहता है, जिस पर उसका दबदबा रहे और ऐसा तभी हो सकता है जब टीम में युवा खिलाड़ी हों और विराट कोहली और रोहित शर्मा से गौतम गंभीर को परेशानी हो सकती है | भारतीय क्रिकेट ने ग्रेग चैपल का दौर भी देखा है और उसे भी टीम में सौरभ गांगुली नहीं चाहिए था, क्योंकि उसके रहते वह दोयम था | सचिन और राहुल द्रविड़ भी सीनियर थे, लेकिन वे शांत स्वभाव के थे और सुर्खियों से दूर रहनेवाले थे | वर्तमान में जड़ेजा को आप उसी श्रेणी में रख सकते हैं, जिसे उसके सीनियर होने के बावजूद उम्र का हवाला देकर रिटायर्ड होने के लिए नहीं कहा गया | भारतीय क्रिकेट को नुकसान या लाभ अगर भारतीय क्रिकेट की बात करें तो भारत में इतनी प्रतिभा है कि हर खिलाड़ी की कमी को बड़ी जल्दी पूरा कर लिया जाता है | सचिन की कमी भी नहीं खली तो कोहली और रोहित की कमी को भी पूरा का लिया जाएगा लेकिन रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ी को अगर किसी व्यक्ति के अहं के कारण संन्यास लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है, तो यह बिलकुल भी शुभ संकेत नहीं | डॉ. दिलबागसिंह विर्क

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